सऊदी अरब : रूढ़िवादी मुस्लिम देश सऊदी अरब में तेजी से सामाजिक बदलाव हो रहे हैं। इस बदलाव के केंद्र में हैं महिलाएं। आज जब दुनियाभर में महिलाएं अंतरिक्ष पर पहुंच रही थीं तब सऊदी में महिलाओं का घर से निकलना तक मुश्किल था। धीरे-धीरे ही सही महिलाओं को लेकर कल यहां भी बदलाव की बयार बह निकली है। सऊदी अरब तेजी से सामाजिक बदलाव की ओर बढ़ रहा है। इस बदलाव की नई फेहरिस्त में महिलाओं को हवाई जहाज उड़ाना भी शामिल हो गया है। वक्त के साथ सऊदी में महिलाओं को लेकर कई बदलाव हुए हैं। इस बदलाव ने महिलाओं को आजादी से जीने का हक दिया है। पिछले कुछ समय में सऊदी अरब के 32 वर्षीय राजकुमार मुहम्मद बिन सलमान ने कई साहसिक फैसले लिए जिसकी दुनियाभर में तारीफ हुई। वह अपने उस वादे पर आगे बढ़ रहे हैं जिसमें उन्होंने कहा था कि उनका देश अब उदारवादी इस्लाम को अपनाएगा। सऊदी अरब ने पिछले साल सितंबर में एक आदेश जारी कर महिलाओं को पहली बार ड्राइविंग की अनुमति दी थी और अब हवाई जहाज उड़ाने की। आपको बता दें कि सऊदी अरब दुनिया का एकमात्र ऐसा देश था जहां महिलाओं के गाड़ी चलाने पर प्रतिबंध लगा हुआ था। यही नहीं इसके साथ ही यहां की महिलाओं को स्टेडियम में खेल मुकाबले देखने की अनुमति तक नहीं थी। लेकिन अब महिलाएं न केवल स्टेडियम में मैच देख पा रही हैं वहीं खेलों में उनको लेकर विचार भी बदल रही हैं। यहां महिलाओं पर अभी भी सदियों पुराने कड़े नियम, रूढ़िवादिता व सख्त कानून लागू थे लेकिन पिछले कुछ दिनों में सऊदी अरब की कई ऐसी खबरें सुर्खियों में रहीं जो महिलाओं के अधिकारों में बदलाव को लेकर उन्हें कुछ आजादी देती हैं।
महिलाओं के हाथ आया स्टीयरिंग – सऊदी अरब में महिलाएं भी अब वाहन चला रही हैं। हाल ही में इस देश ने अपने कानून में ऐतिहासिक सुधार करते हुए महिलाओं के वाहन चलाने पर लगे प्रतिबंध को समाप्त कर दिया गया है। रूढ़िवादी देश में उदारता और आधुनिकता लाने की शाहजादा मोहम्मद बिन सलमान की कोशिशों के तहत यह प्रतिबंध समाप्त किया गया।
मोहम्मद बिन सलमान सऊदी अरब में आधुनिक सोच के शासक माने जाते हैं।सऊदी ने महिलाओं को ड्राइविंग लाइसेंस जारी करना भी शुरू कर दिया है। गाड़ी चलाने के अधिकार के लिए भी उन्हें बहुत संघर्ष करना पड़ा है।
गाड़ी चलाने की आजादी के बाद हवा से बात करनी की तैयारी – सड़कों पर आजादी से गाड़ी दौड़ाने के अधिकार के बाद अब महिलाएं हवाई जहाज उड़ाने की तैयारी पहले ही कर ली थी। महिलाओं के लिए यहां पहला फ्लाइट स्कूल खोला गया है। सऊदी एक ऐसा मुस्लिम देश है जहां दशकों से महिलाओं के लिए ड्राइविंग लाइसेंस पर लगा बैन हटा दिया गया है। इसके बाद से अब उनके लिए विकास के नए रास्ते खुलते जा रहे हैं। सऊदी के पूर्वी शहर दम्मम में नई शाखा खुलने जा रही है। यह सितंबर से शुरू होगी। कंपनी का कहना है कि उन्हें अभी से बड़ी संख्या में आवेदन मिलने शुरू हो गए हैं।
