नयी दिल्ली । यह कहानी मलेशिया के पेनांग में रहने वाली एक भारतीय मूल की मां रचेल कौर की है। वह रोज पेनांग से 300 किलोमीटर कुआलालंपुर जाती और वापस आती हैं। इतना सफर करने की वजह से लोग उन्हें “सुपर कम्यूटर” कह रहे हैं। यह महिला हर रोज़ सुबह 4 बजे उठकर नौकरी पर जाने की तैयारी करती है। वह हफ्ते में पांच दिन ऑफिस जाती है और दो दिन बच्चों के साथ क्वालिटी टाइम बिताती हैं। लेकिन खास बात यह है कि वह सड़क से नहीं, बल्कि हवाई जहाज़ से ऑफिस जाती है।
एक रिपोर्ट के अनुसार, रचेल कौर एयर एशिया के फाइनेंस डिपार्टमेंट में सहायक प्रबंधक है। एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि कैसे वह रोज़ाना आने-जाने का सफर फ्लाइट से करती हैं। रचेल का कहना है कि यह तरीका न सिर्फ़ सस्ता है, बल्कि इससे उन्हें अपने बच्चों के साथ ज़्यादा समय बिताने का भी मौका मिलता है। रचेल ने सीएनए इनसाइडर को बताया, “मेरे दो बच्चे हैं, दोनों बड़े हो रहे हैं। मेरा बड़ा बेटा, 12 साल का है। और, बेटी 11 साल की। जैसे-जैसे वे बड़े हो रहे हैं, मुझे लगता है कि एक मां का उनके साथ ज़्यादा रहना ज़रूरी है। इस व्यवस्था से मैं हर रोज़ घर जा सकती हूं और रात में उनके साथ वक्त बिता सकती हूं।” पहले रचेल कुआलालंपुर में अपने दफ्तर के पास ही किराए के मकान में रहती थीं। इस वजह से वह हफ्ते में सिर्फ़ एक बार पेनांग जा जाती थीं। यह रूटीन उनके काम और निजी जीवन के बीच संतुलन बिगाड़ रहा था। बच्चों को कम समय दे पाती थीं। इसलिए, साल 2024 की शुरुआत में, उन्होंने रोज़ाना हवाई जहाज़ से यात्रा करने का फ़ैसला किया। उनका कहना है कि इससे उन्हें अपने निजी और पेशेवर जीवन के बीच बेहतर तालमेल बिठाने में मदद मिली है।आप सोच रहे होंगे कि दफ्तर के पास किराये के मकान में रहने के बजाय रोज फ्लाइट से यात्रा तो महंगा ऑप्शन होगा। लेकिन आपको यह जान कर आश्चर्य होगा कि यह सस्ता ऑप्शन है। रिपोर्ट के मुताबिक, ऑफिस के पास किराए का मकान और वहां भोजन का उनका रोज़ का खर्च, हवाई जहाज की यात्रा में होने वाले खर्च से कम है। जब वह किराये पर रहती थीं तो हर महीने $474 (लगभग 42,000 रुपये) खर्च करती थीं। लेकिन, अब उनका खर्च कम होकर $316 (लगभग 28,000 रुपये) प्रति माह हो गया
द्वारा शेयर किए गए एक वीडियो में, कौर ने बताया कि वह हर सुबह 4:00 बजे उठकर काम पर जाने के लिए तैयार होती हैं। वह 5:55 AM तक एयरपोर्ट पहुंच जाती हैं और अपनी फ्लाइट में बैठ जाती हैं। सभी ज़रूरी प्रक्रियाओं के बाद, वह “सुबह 7:45 AM तक” अपने ऑफिस पहुंच जाती हैं। कुआलालंपुर में उनका दफ्तर एयरपोर्ट के पास ही है। तभी तो लैंडिंग के बाद वह पैदल ही पांच-सात मिनट में ऑफिस पहुंच जाती हैं। वहां पूरा दिन काम करने के बाद, वह रात 8:00 बजे तक वापस पेनांग स्थित अपने घर पहुंच जाती हैं। रोज 600 किलोमीटर लंबे सफर से असुविधा नहीं होती? इस सवाल पर उन्होंने बताया, “लोगों से घिरे रहने से… काम करना आसान होता है। आप जानते हैं… जब आप लोगों से आमने-सामने बात कर पाते हैं।” उन्होंने अपने नियोक्ता, एयर एशिया की भी प्रशंसा की, जो इस व्यवस्था के लिए तैयार हैं, जिससे उन्हें काम और जीवन में संतुलन बनाए रखने में मदद मिलती है। ‘जब मैं यहाँ होती हूं, तो मैं अपना 100 प्रतिशत ध्यान काम पर लगाती हूँ, और जब मैं घर पर होती हूं, तो मैं अपना 100 प्रतिशत ध्यान अपने परिवार पर दे सकती हूं।’ कौर ने बताया, ‘हर रोज़ सुबह 4:00 बजे उठना थका देने वाला होता है। लेकिन जिस पल मैं घर पहुंचती हूं और अपने बच्चों को देखती हूं, सारी थकान गायब हो जाती है। यह बस अद्भुत है।’ वह “भविष्य में” भी इसी तरह काम पर जाना जारी रखने की योजना बना रही हैं।