कोलकाता : भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय से संबंद्द संस्था अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद के साल्ट लेक स्थित पूर्वी क्षेत्रीय कार्यालय, कोलकाता में हाल ही में ‘हिंदी पखवाड़ा’ का समापन समारोह आयोजित किया गया। इस अवसर पर महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा के क्षेत्रीय केंद्र, कोलकाता के प्रभारी और सहायक प्रोफेसर डॉ. सुनील कुमार ‘सुमन’ मुख्य वक्ता के तौर पर उपस्थित थे। ‘राजभाषा हिंदी के विविध आयाम’ विषय पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि संवैधानिक रूप से हिंदी भले ही राजभाषा है लेकिन व्यावहारिक स्तर पर स्थिति बेहद निराशाजनक है। ऐसा सरकारी इच्छाशक्ति की कमी के चलते हो रहा है। राजभाषा हिंदी का संस्कृतनिष्ठ होना इसकी एक बड़ी कमी है। इसकी जगह सभी भारतीय भाषाओं से उपयुक्त व जरूरी शब्दों को सम्मिलित करके एक नई हिंदी विकसित करना जरूरी है, तभी पूरे भारत के सरकारी कार्यालयों में सहजता से कामकाज की भाषा के रूप में हिंदी की सर्व-स्वीकार्यता संभव हो पाएगी। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए अभातशिप के क्षेत्रीय अधिकारी डॉ भूपेन्द्र गोस्वामी ने कहा कि हिंदी देश भर में बोली-समझी जाने वाली भाषा है, इसलिए राजभाषा के रूप में यही स्वीकार्य हो सकती है। हमारा कार्यालय इसके लिए अपना पूरा प्रयास करेगा। इस समारोह में डॉ. सुनील कुमार ‘सुमन’ की देख-रेख में हिंदी कविता पाठ, पारिभाषिक शब्दावली, भाषण एवं निबंध लेखन की प्रतियोगिता का आयोजन किया गया, जिसमें संस्था के तमाम कर्मियों ने उत्साह एवं दिलचस्पी के साथ हिस्सा लिया। अंत में डॉ. सुनील ने प्रतियोगिता के निर्णायक के रूप में विजेताओं के नामों की घोषणा की।