चन्द्रमा के आंगन में उतरा चन्द्रविजेता भारत

शुभजिता फीचर डेस्क

23 अगस्त 2023 भारत के स्वर्णिम इतिहास का एक अध्याय बन चुका है । इतिहास का वह अध्याय…जिस पर वर्तमान ही नहीं बल्कि आने वाला समय भी सदैव गर्व करता रहेगा । विश्व के तमाम विकसित देशों द्वारा अवहेलित भारत ने आज वह अध्याय रच दिया है कि वह समाज आज भारत की ओर देख रहा है । पराक्रम सिर्फ शस्त्र दिखाना या युद्ध करना नहीं होता बल्कि अपनी मेधा, अपने श्रम, अपनी अदम्य साहसिक चेतना और असाधारण कृतत्व से अपना लक्ष्य प्राप्त करना है और यह पराक्रम हमारे वैज्ञानिकों ने कर दिखाया है । 23 अगस्त 2023 को चंद्रयान-3 का लैंडर विक्रम चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरा है। किसी भी प्रक्षेपण यान के किसी ग्रह पर उतरने पर उस उतरने वाले स्थान को एक नाम देने की परंपरा है। यह परंपरा सभी देश और संस्थान निभाते हैं। जिस स्थान पर चंद्रयान 3 का विक्रम लैंडर उतरा था उस स्थान का नाम भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने शिव शक्ति पॉइंट रखा है। जहां चन्द्रयान 2 उतरा था, वह प्वाइंट तिरंगा कहलाएगा । 23 अगस्त का दिन अब अंतरिक्ष दिवस के नाम से मनाया जाएगा । ये उनके आध्यात्मिक ज्ञान को दर्शाता है। “शिव” में मानव कल्याण का संकल्प समाहित हैं, और “शक्ति” से हमें उन संकल्पो को पूरा करने का सामर्थ्य हासिल होता है। शक्ति एक माध्यम है, जिससे हम किसी भी सपने को पूरा करने की क्षमता प्राप्त करते हैं। भारत के प्रधान मंत्री के अनुसार; शक्ति नाम हिमालय (शिव का प्रतिनिधित्व करता है) से कन्याकुमारी (शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है) तक भारत देश का प्रतिनिधित्व करता है। शिव शक्ति प्वाइंट भारत की वैज्ञानिक और दार्शनिक सोच का गवाह बनेगा। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का तीसरा चंद्र मिशन चंद्रयान-3 चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करता है। इस अवसर पर पीएम मोदी ने भारतीय वैज्ञानिकों के सामर्थ्य पर खुशी जताते हुए इसे भारत के लिए ऐतिहासिक और समृद्ध कदम बताया। पीएम मोदी ने कहा, “हमने धरती पर संकल्प किया और चांद पर उसे साकार किया…भारत अब चंद्रमा पर है।”इसरो के तीसरे चंद्र मिशन चंद्रयान-3 की चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग पर पीएम मोदी ने कहा, “जब हम ऐसे ऐतिहासिक क्षण देखते हैं तो हमें बहुत गर्व होता है। यह नए भारत की सुबह है।” चंद्रयान-3 अंतरिक्ष यान में एक प्रणोदन मॉड्यूल (वजन 2,148 किलोग्राम), एक लैंडर (1,723.89 किलोग्राम) और एक रोवर (26 किलोग्राम) शामिल है।कुछ दिन पहले लैंडर प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग हो गया और अब दोनों अलग-अलग कक्षाओं में चंद्रमा का चक्कर लगा रहे हैं। हाल ही में, चंद्रमा लैंडर ने चंद्रयान -2 मिशन के ऑर्बिटर के साथ संचार लिंक स्थापित किया है, जो 2019 से चंद्रमा की परिक्रमा कर रहा है और इस तरह एक बैकअप टॉकिंग चैनल है। चंद्रयान-3 में महिलाओं का अहम योगदान : भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि भले ही चंद्रयान-2 मिशन के विपरीत चंद्रयान-3 मिशन का नेतृत्व पुरुषों द्वारा किया जा रहा है, लेकिन बड़ी संख्या में इसमें महिलाओं का योगदान हैं। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर आईएएनएस को बताया, “लगभग 54 महिला इंजीनियर/वैज्ञानिक हैं, जो चंद्रयान-3 मिशन पर काम कर रही है। वे अलग-अलग केंद्रों पर काम करने वाले विभिन्न प्रणालियों के सहयोगी और उप परियोजना निदेशक और परियोजना प्रबंधक हैं।”
