हिंदू नववर्ष “विक्रम संवत 2080” पर किया गया आयोजन
कोलकाता । हिंदू नववर्ष “विक्रम संवत 2080” के शुभ अवसर पर श्री राम सेवा समिति ट्रस्ट, एकल श्रीहरि सत्संग समिति, साल्टलेक सांस्कृतिक संसद और हरियाणा सेवा सदन के संयुक्त तत्वाधान में कोलकाता के साइंस सिटी ऑडिटोरियम में “मां, मातृभूमि और मोहब्बत” कार्यक्रम का आयोजन किया गया । “तेरी मिट्टी में मिल जावा” जैसे गीतों के लोकप्रिय गीतकार, कवि, पटकथा लेखक और सिनेमा जगत की जानी मानी हस्ती शब्दयोगी मनोज मुंतशिर शुक्ला ने अपनी कविताओं और संवादों से दर्शकों में जोश भर दिया ।
उनके सरल छंद श्रोताओं के दिलों को छू गए। उनके साथ लोकप्रिय गायक आशीष कुलकर्णी और इशिता विश्वकर्मा ने अपनी गायकी से दर्शको का मन मोह लिया । ऑडिटोरियम अपनी क्षमता से अधिक भरा था । कार्यक्रम के आयोजक श्री राम सेवा समिति ट्रस्ट, एकल श्रीहरि सत्संग समिति, साल्टलेक सांस्कृतिक संसद और हरियाणा सेवा सदन जैसे गैर-लाभकारी संगठन थे जो पिछले कई वर्षो से समाज सेवा के लिए समर्पित है।इस कार्यक्रम में इन संस्स्थाओं द्वारा समाज के लिए किये जा रहे कार्यो की झलकियो को भी प्रदर्शित किया गया जिससे बड़ी संख्या में मौजूद दर्शकों तक इनके बारे में जागरूकता फैलाने में मदद मिली।
कार्यक्रम में इन सभी संस्थाओं के सदश्यों, दानदाताओं ने उपस्थित होकर सहभागिता की ओर कोलकाता के अधिकांश प्रतिष्ठित उद्योगपति व समाजसेवी इस कार्यक्रम में शामिल हुए। दीप प्रज्वलनकर्ता – श्री सजन कुमार जी बंसल, कार्यक्रम अध्यक्ष – श्री विश्वनाथ जी सेकसरिया, मुख्य वक्ता – श्री दीनदयाल जी गुप्ता, मुख्य अतिथि – श्री सत्यनारायण जी देवरिया थे। इस आयोजन को बालव्यास आचार्य श्रीकांत जी शर्मा का आशीर्वाद प्राप्त हुआ । विशिष्ट अतिथियों में प्रह्लाद राय अग्रवाल, रमेश कुमार जी सरावगी, गोविन्द राम जी अग्रवाल, ललित जी बेरीवाल, प्रदीप जी टोडी, बनवारी लाल जी सोती एवं शामिल थे। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सजन कुमार बंसल ने कहा “स्वामी विवेकानन्द ने कहा था यदि हमें गौरव से जीने का भाव जगाना है अपने अन्तर्मन में राष्ट्र भक्ति के बीज को पल्लवित करना है तो राष्ट्रीय तिथियों का आश्रय लेना होगा।” विशिष्ट अतिथि रमेश कुमार जी सरावगी ने कहा “यही समय है जब देश के विभिन्न भागों में उत्सव मनाये जाते हैं। नक्षत्र शुभ स्थिति में होते हैं जो कि किसी कार्य को करने का शुभ मुहूर्त होता है।” प्रधान अतिथि सत्य नारायण देवरालिया ने कहा “यह दिन हमारे मन में यह उद्घोष जगाता है कि हम पृथ्वी माता के पुत्र हैं, सूर्य, चन्द्र व नवग्रह हमारे आधार हैं, प्राणी मात्र हमारे परिवारिक सदस्य हैं तभी हमारी संस्कृति का बोध वाक्य ”वासुदेव कुटम्बकम“ का सार्थक्य सिद्ध होता है।” कार्यक्रम के अध्यक्ष विश्वनाथ सेक्सरिया ने कहा “यह सृष्टि की रचना का प्रथम दिवस है। मान्यता है कि इसी दिन सर्व प्रथम सूर्योदय हुआ था। प्रभु श्री राम ने लंका विजय के बाद राज्याभिषेक के लिए इसी दिन का चयन किया था।” मुख्य वक्ता दीनदयाल गुप्ता ने कहा “हमें गर्व के साथ भारतीय नव वर्ष यानि विक्रम संवत् प्रतिप्रदा को मनाना चाहीये और अपनी नई पीढ़ी को अपनी प्राचीन व अतुलनीय संस्कृति को सम्मान देने हेतु प्रेरित करना चाहिये।”