पुणे । भारत के औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) ने मंगलवार को सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) को ऐंटी सर्विकल कैंसर और देश में विकसित भारत के पहले क्वाड्रिवेलेंट ह्यूमन पैपिलोमावायरस टीके (क्यूएचपीवी) के मैन्युफैक्चरिंग के लिए मार्केटिंग क्लीयरेंस मिल गई है। यह भारत में सर्विकल कैंसर के खिलाफ विकसित पहली स्वदेशी वैक्सीन है जिसे इसी साल के अंत तक लॉन्च किया जा सकता है। गौरतलब है कि सर्विकल कैंसर 15-44 वर्ष आयु वर्ग की महिलाओं में दूसरा सबसे अधिक बार होने वाला कैंसर है।
सीरम इंस्टिट्यूट के सीईओ अदार पूनावाला ने ट्वीट कर इसके बारे में जानकारी दी। उन्होंने लिखा, ‘पहली बार महिलाओं में सर्विकल कैंसर के इलाज के लिए एक भारतीय एचवीपी वैक्सीन होगी जो सस्ती और सुलभ दोनों हैं। हम इस साल के अंत इसे लॉन्च करने के लिए उत्सुक हैं। हम इसे मंजूरी देने के लिए डीसीजीआई को धन्यवाद देते हैं।’
दो तिहाई क्लीनिकल ट्रायल पूरा
डीसीजीआई की मंजूरी इस पर 15 जून को केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) की कोविड-19 पर विषय विशेषज्ञ समिति की सिफारिश के बाद आई है। आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि जैव प्रौद्योगिकी विभाग के सहयोग से चरण 2/3 क्लिनिकल ट्रायल पूरा होने के बाद इसकी शीघ्र उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए सीरम इंस्टिट्यूट में निदेशक (सरकारी और नियामक मामलों) प्रकाश कुमार सिंह ने डीसीजीआई को आवेदन कर क्यूएचपीवी के लिए मार्केटिंग क्लीयरेंस की मंजूरी मांगी थी।
हजार गुना अधिक असरदार है वैक्सीन
टीकाकरण पर राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह (एनटीएजीआई) ने भी टीके के क्लिनिकल परीक्षण से संबंधित डेटा की समीक्षा करने के बाद हाल में क्यूएचपीवी को स्वीकृति प्रदान कर दी थी। समझा जाता है कि डीसीजीआई को दिए गए आवेदन में प्रकाश कुमार सिंह ने कहा है कि क्यूएचपीवी टीके सेरवावैक ने मजबूत एंटीबॉडी प्रतिक्रिया का प्रदर्शन किया है जो सभी लक्षित एचपीवी प्रकारों और सभी खुराक और आयु समूहों के आधार पर लगभग 1,000 गुना अधिक प्रभावी है।
आवेदन में, प्रकाश कुमार सिंह ने उल्लेख किया था कि हर साल लाखों महिलाओं को सर्विकल कैंसर के साथ-साथ कुछ अन्य कैंसर का पता चलता है और मृत्यु दर भी बहुत अधिक है। भारत में सर्विकल कैंसर 15 से 44 वर्ष आयु समूह की महिलाओं में दूसरा सर्वाधिक होने वाला कैंसर है।