लंदन : उपनिवेशवाद, आदर्शवाद, धर्म और राजनीति जैसे विषयों पर मुखर रूप से अपनी बात रखने वाले नोबेल पुरस्कार से सम्मानित लेखक वी एस नायपॉल का 85 वर्ष की आयु में निधन हो गया।
नायपॉल की पत्नी नादिरा नायपॉल ने एक बयान में कहा,‘‘ उन्होंने जो हासिल किया वह महान था और उन्होंने अंतिम सांस अपने प्रियजनों के बीच ली। उनका जीवन अद्भुत रचनात्मकताओं एवं प्रयासों से भरा था।’’
नायपॉल ने अपने जीवन में 30 से अधिक किताबें लिखीं। ‘द मिस्टिक मैसूर’ उनकी पहली किताब थी। वर्ष 1961 में प्रकाशित ‘अ हाउस फॉर मिस्टर बिस्वास’ उनकी सबसे मशहूर एवं लोकप्रिय किताब है।
‘द मिमिक मेन’ (1967) , ‘इन ए फ्री स्टेट’ (1971) , ‘गुरिल्लाज’ (1975), ‘ए बेंड इन द रिवर, (1979) , ‘ए वे इन वर्ल्ड’ (1994) , ‘द इनिग्मा ऑफ अराइवल‘ (1987), ‘बियॉन्ड बिलिफ : इस्लामिक एक्सकर्जन अमंग द कन्वर्टेड पीपुल्स’ (1998), ‘हॉफ ए लाइफ’ (2001), ‘द राइटर एंड द वर्ल्ड’ (2002), ‘लिटरेरी ऑकेजन्स (2003), ‘द नॉवेल मैजिक सीड्स’ (2004) आदि उनकी मशहूर रचनाओं में से हैं।
नायपॉल को कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया, जिनमें वर्ष 1971 में मिला ‘मैन बुकर प्राइज’ और वर्ष 1990 में मिला ‘नाइटहुड’ शामिल है।
नायपॉल को वर्ष 2001 में साहित्य के लिए नोबेल पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। विद्याधर सूरजप्रसाद नायपॉल का जन्म 17 अगस्त 1932 में त्रिनिदाद में एक भारतीय हिंदू परिवार में हुआ था और 18 साल का होने पर वह छात्रवृत्ति हासिल कर ऑक्सफोर्ड में पढ़ने के लिए चले गए। इसके बाद वह इंग्लैंड में बस गए।
नायपॉल ने पहली शादी पेट्रीसिया एन हेल नायपॉल से वर्ष 1955 में की थी लेकिन वर्ष 1996 में पेट्रीसिया का निधन हो गया और उसी वर्ष नायपॉल पाकिस्तानी पत्रकार नादिरा अल्वी से शादी के बंधन में बंध गए।