नयी दिल्ली : देश में अगली पीढ़ी की कम्युनिकेशन सेवा यानी 5जी सेवा को लेकर सभी टेलीकॉम कंपनियां तैयारी कर रही हैं। इस बीच सुनील भारती मित्तल की भारती एयरटेल ने 5जी नेटवर्क सॉल्यूशन उपलब्ध कराने के लिए टाटा ग्रुप से हाथ मिलाया है। दोनों कंपनियों की ओर से जारी संयुक्त बयान में कहा गया है कि इस साझेदारी के तहत टाटा ग्रुप ओपन रेडियो बेस्ड O-RAN (ओपन रेडियो एक्सेस नेटवर्क) डेवलप और NSA/SA (नॉन-स्टैंडअलोन/स्टैंडअलोन) कोर डेवलप करेगा। इससे स्वदेशी टेलीकॉम स्टैक तैयार होगा। साथ ही टाटा ग्रुप और इसके साझीदार की क्षमता बढ़ेगी।
बयान में कहा गया है कि इस तकनीक का कमर्शियल डेवलपमेंट जनवरी 2022 से उपलब्ध होगा। बयान के मुताबिक, टाटा कंसलटेंसी सर्विसेज (टीसीएस) अपने ग्लोबल सिस्टम इंटीग्रेशन एक्सपर्ट्स को साथ लाएगा और 3GPP एंड O-RAN स्टैंडर्ड का एंड-टू-एंड सॉल्यूशन उपलब्ध कराने में मदद करेगा। एयरटेल पायलेट प्रोजेक्ट के तौर पर इस स्वदेशी सॉल्यूशन को 5जी रोलआउट प्लान के तहत डिप्लॉय करेगा। इसके लिए पायलट प्रोजेक्ट जनवरी 2022 से शुरू होगा। यह मेड इन इंडिया 5जी प्रोडक्ट और सॉल्यूशन ग्लोबल स्टैंडर्ड के आधार पर तैयार किए जाएंगे।
निर्यात के अवसर भी पैदा होंगे
इस 5जी सॉल्यूशन के एयरटेल के डाइवर्स और ब्राउनफील्ड नेटवर्क में कमर्शियल परीक्षण के बाद भारत के लिए निर्यात के अवसर भी पैदा होंगे। भारत अभी वैश्विक स्तर पर दूसरा सबसे बड़ा टेलीकॉम बाजार है। एनालिस्टों का कहना है कि टाटा ग्रुप के साथ साझेदारी से भारती एयरटेल का मनोवैज्ञानिक तौर पर मनोबल बढ़ेगा। 2016 में शुरू हुई रिलायंस जियो के कारण भारती एयरटेल पर दबाव बना हुआ था।
एयरटेल और टाटा ग्रुप में 2017 में भी हुआ था सौदा
यह साझेदारी एयरटेल और टाटा ग्रुप के बीच 2017 में हुए एक सौदे का नतीजा है। तब टाटा ग्रुप के घाटे में चल रहे कंज्यूमर मोबाइल कारोबार का मित्तल की कंपनी में विलय हो गया था। हालांकि, इस साझेदारी का उस सौदे से कोई सीधा कनेक्शन नहीं है। इस साझेदारी से नोकिया, एरिक्शन और हुवावे जैसे पारंपरिक उपकरण सप्लायर्स पर भी निर्भरता कम होगी। इस साझेदारी का मुख्य मुकाबला रिलायंस जियो से होगा।
5जी तकनीक को लेकर काफी उत्साहित
टाटा ग्रुप/टीसीएस के एन गणपति सुब्रमण्यम का कहना है कि हम 5जी तकनीक को लेकर काफी उत्साहित हैं। हम विश्वस्तरीय नेटवर्किंग उपकरण और समाधान तैयार करने की ओर देख रहे हैं। हम एयरटेल को अपने ग्राहक के रूप में पाकर काफी प्रसन्न हैं। अर्नेस्ट एंड यंग के टेक्नोलॉजी और टेलीकॉम पार्टनर प्रशांत सिंघल का कहना है कि इस साझेदारी से ग्लोबल बिजनेस के अवसर पैदा होंगे। इससे स्वदेशी तकनीक को लेकर लड़ाई में तेजी आएगी।
विदेशी निर्भरता कम करने के लिए स्वदेशी पर जोर दे रही है सरकार
5जी तकनीक के विकास में विदेशी निर्भरता कम करने के लिए केंद्र सरकार स्वदेशी उपकरणों के डेवलपमेंट पर जोर दे रही है। इसके लिए सरकार ने घरेलू कंपनियों के बीच साझेदारी बढ़ाने पर बल दिया है। सरकार का मकसद 5जी तकनीक में चीन और यूरोपीय देशों की महत्ता को कम करना है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद घरेलू इनोवेशन और सॉल्यूशंस को बढ़ावा देने की वकालत कर चुके हैं।
रिलायंस जियो ने विकसित किया स्वदेशी नेटवर्क
मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस जियो ने स्वदेशी 5जी नेटवर्क विकसित कर लिया है। जियो ने अमेरिकी कंपनी क्वालकॉम के साथ मिलकर 5जी समाधान तैयार किया है। अमेरिका में इसका सफल परीक्षण भी हो चुका है। इंडियन मोबाइल कांग्रेस 2020 में मुकेश अंबानी ने कहा था कि रिलायंस जियो 2021 की दूसरी छमाही (जुलाई-दिसंबर) में 5 जी लॉन्च करने की योजना बना रही है। उन्होंने आगे कहा था कि देश में डिजिटल लीड को बनाए रखने, 5जी की शुरुआत करने और इससे सस्ता और सभी जगह उपलब्ध कराने के लिए कदम उठाने की आवश्यकता है।
सरकार ने किया 5जी स्पेक्ट्रम का आवंटन
देश में 5जी सेवाएं शुरू करने के लिए सरकार ने स्पेक्ट्रम भी आवंटन कर दिया है। डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकॉम ने ट्रायल के लिए देश की तीनों प्रमुख कंपनियों रिलायंस जियो, भारती एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया को 5जी स्पेक्ट्रम का आवंटन कर दिया है। डीओटी ने तीनों टेलीकॉम कंपनियों को 700 मेगाहर्टज, 3.5 गीगाहर्टज और 26 गीगाहर्टज बैंड के स्पेक्ट्रम का आवंटन किया है। यह 5 जी ट्रायल एयरवेब्स 6 महीने के लिए आवंटित की गयी हैं। टेलीकॉम कंपनियों को शहरी क्षेत्र के साथ ग्रामीण और सेमी-अर्बन क्षेत्रों में भी ट्रायल करना होगा।