छात्रों ने इसरो के चंद्रयान-3 चंद्रमा मिशन के लिए महत्वपूर्ण मोटर का किया निर्माण : चंद्रमा पर भारत के तीसरे मिशन – चंद्रयान-3 – के प्रक्षेपण की उलटी गिनती सुचारू रूप से आगे बढ़ रही है और लाखों लोग सांस रोककर इंतजार कर रहे हैं, छात्रों की एक टीम ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के स्वदेशी अंतरिक्ष यान के लिए एक महत्वपूर्ण मोटर बनाई है।इसरो ने अपने अंतरिक्ष मिशन के लिए तमिलनाडु के सेलम में सोना कॉलेज ऑफ टेक्नोलॉजी की सौनास्‍पीड टीम को विभिन्न प्रकार की मोटरों के निर्माण का काम सौंपा था। अंतरिक्ष एजेंसी ने आखिरकार चंद्रयान-3 को लॉन्च करने के लिए लॉन्च व्हीकल मार्क-तीन (एलवीएम 3) में उपयोग के लिए बनाई गई एक स्टेपर मोटर को खरीद लिया। अंतरिक्ष में यात्रा के लिए, चंद्रयान-3 प्रक्षेपण यान, एलवीएम 3 को चंद्रमा मिशन के साथ सफलतापूर्वक एकीकृत किया गया है।

यह रही मिशन चन्द्रयान को सफल बनाने वाली टीम
गत 14 जुलाई को क़रीब 2:35 बजे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से चन्द्रयान लांच किया गया था । इस मिशन का बजट महज 615 करोड़ रुपये रहा । इस मिशन को सफल बनाने के लिए इसरो की टीम ने कड़ा परिश्रम किया । 2019 की असफलता से वैज्ञानिकों का दिल टूटा जरूर मगर उस असफलता को सफलता में इन वैज्ञानिकों ने बदला । तब के. सिवन इसरो के चेयरमैन थे और अब एस. सोमनाथ हैं मगर यह सफलता तमाम विफलताओं को सफलता में बदलने की यात्रा है । चन्द्रयान -3 को चांद पर भेजने के लिए एलवीएम -3 लांचर का उपयोग किया गया । यह सफलता इसरो के सैकड़ों वैज्ञानिकों के अनथक परिश्रम का परिणाम है तो आज मिलते हैं चन्द्रयान -3 की टीम से –
1. एस. सोमनाथ – इसरो के चेयरमैन एस. सोमनाथ को इस चन्द्र अभियान का मष्तिष्क माना जाता है । एस. सोमनाथ गगनयान और आदित्य-एल1जैसे मिशन का भी मुख्य हिस्सा रहे हैं । उन्होंने टीकेएम कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग (कोल्लम) से मेकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है । इसके साथ ही इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस (बंगलुरू) से एरोस्पेस इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है । इसरो के अध्यक्ष बनने से पहले एस. सोमनाथ लिक्विड प्रोप्लशन सिस्टम सेंटर एनं विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर के निदेशक भी रह चुके हैं ।
