पैसे कमाना बहुत ही मुश्किल काम है, ये सब जानते हैं। ऐसे में जब भी बात टैक्स चुकाने की आती है तो हर कोई तमाम तरह के निवेश के जरिए अपनी गाढ़ी कमाई को आयकर की तरह देने से बचाने की हर कोशिश करता है। आज जानिए ऐसे 5 खर्च, जो कर बचाने में आपकी मदद कर सकते हैं –
प्री नर्सरी की फीस – बच्चे की ट्यूशन फीस पर टैक्स में छूट मिलती है, ये तो सभी जानते हैं, लेकिन अगर आपका बच्चा छोटा है तो आप उसके प्ले स्कूल, प्री-नर्सरी और नर्सरी की फीस पर भी टैक्स छूट पा सकते हैं। 2015 में ये व्यवस्था शुरू की गई थी। धारा 80सी के तहत ये फायदा मिलता है, जिसके तहत आप अधिकतम 1.5 लाख रुपये पर टैक्स छूट पा सकते हैं। हालांकि, ये ध्यान रखने वाली बात है कि ये फायदा सिर्फ दो बच्चों तक की फीस पर मिलता है। अगर बच्चे जुड़वा हो जाते हैं तो तीन बच्चों तक ये फायदा लिया जा सकता है।
स्टाम्प ड्यूटी पर भी मिलती है टैक्स छूट – जब आप नया घर खरीदते हैं तो आपको स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन फीस का भुगतान करना होता है। इन पर भी आप टैक्स छूट पा सकते हैं। ये फायदा भी धारा 80सी के तहत मिलता है, जिसमें आप एक साल में 1.5 लाख रुपये तक पर टैक्स छूट ले सकते हैं। ध्यान रहे कि आप ये डिडक्शन उसी वित्त वर्ष में क्लेम करें, जिस वित्त वर्ष में आपने घर खरीदा है, क्योंकि बाद में इसका फायदा नहीं लिया जा सकता है।
माता -पिता को दिया हुआ ब्याज – अगर आपने घर खरीदने के लिए अपने मां-बाप से कर्ज लिया है, तो उन्हें दिए गए ब्याज पर भी इनकम टैक्स में छूट का फायदा ले सकते हैं। यानी ब्याज पर मिलने वाली टैक्स छूट सिर्फ बैंक या हाउसिंग फाइनेंस कंपनी से लिए हुए लोन तक सीमित नहीं रहेगी। ये छूट 2 लाख रुपये तक धारा 24बी के तहत मिल सकती है। ध्यान रहे कि आपके पास मां-बाप को ब्याज चुकाए जाने का सर्टिपिकेट होना जरूरी है।
माता -पिता को दिया गया किराया – अगर आप अपने माता -पिता के घर में रह रहे हैं तो आप उन्हें किराया देना भी दिखा सकते हैं और उस पर टैक्स का फायदा ले सकता है। ये फायदा आप सेक्शन 10(13ए) के तहत ले सकते हैं। इसके तहत आप कंपनी की तरफ से मिले एचआरए या बेसिक सैलरी का 50 फीसदी या अपनी सैलरी के 10 फीसदी से अधिक जितना आपके रेंट दिया है, उसमें जो भी कम हो, उतना एचआरए क्लेम कर सकते हैं।
माता -पिता के इलाज का खर्च – बुढ़ापे में अधिक मेडिकल खर्च होता है ये सभी जानते हैं। अगर आप इन खर्चों को फाइनेंस करते हैं तो आप उन पर टैक्स में छूट क्लेम कर सकते हैं। यह छूट धारा 80डी के तहत मिलती है और इसके तहत आप 50 हजार रुपये तक का डिडक्शन क्लेम कर सकते हैं। हालांकि, अगर ये खर्चें हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी में कवर हैं तो उसे इसमें जोड़ा नहीं जाएगा।
(साभार – नवभारत टाइम्स)