नयी दिल्ली : अयोध्या विवाद पर ऐतिहासिक फैसला सुनाने वाले सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई अपने 13 महीने का कार्यकाल पूरा कर गत रविवार को सेवानिवृत्त हो गए। बतौर जज और प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) उनका कार्यकाल कई बार विवादों में रहा लेकिन, उन्होंने इसे अपने न्यायिक काम के बीच आने नहीं दिया। चीफ जस्टिस गोगोई ने रविवार को आंध्र प्रदेश के तिरुमाला स्थित भगवान वेंकटेश्वर के दर्शन किए। इस दौरान उनकी पत्नी रूपांजलि गोगोई भी मौजूद थीं। रविवार सुबह मंदिर पहुंचने पर पुजारियों ने चीफ जस्टिस और उनकी पत्नी का पारंपरिक तरीके से स्वागत किया। पूजा अर्चना के बाद चीफ जस्टिस दिल्ली रवाना हो गए। सेवानिवृत्ति से करीब एक सप्ताह पहले सीजेआई गोगोई की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने अयोध्या में दशकों पुराने भूमि विवाद का सफलतापूर्वक निपटारा किया। इसके साथ ही उनका नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया। पिछले साल जनवरी में तत्कालीन सीजेआई दीपक मिश्रा के कार्यकाल के दौरान प्रेस कॉन्फ्रेंस करने वाले चार जजों में जस्टिस गोगोई भी शामिल थे। इसके बाद एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा था कि स्वतंत्र न्यायाधीश और शोरगुल वाले पत्रकार लोकतंत्र की रक्षा की पहली पंक्ति हैं।
सबरीमाला पर महिलाओं को दिया हक
चीफ जस्टिस गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच जजों की पीठ ने पिछले साल केरल के सबरीमाला मंदिर में 10 से 50 साल की उम्र की महिलाओं के प्रवेश को लेकर महत्वपूर्ण फैसला सुनाया था। पांच सदस्यीय पीठ के तीन जजों ने मंदिर में महिलाओं के प्रवेश के हक में फैसला दिया था। इस फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल की गई है, जिसे अब संविधान पीठ के पास सुनवाई के लिए भेजा गया है।
केंद्र की मोदी सरकार को दी बड़ी राहत
चीफ जस्टिस गोगोई को लड़ाकू विमान राफेल की खरीद को लेकर मोदी सरकार को क्लीन चिट देने के लिए भी याद रखा जाएगा। विपक्ष ने इस रक्षा सौदे में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए इसकी जांच की मांग की थी, जिसे गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने खारिज कर दिया था। असम से ताल्लुक रखने वाले गोगोई ने 3 अक्तूबर, 2018 को देश के 46वें मुख्य न्यायाधीश के तौर पर शपथ ली थी। उनका कार्यकाल 13 महीने का था।