कर्नाटक के बेहद सुदूर हिस्से में बसे एक गाँव में पेंशन के सहारे बेहद कम साधनों में अपनी जीविका चलनेवाली एक महिला ने अपनी पेंशन से मिलने वाली रकम बचाकर गाँव के लोगो के लिए एक कुआँ खुदवाया है।
60 वर्षीय लक्ष्मी कर्नाटक में मंगलुरु के निकट उडुपी जिले के एक बेहद छोटे और सुखा पीड़ित गाँव आमपारू में रहती है। आम्रपारू ग्राम पंचायत पथरीले भू-भाग में स्थित है जहा पीने योग्य पानी के साधनों की बेहद कमी है। भीषण गर्मी में जब आस पास कही पानी उपलब्ध नहीं होता तो गाँव वालो को टैंकर के पानी से काम चलाना पड़ता है और बाकि पुरे साल उन्हें अपनी रोजमर्रा की जरूरतें पूरी करने के लिए सबसे नजदीकी पानी के स्त्रोत से पानी लाने के लिए 2-3 किमी चलना पडता है। इस इलाके के हैण्डपंप भी पीने योग्य पानी की जरुरत को पूरा नहीं कर पाते है।
गाँववालो की पीने के पानी की भीषण समस्या के लिए लक्ष्मी ने पहल की और गाँव की चार और महिलाओ के साथ मिलकर एक टीम बनायीं। इसके बाद एक निश्चित स्थान तलाश कर के इन लोगो ने एक कुआँ खोदना शुरू कर दिया।
लक्ष्मी और उसकी टीम की बाकि महिलाओ ने कठिन परिश्रम के बाद एक 52 फीट गहरा और 6 फीट चौड़ा कुआँ खोदने में सफलता पाई और आज ये कुआँ आम्रपारु ग्राम पंचायत के विवेक नगर कॉलोनी में गाँव वालो के इस्तेमाल के लिए पूरी तरह से तैयार है। आज गाँव के 10 से भी ज्यादा घर अपनी पानी की जरुरत के लिए पूरी तरह से इस कुएं के ऊपर निर्भर है और साथ ही साथ ये अन्य गांववालों की जरुरत भी पूरी करता है। ये कुआं सरकार की मनरेगा योजना के तहत बनाया गया जिसमे गाँव के बेरोजगार व्यक्तियों को 100 दिन के पक्के रोजगार देने का वायदा किया जाता है। ग्राम पंचायत ने भले 82000 रुपये योजना को पूरा करने के लिए दिए पर यह धनराशी इस योजना को असली जामा पहनने के लिए अपर्याप्त थी। इस योजना को पूरा करने में 1.18 लाख की धनराशी की आवश्यकता थी। पर लक्ष्मी अपने इरादों में पक्की थी। उसने अपनी पेंशन से बचाकर जमा की गयी पूरे जीवन की धनराशी और साथ ही साथ मानरेगा के तहत दी गयी राशि को इस कुए के निर्माण में लगा दी।
आम्रपारु ग्राम पंचायत के उप-प्रधान किरण हेगड़े नेटाइम्स ऑफ़ इंडिया को बताया, “लक्ष्मी काफी साहसी और इरादों में काफी दृढ महिला है और बाकि लोगो के लिए प्रेरणा का स्त्रोत है।”
इस महिला ने अपनी उम्रभर की जमा पूंजी को समाज की बेहतरी के काम में खर्च कर दिया।
(साभार – द बेटर इंडिया)