नयी दिल्ली । भारत में आयुर्वेद उत्पादों का बाजार लगातार तेजी से बढ़ रहा है। यह वित्त वर्ष 2028 तक बढ़कर 1.2 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है, जो फिलहाल 57,450 करोड़ रुपये है। यह बात आयुर्वेद टेक स्टार्टअप निरोगस्ट्रीट ने अपने एक अध्ययन में कही है।
निरोगस्ट्रीट का कहना है कि घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में कुदरती और हर्बल उपचारों की मांग बढ़ रही है। आयुर्वेदिक चिकित्सकों की तादाद में भी इजाफा हो रहा। इस क्षेत्र में युवा उद्यमी भी बड़ी संख्या में आ रहे हैं। साथ ही, सरकार भी आयुर्वेदिक चिकित्सा को बढ़ावा दे रही है।
15 प्रतिशत के सीएजीआर से बढ़ने की उम्मीद – निरोगस्ट्रीट सर्वे के मुताबिक, आयुर्वेद उत्पादों और सेवाओं का समग्र बाजार वित्त वर्ष 2023 से वित्त वर्ष 2028 तक 15 प्रतिशत की सीएजीआर से बढ़ने की उम्मीद है। सर्वे में यह भी अनुमान लगाया गया है कि वित्त वर्ष 2022 में देश के आयुर्वेदिक मैन्युफैक्चरिंग की वैल्यू तकरीबन 89,750 करोड़ रुपये थी। निरोग स्ट्रीट सर्वे में 10 राज्यों- उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, पंजाब, महाराष्ट्र, जम्मू और कश्मीर और केरल- के करीब 7,500 निर्माताओं ने हिस्सा लिया।
10 वर्षों में 24 अरब डॉलर तक पहुंचा आयुष क्षेत्र- हाल ही में आयुष मंत्रालय ने भी जोर दिया कि वैश्विक बाजारों में आयुष उत्पादों की धाक जमाने के लिए इनोवेशन और बेहतर इकोसिस्टम बनाने की जरूरत है। मंत्रालय ने बताया कि आयुष क्षेत्र 10 वर्षों में 24 अरब डॉलर तक पहुंच गया है।
निरोग स्ट्रीट का कहना है कि आयुर्वेद उत्पादों का बाजार जिस तेजी से बढ़ रहा है, उससे जाहिर होता है कि इसमें देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देने की क्षमता है। पिछले कुछ में आयुर्वेदिक इलाज पद्धति पर लोगों का भरोसा भी काफी बढ़ा है, क्योंकि इसके ज्यादा साइड इफेक्ट नहीं होते।