मिदनापुर। अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के अवसर पर विद्यासागर विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग की ओर से परिचर्चा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया।इस अवसर पर स्वागत वक्तव्य देते हुए विभागाध्यक्ष डॉ. प्रमोद कुमार प्रसाद ने कहा कि भाषा का हमारे जीवन में अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। भाषा विचार विनिमय का सशक्त माध्यम है। हमें अपनी-अपनी मातृभाषा से जुड़े रहने की जरूरत है। अध्यक्षीय वक्तव्य देते हुए प्रो. दामोदर मिश्र ने कहा कि यह दिवस भाषा के लिए शहीद होने वाले विद्यार्थियों के प्रति श्रद्धांजलि है। यह आंदोलन एक भाषा के दायरे से निकलकर दुनिया की तमाम भाषाओं के साथ जुड़ गया है। हमें सभी भाषाओं का सम्मान करना चाहिए।इस अवसर पर शोधार्थी रूपेश कुमार यादव ने कहा कि आज मातृभाषाओं पर सांस्कृतिक साम्राज्यवाद और भाषायी वर्चस्व का खतरा बढ़ा है।उनसे टकराने के लिए हमें सांस्कृतिक आयोजनों से अपनी पीढ़ी को जोड़ना होगा।शोधार्थी मिथुन नोनिया ने कहा कि मातृभाषाएँ ही हमारी अस्मिता की पहचान हैं। उष्मिता गौड़ा ने कहा मातृभाषाओं को सम्मान मिलने से संभावनाओं में विस्तार होगा। इस अवसर पर संजीत महतो,शशि यादव,मोनू,प्रिया चौधरी एवं नंदिनी साव ने गीत और कविताएं प्रस्तुत की। कार्यक्रम का संचालन करते हुए विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. संजय जायसवाल ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस को बलिदान दिवस के तौर पर मनाने से ज्यादा जरूरी है कि हम आंतरिकता के साथ मातृभाषाओं को सक्षम बनाएं। उन्हें सृजन ,संवाद और रोजगार से जोड़ने की जरूरत है। यह दिवस सांस्कृतिक बहुलता,बहुभाषिकता और भाषा संरक्षण के पर्व के रूप में मनाना चाहिए। धन्यवाद ज्ञापन करते हुए विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. श्रीकांत द्विवेदी ने कहा कि मातृभाषाओं को रोजगार और समुचित पठन-पाठन की व्यवस्था के बिना हम आगे नहीं ले जा सकते हैं।इसे ज्ञान, विज्ञान और व्यापक मानवीय सरोकार की भाषा बनाने की जरूरत है।