यह ऐसा समय है जिसे आधुनिक समाज ने देखा न था..कल्पना नहीं की थी…हर ओर त्रासदी है…कोरोना की दूसरी लहर के कारण पूरी दुनिया में हाहाकार मचा है…। परम्परागत मीडिया से लेकर सोशल मीडिया…हर जगह स्थिति यही है…हालात कठिन हैं…ऑक्सीजन और दवाओं की कमी से परेशान हैं सब…हम मानते हैं कि यह समय कठिन है…कालाबाजारी हो रही है पर क्या आपने ध्यान दिया कि इस समय आलोचनाओं के बीच लोग एक दूसरे की मदद कर रहे हैं,….जिसकी जितनी क्षमता है…वह मदद को आगे आ रहा है….दुनिया में अच्छे और बुरे लोग थे, हैं और रहेंगे….मगर इन सबके बीच अच्छी बात यह है कि अच्छे लोग और अच्छाई है….क्या यह हमारे लिए सुकून वाली बात नहीं है….?
बड़े कहते हैं कि जीवन में तूफान आए तो उसे गुजर जाने देना चाहिए….क्योंकि तूफान कैसा भी हो…स्थायी नहीं होता…..कोरोना संकट भी स्थायी नहीं है, भले ही यह तूफान हो या सुनामी ही क्यों न हो,…खुद ईश्वर को भी यह सृष्टि चलानी है क्योंकि यह सृष्टि हमारे ही नहीं बल्कि उनके अस्तित्व की परिचायक है….विश्वास रखिए…..कोरोना संक्रमित होने पर भी पर भी सकारात्मक सोच, किताबें, संगीत, सांस से जुड़े व्यायाम, गर्म पानी, भाप…दोस्तों से गप… और सबसे अधिक उस ईश्वर पर विश्वास…..आपकी रक्षा करेगा…..कोरोना से अधिक कोरोना का भय लोगों को परेशान कर रहा है…कोरोना तो है ही….महामारी और संकट के बीच है….फिर भी कहती हूँ प्रलय के महाजाल पर सृजन का बीज भारी है…।
अपनी कमान उसके हाथ में दीजिए …..अपने जीवन के रथ का सारथी उसे बनाइए…फिर वही आपकी रक्षा का भार लेगा और सही कर्म का रास्ता दिखाएगा….जीवन में एक अच्छी रुचि का होना बहुत आवश्यक है…कुछ न हो तो यू ट्यूब पर डीआईवी देखकर चीजें बनाइए…आपको पता ही नहीं चलेगा कि समय कितनी जल्दी समय बीत रहा है….हर सुबह नयी उम्मीद लेकर आती है…और हर रात के बाद सुबह होती है…यह सुबह भी जरूर होगी और सृजन के सामने यह प्रलय भी पराजित होगा।