जी हाँ! लड़के और लड़कियाँ अच्छे दोस्त बन सकते हैं

ऐसा कहना शायद गलत हो कि जमाना बदल रहा है और इस बदलते जमाने में एक लड़का और लड़की दोस्त हो सकते हैं। दोस्ती की इस परिभाषा को जमाने से जोड़कर देखना गलत होगा क्योंकि दोस्त बनाने के लिए वक्त बदलने की कोई जरूरत नहीं होती। ये तो सोच का फर्क होता है और एक लड़का और लड़की की दोस्ती होना कोई नई बात नहीं हैं।

हां, आज के जमाने में इन सब विषयों पर खुलकर बात होने लगेगी है। बॉलीवुड से लेकर हॉलीवुड तक में ऐसी कई फिल्में बनी हैं जो एक लड़के और लड़की की दोस्ती की मिसाल कायम करती हैं. लेकिन अगर आप अभी ये मानते हैं कि एक लड़के और लड़की के बीच दोस्ती नहीं हो सकती तो आइए जानते हैं इस बात में कितनी सच्चाई है…

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दोस्ती विश्वास से बंधी है –कहते हैं कई बार खून के रिश्तों पर दोस्ती का रिश्ता भरी पड़ जाता है। बिना किसी स्वार्थ के बना ये रिश्ता सच में बस विश्वास के धागे से बंधा होता है इसलिए ये जरूरी तो नहीं कि लड़का सिर्फ एक लड़के पर ही विश्वास कर सकता है या फिर एक लड़की किसी लड़के पर कभी विश्वास नहीं कर सकती। न जाने क्यों लोग ऐसी साेच रखते हैं और उसे फिर दूसरों पर थोपने की कोशि‍श भी करते हैं। असल जिंदगी में अब ऐसा नहीं रहा है। लड़के-लड़कियां अच्छे दोस्त भी बनते हैं और ये रिश्ता मजबूती आगे भी बढ़ रहा है।

चल रही है बदलाव की हवा –आज हम जिस दौर में हैं वहां लड़कियां हर फील्ड में आगे बढ़ रही हैं और कॉलेज से लेकर ऑफिस तक लड़कों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम रही हैं। अब ऐसे में ऐसी सोच रखना की लड़के-लड़कियां दोस्त नहीं बन सकते बेमानी ही लगता है। लैंगिक आधार पर भेदभाव भले ही आज भी मौजूद हो लेकिन लड़के और लड़की की दोस्ती को अब बहुत नॉर्मल तरीके से देखा जाता है। लड़का और लड़की भी अपने रिश्तों को लेकर अधिक सहज होने लगे हैं।

हर आकर्षण प्यार नहीं होता – किसी भी  रिश्ते की शुरुआत आकर्षण से होती है क्योंकि कभी किसी की आदतें अच्छी लग जाती हैं तो किसी का अंदाज और कई बार तो ऐसा भी होता है कि प्यारी मुस्कान से रिश्ते की शुरू करवा दे। लेकिन जब एक लड़का और लड़की एक-दूसरे के आकर्षण में बंध कर दोस्ती करते हैं तो लोग उसे प्यार समझने की गलती कर बैठते हैं। बड़ी बात यह है कि उनमें से ज्यादातर लोग उन दोनों से निजी रूप से परिचित भी नहीं होते। उनके मन में यह बात होती है कि जरूर इनके बीच कुछ होगा.

ऐसे रिश्तों का गवाह बन रहा है सोशल मीडिया –डिजिटल होती दुनिया में सोशल मीडिया खुद में पूरी दुनिया को समेटे हुए है और इननेटवर्किंग साइट्स पर कई तरह की दोस्ती देखने को मिल जाती है जैसे कुछ काम से जुड़े होते तो कुछ दोस्ती के नाते।  यहां पर दोस्ती की कोई सीमा नहीं है, कोई भी किसी का दोस्‍त हो सकता है। चाहे वह बड़ा हो या छोटा, लड़का हो या लड़की. दोस्त सिर्फ दोस्त होता है और अब उससे लड़का-लड़की देखकर दोस्ती नहीं होती.

हां एक लड़का और लड़की दोस्त हो सकते हैं – लोगों की सोच में समय के सा‍थ बदलाव हुआ है. बात चाहे दोस्ती की हो या रिश्तों की, लोग अब खुलकर सोचते है. मगर आज भी ज्यादातर लोग, बल्कि पढ़े-लिखे युवा भी कई बार दोस्ती में इस फर्क को जाहिर करते हैं। एक लड़का और लड़की सिर्फ दोस्त नहीं हो सकते, यह बात अब पुरानी हो चुकी है. फिर भी अगर दोस्ती लड़का-लड़की के बीच है तो उस पर नजर सदा पैनी ही रखी जाती है। लेकिन अब दोस्ती का रिश्ता प्यार और रिलेशनशि‍प पर भी भारी पड़ने लगा है। लड़का और लड़की दोस्ती के इस कंफर्ट को समझने लगे हैं और व्यस्त-तनाव भरी जिंदगी में एक अच्छे दोस्त को कोई नहीं खोना चाहता।  इसलिए इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि दोस्त लड़की है या लड़का, बस सोच और समझ एक होनी चाहिए। हर रिश्ते की अपनी जगह होती है, अपना वजूद होता है. इस रिश्ते की पवित्रता को कहीं न कहीं समाज का एक वर्ग बखूबी समझ रहा है और उसे स्वीकार भी कर रहा है।

 

शुभजिता

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