अगरतला । त्रिपुरा के एक तत्कालीन महाराजा द्वारा निर्मित एवं एक सदी पुराने पुष्पबंता पैलेस को राष्ट्रीय स्तर के संग्रहालय एवं सांस्कृतिक केंद्र के रूप में विकसित किया जा रहा है।
राज्य की राजधानी में एक छोटी सी पहाड़ी पर स्थित इस महल का निर्माण 1917 में महाराजा बीरेंद्र किशोर माणिक्य द्वारा किया गया था। वह खुद एक चित्रकार थे और इस महल को एक स्टूडियो के रूप में इस्तेमाल करते थे।
नोबेल पुरस्कार से सम्मानित रवींद्रनाथ टैगोर का शाही परिवार से घनिष्ठ संबंध था। उन्होंने सात बार त्रिपुरा का दौरा किया था। वर्ष 1926 में राज्य के अपने अंतिम दौरे के दौरान, टैगोर पुष्पबंता पैलेस में रुके थे।
विशेषज्ञों ने कहा कि टैगोर का 80वां जन्मदिन यहां महाराजा बीर बिक्रम किशोर माणिक्य द्वारा मई 1941 में एक कार्यक्रम के दौरान मनाया गया था।
टैगोर के पुष्पबंता पैलेस आगमन से संबंधित दस्तावेज और उनके काम के अंश प्रस्तावित संग्रहालय में प्रदर्शित किए जाएंगे।
वर्ष 1949 में रियासत के भारतीय संघ में विलय होने के बाद, 4.31 एकड़ में फैले महल को मुख्य आयुक्त के बंगले और फिर राजभवन में तब्दील कर दिया गया था। यहां 2018 तक राजभवन रहा, जिसे बाद में एक नये भवन में स्थानांतरित कर दिया गया।
राज्य के पर्यटन मंत्री प्रणजीत सिन्हा रॉय ने बताया कि महल को महाराजा बीरेंद्र किशोर माणिक्य संग्रहालय और सांस्कृतिक केंद्र के रूप में विकसित करने के लिए 40.13 करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं।
उन्होंने कहा कि यह सभी पूर्वोत्तर राज्यों की समृद्ध विरासत, दक्षिण-पूर्व एशियाई ललित कला और समकालीन फोटोग्राफी के साथ-साथ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय अभिलेखागार को प्रदर्शित करेगा।