महिलाओं को साइकिल/मोटरसाइकिलों की सवारी करने की अनुमति – सऊदी नेताओं ने महिलाओं को 2013 में पहली बार साइकिल और मोटरबाइक की सवारी करने की अनुमति दी थी। हालांकि, इस पर भी शर्तें हैं कि महिलाएं केवल मनोरंजक क्षेत्रों में, पूरे शरीर को ढंक कर और एक पुरुष रिश्तेदार की उपस्थित में सवारी कर सकती हैं।
वोट देने का अधिकार – 2015 में सऊदी अरब के नगरपालिका चुनाव में, पहली बार महिलाओं ने वोट डाला साथ ही उन्हें इन चुनावों में उम्मीदवार बनने का भी मौका मिला। इसके विपरीत, 1893 में, महिलाओं को वोट का अधिकार देने वाला पहला देश न्यूजीलैंड था। जर्मनी ने 1919 में ऐसा किया थ।
इन अधिकारों के लिए अब भी लड़ रही हैं महिलाएं
बैंक अकाउंट खोलना – सऊदी अरब की महिलाएं अपने पुरुष अभिभावक की अनुमति के बिना बैंक अकाउंट नहीं खोल सकतीं। यह सऊदी अरब के पितृसत्तात्मक व्यवस्था की वजह से है। अपने गठन के बाद से सुन्नी इस्लाम के कट्टर कहे जाने वाले वहाबी पंथ की ओर सऊदी अरब का झुकाव रहा है। वहाबी पंथ के मुताबिक प्रत्येक महिला का एक पुरुष अभिभावक होना जरूरी है, जो उनके अहम फैसले लेगा। ह्यूमन राइट वॉच संगठन सहित कई महिला अधिकार समूहों ने इस अभिभावक व्यवस्था की आलोचना की। ह्यूमन राइट वॉच का कहना था कि इस व्यवस्था के तहत तो महिलाएं “कानूनी तौर पर नाबालिग” हो जाती हैं जो खुद के अहम फैसले नहीं ले सकतीं।
रेस्तरां में महिलाओं को अपने पुरुष मित्र के साथ बैठने की अनुमति नहीं – सऊदी अरब के रेस्तरां में महिलाओं को अपने पुरुष मित्र के साथ बैठने की अनुमति नहीं है। सभी रेस्तरां जो पुरुषों और महिलाओं के लिए खाना परोसते हैं दो भागों में बंटे होते हैं। मतलब, यहां परिवार और सिंगल (इसका मतलब पुरुष) के लिए अलग अलग हिस्सों में बैठने की व्यवस्था होती है और सभी महिलाओं को परिवार वाले हिस्से में ही बैठना पड़ता है।
‘अबाया’ पहनना जरूरी – सऊदी अरब की महिलाओं को सार्वजनिक जगहों पर चेहरा ढकने की जरूरत नहीं है लेकिन ढीले-ढाले और पूरा तन ढकने वाले ‘अबाया’ को पहनना उनके लिए जरूरी है। जो महिलाएं इस नियम का पालन नहीं करतीं उन पर धार्मिक पुलिस यानी ‘मुतावा’ कार्रवाई करती है। कुछ शॉपिंग सेंटर में वैसी खास मंजिलें होती हैं जहां यहां कि महिलाएं अपने ‘अबाया’ को हटा सकती हैं। इस साल की शुरुआत में, एक धर्मगुरु ने कहा था कि महिलाओं को ‘अबाया’ नहीं पहनना चाहिए, यह बयान भविष्य में सऊदी अरब में ‘अबाया’ को लेकर कानून बनाने में मदद कर सकता है। हालांकि गैर सऊदी महिलाओं के ड्रेस कोड को लेकर इस देश का कानून लचीला है। अगर वो मुसलमान नहीं हैं तो बालों को ढकना उनके लिए जरूरी नहीं है।
(साभार – अमर उजाला)