मुम्बई : हिंदी फिल्मों में बायोपिक के बढ़ते चलन पर अभिनेता अक्षय कुमार ने कहा कि वह कभी नहीं चाहेंगे कि उनकी जिंदगी पर बायोपिक बने। इस तरह की फिल्में रील नायकों पर नहीं बल्कि रियल लाइफ यानी असल जिंदगी के नायकों पर बननी चाहिए। हाल में अभिनेता संजय दत्त की जिंदगी पर आधारित राजकुमार हिरानी की फिल्म ‘संजू’ ने बॉक्स आफिस पर बेहतरीन कारोबार किया. मगर लोगों ने इसमें संजय की साफ सुथरी छवि पेश किये जाने की आलोचना की। अक्षय ने एक साक्षात्कार में कहा, ‘मैं कभी नहीं चाहूंगा कि मेरे ऊपर बायोपिक बनायी जाए और मैं कभी अपनी जिंदगी पर कोई किताब नहीं लिखूंगा।’ उन्होंने कहा कि हमारे पास तपन दास (गोल्ड फिल्म का चरित्र) और अरूणाचलम मुरूगनाथम (पैडमैन का चरित्र) जैसी कई बेहतरीन स्टोरी हैं जिनकी मदद से भारत को सकारात्मक दिशा में ले जाया जा सकता है।उन्होंने कहा, ‘मैं बेवकूफ होऊंगा जो खुद पर बायोपिक बनाऊंगा। मैं इसके बारे में कभी सोचना भी नहीं चाहूंगा। मैं चाहता हूं बायोपिक वास्तविक जिंदगी के नायकों पर बननी चाहिए। रील लाइफ के हीरो पर नहीं.’ तेजी से बायोपिक की बढ़ती संख्या के बारे में अक्षय ने कहा कि यह हमारे फिल्म उद्योग का चलन है। यदि कोई एक काम करता है तो लगभग सभी उसी तरह का काम करने लगते हैं। यह केवल बायोपिक या किसी अन्य के बारे में नहीं है। यदि कुछ फिल्में असफल हो जाती हैं तो हर कोई कुछ और करना चाहेगा।