वजन को संतुलित रखने के लिए आपने बकायदा एक वर्कआउट रूटीन अपना लिया। आप उसी हिसाब से रोज कसरत कर रहे हैं और पसीना बहा रहे हैं। लेकिन फिर भी नतीजा वैसा नहीं मिल पा रहा जैसा आपने सोचा था। अगर ऐसा है तो एक बार अपने कैलोरी के हिसाब-किताब पर जरूर नजर डालें।
अपने खान-पान को लेकर अक्सर हम यह बात नजरअंदाज कर डालते हैं कि हम शरीर को जितनी जरूरत है उतनी कैलोरीज दे पा रहे हैं या नहीं और यदि कैलोरीज जरूरत से ज्यादा हो रही हैं तो क्या हम उन्हें उसी मात्रा में खर्च भी कर पा रहे हैं? यही गणित असल में तमाम रिजल्ट पर असर डालता है। उदाहरण के लिए, एक स्वस्थ आदमी को संतुलित वजन रखने के लिहाज से प्रतिदिन लगभग ढाई हजार किलो कैलोरीज की आवश्यकता होती है।
ऐसे में यदि वह इससे डेढ़ या दो गुना अतिरिक्त कैलोरीज लेता है लेकिन वर्कआउट इतना करता है कि केवल ढाई-तीन हजार किलो कैलोरी को ही बर्न कर सके तो ऐसे में बाकी बची कैलोरीज एक्स्ट्रा कैलोरीज में आएंगी। अगर उसका रूटीन रोज ऐसा ही होता है तो जाहिर है कि उसके शरीर पर वर्कआउट का कोई खास असर नहीं पड़ेगा। इसमें एक और ध्यान रखने लायक बात यह भी है कि कैलोरीज के खर्च होने की क्षमता पर उम्र, मेटाबॉलिज्म और स्थितियों का भी बहुत असर रहता है। इसलिए इन बिंदुओं पर भी काम जरूर करें।
अब कैलोरीज के जमा-खर्च को संतुलित बनाए रखने के लिए आपको जरूरत है थोड़े से गणित को लागू करने की। ऐसा भी नहीं कि इसके लिए आप बिलकुल एक-एक ग्राम का आंकड़ा ध्यान में रखें लेकिन एक बार किसी विशेषज्ञ से सलाह लेकर अपने लिए एक मोटा-मोटा चार्ट बना लें कि किस खाने से आपको कितनी कैलोरीज मिलेंगी। एक बार जब आपको इसकी आदत पड़ जाएगी तो अपने आप अंदाज आता चला जाएगा और आप सही तरीके से अपने लक्ष्य की ओर बढ़ पाएंगे। पहले-पहल इसमें थोड़ा कन्फ्यूजन हो सकता है लेकिन धीरे-धीरे यह रूटीन बन जाएगा।
अब खान-पान के साथ ही अपने व्यायाम के तरीकों पर फोकस करें। सबसे पहले तो यह रूल खुद पर लागू करें कि व्यायाम के तुरंत बाद आप कुछ भी नहीं खाएंगे और इसके आधे घंटे बाद भी वह डाइट लेंगे जिसमें फाइबर और पानी ज्यादा हो जैसे फल, अंकुरित अनाज, सलाद, उपमा, कॉर्नफ्लेक्स, ओट्स, नट्स आदि।
अगर आपके फिटनेस सेंटर के आस-पास की नाश्ते की दुकानें आपको आकर्षित करती हैं तो खुद पर कंट्रोल करना सीखिए क्योंकि जिम जाने वाले कई लोगों में वजन के न घटने या कई मामलों में तो बढ़ जाने के पीछे भी यह एक बड़ा कारण होता है। अब जो भी व्यायाम आप कर रहे हैं उसे बदलते रहें। जैसे कार्डियो, एरोबिक्स, योगा आदि का मिश्रण अपनाएं। यानी व्यायाम को एक जैसा न रहने दें। इससे आपके शरीर को किसी भी एक व्यायाम की आदत नहीं पड़ेगी और ऐसा होने से वजन को घटाने में ज्यादा मदद मिल सकेगी।
अपने भोजन को टुकड़ों में बांटना हर लिहाज से सर्वोत्तम तरीका है। इससे न केवल सामान्यतौर पर स्वस्थ रहने में मदद मिलेगी बल्कि डायबिटीज, उच्च रक्तचाप जैसी लाइफस्टाइल डिसीज को भी इससे कंट्रोल में रखा जा सकेगा। सबसे खास बात यह कि इस तरीके से कैलोरीज के जमा होने और खर्च होने में सही संतुलन बनाया रखा जा सकेगा।