कोलकाता । पश्चिम बंग हिंदी अकादमी द्वारा भारतीय भाषा परिषद के सभागार में ‘हिंदी पत्रकारिता की विरासत और बंगाल’ विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के प्रथम सत्र में पत्रकार गंगा प्रसाद ने कहा कि बंगाल में पत्रकारिता की विरासत नवजागरण के विचार से प्रारम्भ होती है किन्तु आज हम जिन परिस्थितियों में जहाँ खड़े हैं-वहाँ इस विरासत को देखने, समझने और उससे सीखने की जरूरत है। डॉ. इतु सिंह ने कहा तब के संपादकों के लिए पत्रिकाओं को चला पाना अपने आप में एक चुनौती थी। डॉ.प्रदीप्त मुखर्जी ने कहा आज पत्रकारिता के समक्ष विश्वसनीयता का प्रश्न खड़ा हो गया है। पत्रकार रविशंकर सिंह ने कहा उदन्त मार्तण्ड हिंदी पत्रकारिता में एक चिंगारी थी जो आज पूरे देश में मौजूद है। विनीत कुमार ने कहा भारत को स्वाधीन करने में हिंदी पत्रिका की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। आज पत्रकार और पत्रकारिता दोनों के समक्ष बहुत सी चुनौतियां हैं। प्रो.हितेंद्र पटेल ने कहा हिंदी आज जैसे फैल रही है वह मनोरंजन के रूप में अधिक है। ज्ञान-विज्ञान की भाषा और आदर्श की रक्षा के रूप में कम है।
डॉ. शंभुनाथ ने कहा पत्रकारिता की महत्वपूर्ण भूमिका है। मीडिया अंधकार पात करता है, पत्रकारिता एक समय प्रकाश पात करती थी। आज संपादक नाम की संस्था नष्ट हो चुकी है। भारतीय पत्रकारिता की शुरुआत प्रतिरोध से हुई थी, समाप्ति आत्म समर्पण से नहीं होनी चाहिए।
द्वितीय सत्र में प्रो. मीनल पारीक ने कहा हिंदी पत्रकारिता की छवि बहुत बदली है, जो बदलाव हुआ है वह डरावना भी है। डॉ. गीता दूबे ने कहा इस युग की पत्रकारिता का योगदान साहित्यिक पत्रकारिता में भी है। डॉ. इबरार खान ने कहा आज मौलिक समस्याओं को दरकिनार कर दिया जा रहा है ऐसे में पत्रकारिता में भी उसके लिए जगह नहीं बची है। ओम प्रकाश अश्क ने कहा अहिंदी प्रदेश में हिंदी को जितना सम्मान और सहयोग मिला वह अतुलनीय है।
तृतीय सत्र में राज्यवर्द्धन ने कहा आज पत्रिका क्यों और किन पाठकों के लिए निकल रही है यह भी समझने की जरूरत है। डॉ. रामप्रवेश रजक ने कहा बंगाल हिंदी पत्रकारिता की जन्मभूमि है। रामाशीष साह ने कहा आज हमें गोदी मीडिया अथवा गोदी पत्रकार बनने से बचना चाहिए। डॉ.नम्रता कोठारी ने कहा कि युवाओं को पत्रकारिता में रोजगार के अवसर तलाशने चाहिए। कार्यक्रम के संयोजक एवं हिंदी अकादमी के डाॅ.संजय जायसवाल ने कहा बंगाल नवजागरण का केंद्र होने के साथ हिंदी पत्रकारिता की जन्मभूमि भी है। इस अवसर पर भारी संख्या में विद्यार्थियों, शोधार्थियों एवं साहित्य प्रेमियों ने हिस्सा लिया।