उत्तरी ध्रुव से उड़ान भरने वाली देश की पहली एयरलाइन बनी एयर इंडिया

नयी दिल्ली :  एयर इंडिया ने भी एक खास उपलब्धि अर्जित की। एयर इंडिया उत्तरी ध्रुव से उड़ान भरने वाली देश की पहली एयरलाइन बन गयी है। नयी दिल्ली से सैन फ्रांसिस्को जाने वाले एयर इंडिया के बोइंग-777 एयरक्राफ्ट ने गत गुरुवार 15 अगस्त को उत्तरी ध्रुव के ऊपर से उड़ान भरी। यह रास्ता सैन फ्रांसिस्को जाने वाले सामान्य रास्ते के मुकाबले छोटा लेकिन चुनौतीपूर्ण है। इस नए रूट से उड़ान के समय में करीब डेढ़ घंटे की कमी आएगी, साथ ही हर उड़ान पर 2000 से 7000 किलो ईंधन की बचत भी होगी। उड़ान का समय अब 14.5 के बजाय 13 घंटे हो जाएगा। एयर इंडिया की दिल्ली से सैन फ्रांसिस्को की फ्लाइट गुरुवार को 243 यात्रियों के साथ पाकिस्तान, अफगानिस्तान, कजाकिस्तान, रूस के ऊपर से उड़कर 12.27 बजे उत्तरी ध्रुव से गुजरी। सामान्य रास्ता बांग्लादेश, म्यांमार, चीन और जापान होकर जाता है और प्रशांत महासागर पार करने के बाद अमेरिका में प्रवेश मिलता है। उत्तरी ध्रुव के ऊपर से उड़ान भरने की चुनौती उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने देश की सभी एयरलाइनों के सामने रखी थी। इस बारे में छह अगस्त को सर्कुलर भी जारी किया गया था, लेकिन एयर इंडिया के अलावा किसी निजी एयरलाइन ने इसके लिए हिम्मत नहीं दिखाई।
अमेरिका के लिए तीन रूटों का इस्तेमाल करने वाली दुनिया की पहली एयरलाइन
इस कीर्तिमान के साथ एयर इंडिया अमेरिका के लिए तीनों रूटों का इस्तेमाल करने वाली विश्व की पहली एयरलाइन बन गई। अभी संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) की एतिहाद एयरलाइन ही अमेरिका जाने के लिए उत्तरी ध्रुव के रास्ते का इस्तेमाल करती है।
यात्रा के समय के साथ कार्बन उत्सर्जन में भी आएगी कमी, ईंधन की भी होगी बचत
इस नए रूट से दूरी और समय के अलावा कार्बन उत्सर्जन में भी कमी आएगी। इस रास्ते से उड़ान भरने पर कार्बन उत्सर्जन में 6000 से 21000 किलोग्राम तक की कमी आएगी। एयर इंडिया की इस ऐतिहासिक उड़ान में अभिनेता विवेक ओबेरॉय भी सवार थे। उन्होंने उत्तरी ध्रुव पर जमी बर्फ का वीडियो शेयर किया।
बेहद कम तापमान, अत्यधिक गुरुत्वाकर्षण उड़ान के लिए खड़ी करता है समस्या
अत्यधिक गुरुत्वाकर्षण होने से दिशा की सही जानकारी देने वाले चुंबकीय कंपास उत्तरी ध्रुव के ऊपर काम करना बंद कर देते हैं। ऐसे में विमान में लगे अत्याधुनिक उपकरण और जीपीएस से उपलब्ध डाटा की मदद से ही पायलट सही रास्ते पर उड़ान भरते रहने का फैसला करते हैं। उत्तरी ध्रुव पर तापमान भी बहुत कम रहता है, ऐसे में ईंधन के जमने का का खतरा भी होता है।

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