लॉकडाउन के बाद ऑटो इंडस्ट्री को सस्ते उत्पाद और मेक इन इंडिया पर देना होगा जोर

मुम्बई : देश की ऑटो इंडस्ट्री को कोविड-19 के बाद कारोबार में स्थिरता के लिए सस्ते प्रोडक्ट, लोकलाइजेशन और ऑटोमेशन पर जोर देना होगा। नॉमुरा रिसर्च इंस्टीट्यूट कंसल्टिंग एंड सॉल्यूशंस इंडिया की मंगलवार को जारी रिपोर्ट में यह बात कही गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि लॉकडाउन खत्म होने के बाद ऑटो इंडस्ट्री को मजदूरों के प्लांट में ही रुकने, स्वास्थ्य सुविधाएं और सुरक्षा बढ़ाने के साथ ही डिजिटाइजेशन में निवेश करने जैसे कदम उठाने की जरूरत होगी।
आने वाले दिनों कोविड-19 का आर्थिक असर बढ़ेगा
रिपोर्ट में ऑटो इंडस्ट्री के लिए राहत पैकेज की सिफारिश भी की गई है क्योंकि, इस सेक्टर का इंडस्ट्रियल जीडीपी में 50% योगदान होता है। प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर सबसे ज्यादा रोजगार देने वाली इंडस्ट्री भी यही है। कोविड-19 से पहले भी करीब डेढ़ साल से ऑटो इंडस्ट्री में स्लोडाउन चल रहा था। रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनियाभर की अर्थव्यवस्थाओं पर कोविड-19 का असर साफ दिख रहा है, आने वाले महीनों में इसका असर और बढ़ेगा।
भारतीय ऑटो पार्ट्स मेकर के पास चीन का विकल्प बनने का मौका
नॉमुरा की रिसर्च के मुताबिक मौजूदा संकट देश के ऑटो पार्ट्स मेकर के लिए एक मौका भी है। वे ग्लोबल वैल्यू चेन में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाकर चीन का विकल्प बन सकते हैं। इसके लिए तकनीक का इस्तेमाल बढ़ाना जरूरी है। रिपोर्ट में यह सलाह भी दी गई है कि दुनियाभर में आर्थिक संकट को देखते हुए देश की मजबूत कंपनियां दूसरे देशों की फर्मों और तकनीक को खरीद सकती हैं। इससे दूसरे देशों का विकल्प बनने के लिए उनकी स्थिति मजबूत होगी और मेक इन इंडिया को भी बढ़ावा मिलेगा।
मार्च में यात्री वाहनों की बिक्री 51% घटी
कोविड-19 के असर और लॉकडाउन की वजह से मार्च में यात्री वाहनों की घरेलू बिक्री में 51% कमी आई। पिछले महीने 1 लाख 43 हजार 14 वाहन बिके। पिछले साल मार्च में यह आंकड़ा 2 लाख 91 हजार 861 यूनिट था। कमर्शियल वाहनों की बिक्री 88.95% घटकर 13 हजार 27 यूनिट रह गई, मार्च 2019 में 1 लाख 9 हजार 22 वाहन बिके थे। सोसायटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबिल मैन्युफैक्चरर्स (एसआईएएम) ने सोमवार को मार्च के आंकड़े जारी किए थे।

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