2. पी. वीरमुथुवेल – पी वीरमुथुवेल ने साल 2019 में चंद्रयान-3 के प्रोजेक्ट डायरेक्टर की ज़िम्मेदारी ली थी. वर्तमान पद से पहले वो इसरो हेडक्वार्टर के स्पेस इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोग्राम ऑफिस के उप निदेशक थे । पी. वीरमुथुवेल चंद्रयान 2 मिशन के भी मुख्य वैज्ञानिकों में से एक थे । पी.वीरमुथुवेल तमिलनाडु के रहने वाले हैं और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (मद्रास) के विद्यार्थी रह चुके हैं ।
3. एस. उन्नीकृष्णन नायर – विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर का प्रमुख बनने से पहले एस. उन्नीकृष्णन नायर और उनकी वैज्ञानिकों की टीम कई महत्वपूर्ण मिशन के मूल दायित्व वहन कर चुकी है । जियोसिन्क्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल, जिसे बाद में लॉन्च व्हीकल मार्क – 111 नाम दिया गया था, वह इसी केन्द्र में विकसित किया गया था । उन्नीकृष्णन ने मार एथेंशियस कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से बी.टेक की पढ़ाई की है । इसके अतिरिक्त आईआईएससी, बंगलुरू से एम. ई, एरोस्पेस इंजीनियरिंग और आईआईटी मद्रास से मेकेनिकल इंजीनियरिंग में पीएचडी की है ।
4. ए. राजराजन – ए. राजराजन एक सफल वैज्ञानिक और वर्तमान में सतीश धवन स्पेस सेंटर (एसडीएससी एसएसएआर) के निदेशक हैं । ए. राजराजन कॉम्पोजिट क्षेत्र के विशेषज्ञ हैं । इन्होंने 1987 में मेकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक किया । वहीं, 2015 में इन्हें इसरो मेरिट अवार्ड से सम्मानित किया गया था , साथ ही 2010, 2011 और 2015 में इन्हें इसरो टीम एक्सीलेंस अवार्ड दिया गया था ।
5. एम. शंकरन – साल 2021 में एम. शंकरन ने यू आर राव सैटेलाइट सेंटर के डायरेक्टर का पद संभाला था । यह सेंटर सैटेलाइट के निर्माण और एसोसिएटेड सैटेलाइट तकनिक के विकास के लिए एक अग्रणी केंद्र है । इन्होंने भारतीदसान यूनिवर्सिटी (तिरुचिरापल्ली) से फिजिक्स से मास्टर डिग्री प्राप्त की है । साथ ही इन्हें 2017 में इसरो का पर्फामेंस एक्सीलेंस अवार्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है । इसके अलावा, 2017 और 2018 में इन्हें इसरो टीम एक्सीलेंस अवार्ड भी दिया गया था ।
6. एस. मोहन कुमार – एस. मोहन कुमार एलवीएम 3 -एम 4 / चन्द्रयान 3 के मिशन डायरेक्टर हैं । एस. मोहन कुमार । मोहन कुमार विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर के वरिष्ठ वैज्ञानिक हैं । ये एलवीएम3 – एम3 मिशन (वन वेब इंडिया 2 सैटेलाइट्स ऑन बोर्ड) के भी निदेशक भी रह चुके हैं.
7. रितु करिधाल श्रीवास्तव – रितु कारिधाल लखनऊ की रहने वाली हैं, जिन्हें रॉकेट विमेन ऑफ इंडिया के नाम से जाना जाता है. रितु इसरो इसरो की वरिष्ठ वैज्ञानिक हैं. वहीं, इससे पहले वे चंद्रयान-2 समेत कई बड़े अंतरिक्ष अभियानों का हिस्सा रह चुकी हैं । इन्हें इसरो का युवा वैज्ञानिक पुरस्कार भी मिल चुका है ।
8. डॉ. के. कल्पना – . डॉ. के. कल्पना चंद्रयान-3 मिशन की डिप्टी प्रोजेक्ट डायरेक्टर हैं । वह लम्बे समय से इसरो के मून मिशन पर काम कर रही हैं । कोविड महामारी के दौरान भी उन्होंने इस मिशन पर काम करना जारी रखा । वो इस प्रोजेक्ट पर पिछले 4 साल से काम कर रही हैं । डॉ. के. कल्पना वर्तमान में यूआरएससी की डिप्टी प्रोजेक्ट डायरेक्टर हैं । इन मुख्य वैज्ञानिकों के अलावा चंद्रयान-3 मिशन से क़रीब 54 महिला इंजीनियर्स और वैज्ञानिक भी जुड़ी हुई थीं ।

