गोरखपुर : रेलवे स्टेशनों और ट्रेनों में अब बायोडिग्रेडेबल बोतल (रेल नीर) में पानी मिलेगा। रेलवे की बाटलिंग प्लांट में ऐसी बोतलें बनने लगी हैं। पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर लखनऊ से दिल्ली के बीच चल रही देश की पहली तेजस ट्रेन में बायोडिग्रेडेबल बोतलें दी जा रही हैं। जनवरी से सभी एक्सप्रेस ट्रेनों और जंक्शन स्टेशनों पर ऐसी बोतलें उपलब्ध कराने की तैयारी है। भविष्य में उपलब्धता के आधार पर स्टेशनों की संख्या बढ़ाई जाएगी।
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर रेलवे ने सिंगल यूज प्लास्टिक के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया है। आईआरसीटीसी ने अब रेल नीर की पैकेजिंग बायोडिग्रेडेबल मैटेरियल से करने का निर्णय लिया है। ये बोतलें स्वत: नष्ट हो जाएंगी।गोरखपुर जंक्शन पर रोजाना 24 हजार पानी की बोतलों की खपत है। गोरखपुर से जाने वाली हर ट्रेन में करीब 500 से 700 बोतलें दी जातीं हैं। खानपान के स्टॉलों से भी रेलनीर की बिक्री की जाती है। देशभर में रेलवे के रेलनीर के 10 प्लांट हैं। जिनकी क्षमता 10.9 लाख लीटर प्रतिदिन है। रेलनीर के चार नए प्लांट 2021 लगाने की तैयारी की है। आईआरसीटीसी के इस प्रस्ताव को रेलवे बोर्ड ने मंजूरी दे दी है। आईआरसीटीसी, मुख्य क्षेत्रीय प्रबंधक अश्विनी श्रीवास्तव के बताया कि तेजस एक्सप्रेस में यात्रियों को बायोडिग्रेडेबल मैटेरियल से तैयार पानी की बोतलें दी जा रही हैं। अभी मुम्बई प्लांट से बोतलों की आपूर्ति होती है। जल्द ही अन्य प्लांट से भी बोतलों की आपूर्ति शुरू हो जाएगी। दो से तीन महीने में अन्य ट्रेनों व स्टेशनों पर भी बायोडिग्रेडेबल पानी की बोतलें उपलब्ध कराई जाएंगी।