जिस तरह हम लॉकडाउन संभालने के लिए तैयार नहीं थे। इसी तरह हमारे बच्चे भी तैयार नहीं थे, जहाँ उन्हें बंद स्कूल, बाहर खेलने न जा पाने, कोई रियल-लाइफ दोस्ती न होने का सामना करना पड़ रहा है। बतौर पैरेंट्स बच्चों को इस अनचाहे तनाव से उबरने और सामान्य जीवन जीने के लिए गाइड करना मुश्किल काम हो गया है। खासतौर पर तब, जब बच्चे मिडिल या प्राइमरी स्कूल में पढ़ते हों। यही वह उम्र है, जब हम उन्हें जिंदगी के लिए तैयार करते हैं। तो सवाल यह उठता है कि हम बतौर पैरेंट्स इस स्थिति में उनकी मदद कैसे कर सकते हैं। विशेषज्ञों ने कुछ सिंपल टिप्स दिए हैं, जिससे बच्चे एक्टिव रह सकते हैं।
डिवाइस से दूरी – हमारी ही तरह बच्चे भी तनाव महसूस कर रहे होंगे और अपने डिजिटल गैजेट्स में व्यस्त होंगे। वे पहले की तुलना में ज्यादा ऑनलाइन होंगे। अभी की स्थिति में बहुत-सी चीजें ऐसी हैं जो आम दिनों की तुलना में अनियंत्रित हैं, लेकिन फिर भी कुछ बातें अब भी नियंत्रण में रखी जा सकती हैं। हम यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि बच्चों की नींद अच्छी हो। इसके लिए बेडरूम्स में कोई डिवाइस या गैजेट नहीं होना चाहिए। इसके अलावा हमें बच्चों को अच्छा खाने और एक्सरसाइज करने के लिए भी प्रोत्साहित करना चाहिए।
बच्चों से बात – हमें बच्चों की भावनाओं का सम्मान कर उन्हें स्वीकार करना चाहिए। हो सकता है कि कुछ मामलों में यह सही न हो, लेकिन आमतौर पर हम माता-पिता बच्चों की भावनाएं नहीं समझते हैं। उन्हें सोशल मीडिया का इस्तेमाल न करने और लोगों से व्यक्तिगत रूप से बात करने के फायदों के बारे में बताएं।
इंडोर गेम्स – मानसिक और शारीरिक रूप से फिट रहने के लिए बच्चों को ऑनलाइन गेम्स खेलने या नेटफ्लिक्स, अमेजन प्राइम आदि पर पसंदीदा सीरीज देखने के बजाय कुछ इंडोर गेम्स खेलने के लिए प्रोस्ताहित करें। जैसे चेस, कैरम, लूडो आदि।
अच्छे शौक – बच्चों की अच्छे शौक पैदा करने में मदद करें। जैसे पढ़ना, बागबानी और कुकिंग। अच्छी किताबें और उपन्यास पढ़ने से उन्हें अच्छा ज्ञान पाने में मदद मिलेगी और वे बेहतर इंसान बन पाएंगे। हालांकि बाकी शौक भी पढ़ने जितने ही जरूरी हैं। यह उनकी रुचि पर निर्भर करता है। शौक जो भी हो, पैरेंट को उसे विकसित करने में मदद करनी चाहिए।
अनुशासित दिनचर्या – हमें बच्चों की अनुशासित और लक्ष्य आधारित जीवन अपनाने में मदद करनी चाहिए। बच्चों को अच्छी सेहत, ज्ञान और सामाजिक जिम्मेदारियों के महत्व के बारे में पता होना चाहिए। और यह सब तभी हासिल किया जा सकता है, जब वे अनुशासन में हों और उनका ध्यान केंद्रित हो।
मनोवैज्ञानिक तैयारी – कोविड-19 बीमारी की वजह से हुए इस लॉकडाउन के बाद कई बच्चे जो 15 साल से कम उम्र के हैं, वे अब तनाव में हैं क्योंकि उनकी रोजाना की आदतों और रुटीन में बहुत कुछ बदल गया है। इस मुश्किल परिस्थिति में बतौर पैरेंट्स हमें बच्चे की सायकोलॉजी पर काम करना होगा और भविष्य की चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए उसे सकारात्मक दिशा देनी होगी।
हमें उन्हें यह समझाना होगा कि इस तरह की समस्याएं भविष्य में भी आ सकती हैं और उन्हें इनका सकारात्मक रवैये के साथ सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए। पैरेंट्स के लिए बच्चों को यह बताना अब आवश्यक हो गया है कि वे मन पर गैरजरूरी बोझ या तनाव न लें क्योंकि इससे उनकी नींद, खाने की आदतों पर असर हो सकता है और कई गंभीर बीमारियों की भी आशंका है। इस परिस्थिति में हमें उनके साथ बात करने के लिए और खेलने के लिए ज्यादा से ज्यादा वक्त देना होगा।
(साभार – दैनिक भास्कर)