कोलकाता । भवानीपुर एजुकेशन सोसाइटी कॉलेज के वाणिज्य और मानविकी विभाग ने ‘एनईपी 23 के पाठ्यक्रम के कार्यान्वयन के लिए कलकत्ता विश्वविद्यालय के विशेष वक्ताओं द्वारा मानविकी और वाणिज्य के लिए नए पाठ्यक्रम के कार्यान्वयन’ पर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया । कार्यशाला छात्र मामलों के डीन प्रोफेसर दिलीप शाह के स्वागत भाषण से आरम्भ हुई । इस अवसर पर डॉ. सुभब्रत गंगोपाध्याय, टीआईसी बीईएससी द्वारा यूजी बोर्ड ऑफ स्टडीज, कॉमर्स (कलकत्ता विश्वविद्यालय) के अध्यक्ष प्रोफेसर डॉ. ध्रुव रंजन दंडपत के अभिनंदन के साथ हुई। इसके बाद श्री देबाशीष बिस्वास, इंस्पेक्टर ऑफ कॉलेजेज (कलकत्ता विश्वविद्यालय) को सचिव डॉ संदीप दान द्वारा सम्मानित किया गया । देबाशीष विश्वास ने मानविकी के भाग के रूप में बीए/बीएससी के चार वर्षीय पाठ्यक्रम के बारे में विस्तार से बताकर सत्र की शुरुआत की। उन्होंने सीसीएफ, पाठ्यक्रम और क्रेडिट फ्रेमवर्क के बारे में बताया जो यूजीसी द्वारा जोड़ा गया है और इसे एसईसी (कौशल संवर्धन पाठ्यक्रम), आईडीसी (अंतःविषय पाठ्यक्रम), एईसी के साथ दो मुख्य भागों, मुख्य विषयों और लघु विषयों में कैसे विभाजित किया गया है। (क्षमता संवर्धन पाठ्यक्रम, सीवीएसी (सामान्य)मूल्य वर्धित पाठ्यक्रम)।इसके अलावा डॉ. देबाशीष ने छात्रों द्वारा चुने गए पाठ्यक्रमों के क्रेडिट और स्तरों के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने मल्टीपल एंट्री और एग्जिट के बारे में जानकारी दी, जिसे एक छात्र अपने यूजी के दौरान 7 साल की अवधि के दौरान चुन सकता है । कार्यशाला के दूसरे सत्र में वक्ता के रूप में डॉ. ध्रुव आर. दंडपत ने वाणिज्य में पाठ्यक्रम में बदलाव के बारे में विस्तार से बताया। उपस्थित संकाय शिक्षक और शिक्षिकाओं ने लगातार पाठ्यक्रम परिवर्तन से संबंधित प्रश्न और उत्तर में उलझे हुए थे। वाणिज्य की परीक्षा पद्धति भी चर्चा में थी जहां यह संबोधित किया गया था कि परीक्षा के व्यक्तिपरक मोड को प्राथमिकता दी जाएगी। चौथे सेमेस्टर में शुरू किए जाने वाले वाणिज्य पाठ्यक्रम में अनुसंधान के तत्व पर चर्चा करने पर संकायों को सूचित किया गया कि अनुसंधान का विकल्प 75% से अधिक अंक प्राप्त करने वालों को दिया जाएगा। कार्यशाला में एक इंटरैक्टिव सत्र भी हुआ जहां संकायों को उनके सभी प्रश्नों के बारे में जानकारी मिली । सत्र के अंत में, कार्यशाला में शिक्षकों ने कॉमर्स से संबंधित नए पाठ्यक्रम के विषय में जानकारी प्राप्त की। साथ ही दोनों ही विशिष्ट वक्ताओं ने यह भी बताया कि एनईपी में ग्रामीण और शहरी दोनों कॉलेजों को ध्यान में रखते हुए पाठ्यक्रम में बदलाव पर विचार किया जाता है। कार्यशाला में लगभग 90 शिक्षक और शिक्षिकाओं ने भाग लिया। कार्यक्रम की जानकारी दी डॉ वसुंधरा मिश्र ने ।