गाँधी जी के साथ 180 किलोमीटर चलीं, इन्होंने छेड़ी थी अंग्रेजों के खिलाफ़ जंग!

सब जानते हैं कि गांधी जी द्वारा शुरु किये गये आज़ादी के आन्दोलन में सबसे अहम भूमिका आम औरतों ने निभाई थी। हर तबके की औरत ने अपने घरों से निकलकर गाँधी जी का साथ दिया, उनके साथ दांडी मार्च किया। औरतें ही वजह थीं जो उनका यह आन्दोलन सफल हो पाया। 3 नवम्बर 1917 को जन्मीं अन्नपूर्णा महाराणा भारतीय स्वतन्त्रता आंदोलन में सक्रिय स्वतन्त्रता सेनानी थी। इसके अलावा वह एक प्रमुख सामाजिक और महिला अधिकार कार्यकर्ता भी थीं। अन्नपूर्णा, महात्मा गांधी के करीबी सहयोगी थी।
उनके माता-पिता, रमा देवी और गोपबंधु चौधरी भी स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय थे। अन्नपूर्णा को ‘चुनी आपा’ के नाम से भी पुकारा जाता था। 14 साल की उम्र से ही उन्होंने राजनीतिक गतिविधियों में भाग लेना शुरू कर दिया था। अन्नपूर्णा इंदिरा गाँधी द्वारा बने गयी बच्चों की ब्रिगेड ‘बानर सेना’ का हिस्सा बन गयीं।
1934 में, वह महात्मा गांधी के पुरी से भद्रक तक के “हरिजन पद यात्रा” रैली में ओडिशा से जुड़ गईं। अगस्त 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन, सविनय अवज्ञा अभियान के दौरान महाराणा को कई बार गिरफ्तार किया गया था। 1942 से 1944 तक ब्रिटिश सरकार ने उन्हें ओडिशा के कटक जेल में बंद कर दिया था।
कारावास के दौरान ही उन्होंने आजीवन गरीबों की सेवा करने का प्रण लिया। स्वतंत्रता के बाद, अन्नपूर्णा भारत में महिलाओं और बच्चों की आवाज बनी। उन्होंने क्षेत्र के आदिवासी बच्चों के लिए ओडिशा के रायगडा जिले में एक स्कूल खोला। अन्नपूर्णा विनोबा भावे द्वारा शुरू किया गये भूदान आन्दोलन का भी हिस्सा बनीं।
साथ ही उन्होंने चम्बल घाटी के डकैतों का पुन: स्थापित करने के लिए भी काम किया था। ताकि, ये सभी लोग डकैती छोड़कर अपने परिवारों के पास लौट सकें।
आपातकाल के दौरान उन्होंने अपनी माँ रामदेवी चौधरी के ग्राम सेवा प्रेस द्वारा प्रकाशित अख़बार की मदद से विरोध जताया। सरकार ने इस समाचार पत्र पर प्रतिबन्ध लगा कर रामदेवी और अन्नपूर्णा के साथ उड़ीसा के अन्य नेताओं जैसे नाबक्रुश्ना चौधरी, हरिकेष्णा महाबत, मनमोहन चौधरी, जयकृष्ण मोहंती आदि को भी गिरफ्तार कर लिया था।
इसके अलावा उन्होंने महात्मा गाँधी और आचार्य विनोबा भावे के हिन्दी लेखों को उड़िया भाषा में भी अनुवादित किया है। देश के लिए उनकी निस्वार्थ सेवा के लिए उन्हें ‘उत्कल रत्न’ से सम्मानित किया गया था। 96 वर्ष की उम्र में 31 दिसम्बर 2016 को उन्होने दुनिया से विदा ली।
(साभार – द बेटर इंडिया)

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