नयी दिल्ली : रेल यात्रियों की सुरक्षा के मानकों पर अकसर आलोचना झेलने वाले रेलवे ने इस मोर्च पर अपनी स्थिति में खासा सुधार किया है। सितंबर 2017 से अगस्त 2018 के बीच एक साल में 75 रेल हादसों में 40 लोगों की मौत हुई है। बीते 5 सालों में एक साल के भीतर रेल हादसों में यह सबसे कम नुकसान है। रेल मंत्रालय के एक अधिकारी ने सरकारी आंकड़ों का हवाला देते हुए यह जानकारी दी है। अधिकारी ने बताया कि सितंबर 2016 से अगस्त 2017 के बीच आठ रेल हादसे हुए थे, जिनमें 249 लोग हताहत हुए थे।
इंदौर-पटना एक्सप्रेस के पटरी से उतरने की ही घटना में 150 से अधिक यात्री मारे गए थे। वहीं 2017 से 2018 की इसी अवधि के दौरान 40 लोगों की मौत हुई । इस दौरान दो बड़ी घटनाएं हुई थीं। अगस्त 2017 में उत्कल एक्सप्रेस पटरी से उतर गई थी, जिसमें 20 लोगों की मौत हो गई थी और दूसरी घटना इस साल अप्रैल में उत्तर प्रदेश में हुई जिसमें एक स्कूल वैन ट्रेन की चपेट में आ गई थी। इससे वैन में सवार 13 बच्चों की मौत हो गई थी।
इसी तरह सितंबर 2013 से अगस्त 2014 के बीच 139 रेल हादसों में 275 लोगों की जान चली गई थी। 2014-2015 की इसी अवधि में 108 हादसों में 196 लोग मारे गए थे। अधिकारी ने बताया, ‘एक सितंबर 2013 से 31 अगस्त 2014 की अवधि के आंकड़ों की तुलना एक सितंबर 2017 से 31 अगस्त 2018 की अवधि से करने पर टक्करों और ट्रेन के पटरी से उतरने की घटना में हताहतों की संख्या मिलाकर देखी जाए तो ये 62 से घटकर चार हो गई है- यानि 93 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई।’ उन्होंने बताया कि घायलों और मृतकों की संख्या में कमी खासतौर पर पटरियों का बड़े पैमाने पर नवीनीकरण, नियमित सुरक्षा समीक्षाएं, कर्मचारियों को सुरक्षा के लिए दिया गया बेहतर प्रशिक्षण और सुरक्षा प्रदर्शन पर करीब से निगरानी रखने के कारण आई है। इसके अलावा मानवरहित क्रॉसिंग्स को हटाए जाने के चलते भी हादसों में कमी आई है। रेलवे मार्च 2020 तक इन्हें पूरी तरह खत्म करने की योजना बना रहा है।