वाया ‘मीडिया: एक रोमिंग कॉरस्पॉडेंट की डायरी’ 1990 से लेकर 2005 तक के कालखंड; लगभग डेढ़ दशक की कथा है। 90 के दशक में प्रिंट मीडिया में महिला पत्रकारों की स्थिति, कार्यस्थल पर पितृसत्तात्मक ढांचे का प्रभाव और इसके बीच महिलाओं का संघर्ष साफ दिखता है। आज भी स्थिति बदली है मगर इतनी नहीं कि महिलाओं का संघर्ष खत्म हो गया हो। हमें यह उपन्यास महिला पत्रकारों की अप्रत्यक्ष आत्मकथा का आरम्भिक अंश लगता है जिसकी कई परतें अभी खुलनी बाकी हैं और वे खुलेंगी जरूर