अटल बिहारी वाजपेयी ने दिया चन्द्रयान नाम
क्या आपको पता है कि जिस चंद्रयान-3 पर सबकी निगाहें टिकी रहीं, उस मिशन का नाम शुरुआत में सोमयान था, जिसे बाद में बदलकर चंद्रयान कर दिया गया। 1999 में जब चंद्र मिशन को मंजूरी दी गई थी उस समय भारत के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी थे। वाजपेयी ने ही अंतरिक्ष वैज्ञानिकों को चंद्रमा पर खोज करने के लिए प्रेरित किया था। जिाके बाद चांद पर मिशन की तैयारी की गई। रिपोर्ट की मानें तो अटल बिहारी वाजपेयी ने जब सोमयान की जगह चंद्रयान नाम का सुझाव दिया तो वैज्ञानिक समुदाय को यह खास पसंद नहीं आया। दरअसल, सोमयान नाम एक संस्कृत श्लोक से प्रेरित था। संस्कृति में चंद्रमा का ही दूसरा नाम सोम है। उस समय भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के तत्कालीन अध्यक्ष के. कस्तूरीरंगन ने बताया कि अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था कि मिशन को सोमयान नहीं, बल्कि चंद्रयान कहना चाहिए। उन्होंने बताया कि वाजपेयी ने कहा था कि देश आर्थिक शक्ति के रूप में उभरा है और मिशन आगे चंद्रमा पर कई खोजपूर्ण यात्राएं करेगा । इसरो के मुताबिक, चंद्र मिशन की अवधारणा 1999 में भारतीय विज्ञान अकादमी में चर्चा से आई और 2000 में एस्ट्रोनॉटिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया में आगे की बातचीत हुई। के. कस्तूरीरंगन ने बताया कि मिशन की योजना बनाने में 4 साल और लागू करने में करीब 4 साल लगे।
तारीखों में मिशन चंद्रयान-3 
6 जुलाई : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने बहुप्रतीक्षित मिशन चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग की तारीख का एलान किया। इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने बताया कि चंद्रयान-3 मिशन 14 जुलाई को 2:35 बजे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में दूसरे लॉन्च पैड से उड़ान भरेगा। इसरो इस योजना पर बीते चार साल से काम कर रहा था। इससे एक दिन पहले एजेंसी ने बताया था कि श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में चंद्रयान-3 युक्त एनकैप्सुलेटेड असेंबली को एलवीएम3 के साथ जोड़ा गया। वहीं सभी वाहन विद्युत परीक्षण सात जुलाई को सफलतापूर्वक संपन्न हुए।
11 जुलाई : इसरो ने चंद्रयान-3 को सफलतापूर्वक चंद्रमा पर उतारने का पूर्वाभ्यास किया। इसरो की ओर से एक ट्वीट में बताया कि लॉन्च की पूरी तैयारी और प्रक्रिया का डमी रूप में 24 घंटे का पूर्वाभ्यास सफलतापूर्वक संपन्न हुआ।
14 जुलाई : भारत के तीसरे चंद्र मिशन ‘चंद्रयान-3’ को लॉन्च किया गया। चंद्रयान-3 ने दोपहर 2:35 बजे चंद्रमा की ओर उड़ान भरा। मिशन को भेजने के लिए LVM-3 लॉन्चर का इस्तेमाल किया गया।
15 जुलाई : चंद्रयान-3 ने पहली कक्षा पूरी की। मतलब उसकी पहली कक्षा बदली। अंतरिक्ष यान 41762 किमीx 173 किमी की कक्षा में पहुंचा। तब इसरो के वैज्ञानिकों ने बताया कि 41 दिन बाद 23 अगस्त को चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग की तैयारी के क्रम में चंद्रयान-3 की पृथ्वी के साथ दूरी बढ़ाने की प्रक्रिया शुरू की गई।
