नयी दिल्ली : देश में हाल ही में राम नवमी और हनुमान जयंती के दौरान हुई सांप्रदायिक हिंसा की पृष्ठभूमि में जाने-माने शायर और सामाजिक कार्यकर्ता डॉ.गौहर रज़ा का कहना है कि हिन्दुस्तान मुसलमानों की वजह से नहीं बल्कि हिन्दुओं की वजह से धर्मनिरपेक्ष मुल्क है और देश को बचाने के लिए अहिंसा के रास्ते पर चलते हुए अल्पसंख्यकों को उनका साथ देना चाहिए। शायर, वैज्ञानिक और सामाजिक कार्याकर्ता डॉ.गौहर रज़ा ने कहा कि ‘‘इस देश में मुसलमान और दलित बड़ी ताकत हैं। दलित तो और भी बड़ी ताकत हैं। दोनों मिलकर देश को बदलने में अहम किरदार अदा कर सकते हैं।’’ रज़ा ने कहा, ‘‘हिन्दुस्तान मुसलमानों की वजह से धर्मनिरपेक्ष नहीं है। यह देश यहां के धर्मनिरपेक्ष हिन्दुओं की वजह से धर्मनिरपेक्ष है।’’ हाल ही में रामनवमी और हनुमान जयंती पर सांप्रदायिक हिंसा और मुस्लिम मौहल्लों से जुलूस निकाले जाने की पृष्ठभूमि में शायर ने कहा, ‘‘ सवाल राजनीतिक संस्कृति का है और वह :भाजपाः इसे बदलने में लगी हुई है। मैं नहीं समझता कि हिंदूवादी ताकतें मुसलमानों या ईसाइयों से नफरत करती हैं लेकिन यह इनकी राजनीति है। जब धार्मिक नारे लगाए जाते हैं तो यह मजहबी नहीं सियासी हरकत है। इससे लड़ने की कोशिश भी सियासी होनी चाहिए। अगर इसे मजहबी रंग दिया गया तो इससे लड़ना मुमकिन नहीं है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मुसलमान अकेले न खुद को बचा सकता है और न देश को बचा सकता है। उसे इन धर्मनिरपेक्ष हिन्दुओं का साथ देना चाहिए और इनके साथ मिलकर लड़ना चाहिए।’ मुसलमानों को कथित तौर पर उकसाने की घटनाओं पर रज़ा ने कहा, ‘‘ मुसलमानों ने अब तक खुद पर काबू रखा है जो उम्मीद पैदा करता है।’उन्होंने जोर देकर कहा, ‘‘ महात्मा गांधी ने हमें अहिंसा का रास्ता दिखाया है। मुसलमानों को धर्मनिरपेक्ष हिन्दुओं के साथ मिलकर अहिंसक तरीके से विरोध करना चाहिए। हो सकता है कि शुरू में दुश्वारियां आएं लेकिन आखिरकार जिस तरह से देश को आजादी मिली थी उसी तरह के नतीजे आएंगे।’’
देश के मौजूदा हालात पर रज़ा ने कहा, ‘‘ नफरत कभी एक कौम तक सीमित नहीं रहती। जब नफरत के पंख फैलने शुरू होते हैं तो यह पूरे समाज को अपनी जद में लेती है। हमने यह अफगानिस्तान, पाकिस्तान और अन्य मुल्कों में देखा है। हमारी संस्थाओं का जिस तरह से राजनीतिकरण किया जा रहा है उसके नतीजे बहुत भयावह होंगे।’’