– सभी हाईकोर्ट से मांगी स्टेटस रिपोर्ट
नयी दिल्ली । उच्चतम न्यायालय ने तेजाब के हमले से संबंधित मामलों के धीमे ट्रायल पर चिंता जताई है। चीफ जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ ने सभी उच्च न्यायालयों को संबंधित मामलों की स्टेटस रिपोर्ट चार हफ्तों में दाखिल करने का निर्देश दिया है। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सुझाव दिया कि इससे जुड़े मामलों की सुनवाई के लिए स्पेशल कोर्ट गठित किए जाएं। कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि वह इस संबंध में कानून में संशोधन करने पर विचार करें, ताकि तेजाब से पीड़ित लोगों को राइट आफ पर्संस विद डिसेबिलिटी एक्ट के तहत दिव्यांग की परिभाषा में शामिल किया जा सके। यह याचिका एसिड हमले से पीड़ित शाहीन मलिक ने दायर की है। एसिड अटैक के मामले में उच्चतम न्यायालय में एक और याचिका पहले से लंबित है, जिसे मुंबई के एनजीओ एसिड सर्वाइवर्स साहस फाउंडेशन ने दायर किया है। याचिका में 2023 के लक्ष्मी बनाम भारत संघ के फैसले का हवाला दिया गया है, जिसमें कहा गया है कि एसिड अटैक पीड़ित को सरकारी और निजी अस्पतालों में मुफ्त इलाज मिलना चाहिए। कोर्ट ने कहा था कि संबंधित राज्य सरकार की ओर से देखभाल और पुनर्वास लागत के रुप में न्यूनतम 3 लाख का मुआवजा दिया जाना चाहिए। चीफ जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने राज्य विधिक सेवा प्राधिकरणों को एक चार्ट बनाने का भी निर्देश दिया, जिसमें पीड़ितों या उनके परिवार के सदस्यों से मुआवजा मांगने का समय और इसे प्राप्त करने का दिन शामिल करने को कहा गया है। पीड़ितों को मुआवजा मिलने में देरी पर राज्य विधिक सेवा प्राधिकरणों से संपर्क करने को कहा है। याचिका में मांग की गई है कि एसिड अटैक के पीड़ितों को दिव्यांग की तरह का दर्जा दिया जाए, ताकि उसे दूसरी सुविधाएं मिल सकें।