17 जुलाई : भारत के अंतरिक्ष मिशन चंद्रयान-3 ने सफलतापूर्वक पृथ्वी की दूसरी कक्षा में प्रवेश किया। तब चंद्रयान-3 पृथ्वी से 41,603 किलोमीटर x226 किलोमीटर दूर स्थित पृथ्वी की कक्षा में मौजूद था।
18 जुलाई : चंद्रयान-3 ने पृथ्वी की तीसरी कक्षा में प्रवेश किया। चंद्रयान-3 पृथ्वी से 51,400 किलोमीटर x228 किलोमीटर दूर स्थित पृथ्वी की कक्षा में मौजूद था।
20 जुलाई : अंतरिक्ष यान को 71351 किमी x 233 किमी की चौथी कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित किया।
25 जुलाई : चंद्रयान-3 के कक्षा बदलने की पांचवीं प्रक्रिया (अर्थ बाउंड ऑर्बिट मैन्यूवर) सफलतापूर्वक पूरी हो गई। यह कार्य बंगलूरू इसरो टेलीमेट्री, ट्रैकिंग एंड कमांड नेटवर्क (आईएसटीआरएसी) से किया गया। तब चंद्रयान पृथ्वी से 127609 किलोमीटर x 236 किलोमीटर दूर कक्षा में पहुंचा।
1 अगस्त : चंद्रयान-3 को पृथ्वी की कक्षा से निकालकर सफलतापूर्वक चांद की कक्षा की तरफ रवाना किया गया। इसरो ने कहा कि ‘चंद्रयान-3 ने पृथ्वी की कक्षा का चक्कर पूरा कर लिया है और अब यह चांद की तरफ बढ़ रहा है।’ चंद्रयान-3 ने चंद्रमा के चारों ओर 288 किमी x 369328 किमी की कक्षा में प्रवेश किया।
5 अगस्त : चंद्रयान-3 164 किमी x 18074 किमी की दूरी पर चंद्र कक्षा में पहुंचा।
6 अगस्त : चंद्रमा के चारों ओर मिशन की कक्षा घटाकर 170 किमी x 4,313 किमी कर दी गई।
9 अगस्त : धीरे-धीरे इसकी गति को घटाते हुए चंद्रमा की अगली कक्षा में पहुंचाने की प्रक्रिया जारी रही। दोपहर दो बजे के आसपास इसे तीसरी कक्षा में प्रवेश कराया गया।
14 अगस्त : चंद्रयान-3 को चौथी कक्षा में पहुंचाने की प्रक्रिया की गई। इस दिन मिशन 151 x 179 किलोमीटर की कक्षा के गोलाकार चरण पर पहुंच गया।
16 अगस्त : पांचवीं कक्षा में पहुंचाने की प्रक्रिया पूरी हुई। फायरिंग के बाद अंतरिक्ष यान 153 किमी x 163 किमी की कक्षा में पहुंच गया।
17 अगस्त : लैंडिंग मॉड्यूल को इसके प्रपल्शन मॉड्यूल से अलग कर दिया गया। लैंडिंग मॉड्यूल में प्रज्ञान रोवर और विक्रम लैंडर शामिल हैं।
18 अगस्त : ‘डीबूस्टिंग’ प्रक्रिया को अंजाम दिया जिसने इसकी कक्षा को 113 किमी x 157 किमी तक कम कर दिया। दरअसल, डीबूस्टिंग यान की गति धीमा करने की एक विधि है।
20 अगस्त : चंद्रयान-3 ने अपना अंतिम डीबूस्ट ऑपरेशन पूरा किया, जिससे विक्रम लैंडर की कक्षा 25 किमी x 134 किमी तक नीचे आ गई।
23 अगस्त : शाम 6.04 मिनट पर विक्रम लैंडर चांद की सतह पर उतरा और चांद के दक्षिण ध्रुव पर उतरने वाला भारत पहला देश बना । तब से लेकर अब तक चन्द्रमा से जुड़े अनेकों तथ्य इसरो ने हमसे साझा किये हैं ।

अब तक क्या पता चला

1. तापमान
27 अगस्त को इसरो ने चंद्रमा की सतह पर तापमान भिन्नता का एक ग्राफ जारी किया और अंतरिक्ष एजेंसी के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक ने भी चंद्रमा पर दर्ज किए गए उच्च तापमान पर आश्चर्य व्यक्त किया है। अंतरिक्ष एजेंसी ने एक अपडेट साझा करते हुए कहा कि चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर पर चंद्रा के सरफेस थर्मोफिजिकल एक्सपेरिमेंट (ChaSTE) पेलोड ने चंद्रमा की सतह के थर्मल व्यवहार को समझने के लिए ध्रुव के चारों ओर चंद्र ऊपरी मिट्टी के तापमान प्रोफाइल को मापा। समाचार एजेंसी पीटीआई से बात करते हुएइसरो के वैज्ञानिक बीएचएम दारुकेशा ने कहा, “हम सभी मानते थे कि सतह पर तापमान 20 डिग्री सेंटीग्रेड से 30 डिग्री सेंटीग्रेड के आसपास हो सकता है, लेकिन यह 70 डिग्री सेंटीग्रेड है। यह आश्चर्यजनक रूप से हमारी अपेक्षा से अधिक है।”
2. 4-मीटर व्यास वाला गड्ढा
27 अगस्त को, चंद्रमा की सतह पर चलते समय, चंद्रयान -3 रोवर को 4-मीटर व्यास वाले गड्ढे के सामने आने पर एक बाधा का सामना करना पड़ा। इसरो के एक अपडेट में कहा गया कि गड्ढा अपने स्थान से 3 मीटर आगे स्थित था। इसके बाद इसरो ने रोवर को अपने पथ पर वापस लौटने का आदेश देने का निर्णय लिया और सूचित किया कि रोवर अब सुरक्षित रूप से एक नए पथ पर आगे बढ़ रहा है।
3. चंद्रमा पर तत्व
30 अगस्त को, चंद्रयान -3 के ‘प्रज्ञान’ रोवर पर लेजर-प्रेरित ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप उपकरण ने दक्षिणी ध्रुव के पास चंद्र सतह में सल्फर की उपस्थिति की ‘स्पष्ट रूप से पुष्टि’ की। एल्युमीनियम (Al), कैल्शियम (Ca), आयरन (Fe), क्रोमियम (Cr), टाइटेनियम (Ti), मैंगनीज (Mn), सिलिकॉन (Si), और ऑक्सीजन (O) जैसे अन्य तत्वों का भी पता लगाया जाता है। अंतरिक्ष एजेंसी ने आगे कहा कि हाइड्रोजन (एच) की खोज जारी है। इस बीच, वैज्ञानिकों ने कहा है कि रोवर वर्तमान में “समय के खिलाफ दौड़” में है और इसरो छह पहियों वाले वाहन के माध्यम से अज्ञात दक्षिणी ध्रुव की अधिकतम दूरी को कवर करने के लिए काम कर रहा है। “हमारे पास इस मिशन के लिए कुल मिलाकर केवल 14 दिन हैं, जो चंद्रमा पर एक दिन के बराबर है, इसलिए चार दिन पूरे हो चुके हैं। बचे हुए दस दिनों में हम जितना अधिक प्रयोग और शोध कर पाएंगे, वह महत्वपूर्ण होगा। हम समय के खिलाफ दौड़ में हैं क्योंकि इन 10 दिनों में हमें जो करना है अधिकतम काम और इसरो के सभी वैज्ञानिक इस पर काम कर रहे हैं, “अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र के निदेशक नीलेश एम देसाई ने रविवार को एएनआई को बताया।

शुभजिता

शुभजिता की कोशिश समस्याओं के साथ ही उत्कृष्ट सकारात्मक व सृजनात्मक खबरों को साभार संग्रहित कर आगे ले जाना है। अब आप भी शुभजिता में लिख सकते हैं, बस नियमों का ध्यान रखें। चयनित खबरें, आलेख व सृजनात्मक सामग्री इस वेबपत्रिका पर प्रकाशित की जाएगी। अगर आप भी कुछ सकारात्मक कर रहे हैं तो कमेन्ट्स बॉक्स में बताएँ या हमें ई मेल करें। इसके साथ ही प्रकाशित आलेखों के आधार पर किसी भी प्रकार की औषधि, नुस्खे उपयोग में लाने से पूर्व अपने चिकित्सक, सौंदर्य विशेषज्ञ या किसी भी विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें। इसके अतिरिक्त खबरों या ऑफर के आधार पर खरीददारी से पूर्व आप खुद पड़ताल अवश्य करें। इसके साथ ही कमेन्ट्स बॉक्स में टिप्पणी करते समय मर्यादित, संतुलित टिप्पणी ही करें।