अवनी चतुर्वेदी, ऐसी पहली भारतीय महिला, जिन्होंने अकेले जामनगर वायुसेना स्टेशन से युद्धक विमान मिग- 21 बाइसन उड़ाकर नया इतिहास रच दिया है। होनहार बिरवान के होत चीकने पात, यह कहावत अवनी चतुर्वेदी पर भी चरितार्थ होती है। सतना (मध्य प्रदेश) के कोठी कंचन गांव में पैदा हुईं एवं बाद में इसी राज्य के रीवा जिले में जा बसीं चौबीस वर्षीय अवनी बचपन से ही पढ़ाई-लिखाई में अव्वल रही हैं। उनके पिता दिनकर चतुर्वेदी मध्य प्रदेश सरकार के वाटर रिसोर्स डिपार्टमेंट में एक एग्जिक्युटिव इंजीनियर और मां गृहिणी हैं। उनके भाई सेना में कैप्टन हैं और मामा रिटायर्ड कर्नल। भाई निरभ कविताएं लिखते हैं, उनसे ही अवनी को कविताएं लिखने का भी शौक है।
इसके अलावा उनकी चित्रकारी, टेनिस आदि में ही दिलचस्पी नहीं, अपने कस्बाई अतीत में वह सखी-सहेलियों के साथ मेंहदी रचाने से लेकर अन्य हर तरह की सामाजिक-सांस्कृतिक गतिविधियों में शामिल हुआ करती थीं। स्नातक तक उनकी पढ़ाई-लिखाई वनस्थली (राजस्थान) में एवं लड़ाकू विमान उड़ाने का प्रशिक्षण दो चरणों में हैदराबाद की वायु सेना अकादमी और बिदार (कर्नाटक) में मिला। अभी उनके प्रशिक्षण का तीसरा चरण पूरा होना है।
उसके बाद वह लड़ाकू जेट विमान सुखोई, तेजस आदि भी उड़ाने लगेंगी। शुरू से ही सेना में जाने की ठान चुकी अवनी छात्र जीवन में एनसीसी में हमेशा भाग लेती रही हैं। वनस्थली की पढ़ाई पूरी करने के बाद वह जून-जुलाई 2016 में वह फ्लाइंग ऑफिसर चुन ली गईं। लड़ाकू विमान उड़ाने के प्रशिक्षण के दौरान उनके साथ भावना कांत और मोहना सिंह भी रहीं। तीनों को एक साथ भारतीय वायु सेना के लड़ाकू स्क्वाड्रन में भर्ती मिली थी। उस समय देश के रक्षा मंत्री थे मनोहर पर्रिकर। अवनी अपनी सफलता का श्रेय मुख्यतः पिता को देती हैं, जिनसे उन्हें जीवन के उन्नत पथ पर आगे बढ़ने की बचपन से ही प्रेरणा मिलती रही थी। इंडियन एयरफोर्स की फ्लाइंग ऑफिसर अवनी के मन में कभी वायु सैनिक बनने का जज्बा सैन्य अधिकारी मामा और भाई की संगत से पैदा हुआ था। वह देश की सुर्खियों में उस वक्त आईं, जब हाल ही में उन्होंने गुजरात के जामनगर में अपनी पहली ट्रेनिंग में अकेले मिग-21 बाइसन फाइटर प्लेन उड़ाया। यह भारतीय वायु सेना और पूरे देश के लिए एक विशेष उपलब्धि रही। उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने 2015 में महिलाओं को फाइटर पायलट में शामिल करने का फैसला किया था।
अब तक विश्व के चार देशों अमेरिका, पाकिस्तान, ब्रिटेन और इजरायल में महिलाओं को फाइटर पायलट बनने के अवसर सुलभ रहे हैं। देश की वायुसेना में पहला महिला सशक्तीकरण हुआ 19 फरवरी 2018 को, जब अवनी ने सफलतापूर्वक अपना मिशन पूरा कर यह इतिहास रचा। बताते हैं कि जिस वक्त वह मिग में सवार हुईं, अनुभवी फ्लायर्स और प्रशिक्षकों ने जामनगर एयरबेस के एयर ट्रैफिक कंट्रोल और रन-वे पर लगातार अपनी आंखें साधे रखी थीं। अवनी की कामयाबी को इसलिए भी विशेष दर्जा मिला क्योंकि ‘बाइसन’ की तकनीकि लैंडिंग और टेक-ऑफ में फर्राटे की स्पीड होती है, जिसे नियंत्रित करते हुए आकाश में छलांग लगाना कोई हंसी-खेल नहीं रहता है।
मोहना और भावना के साथ अवनी चतुर्वेदी को उड़ाकू विमान उड़ाने का कठिन प्रशिक्षण अक्तूबर 2016 से दिया जा रहा था। अवनी की उड़ान से देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी दिल गर्व से भर उठा। उन्होंने ‘मन की बात’ में कहा – ‘कल्पना चावला कोलंबिया अंतरिक्षयान दुर्घटना में वह हमें छोड़ कर चली गई लेकिन दुनिया भर के युवाओं को प्रेरणा दे गईं। उन्होंने अपने जीवन से संदेश दिया कि नारी शक्ति के लिए कोई सीमा नहीं है। वह कहते हैं कि अवनी ने भारतीय वायुसेना के इतिहास में नया अध्याय जोड़ा है। उनकी इस उपलब्धि से प्रदेशवासियों, विशेषकर विन्ध्यवासियों का मान बढ़ा है। वायुसेना प्रमुख बीएस धनोआ बताते हैं कि उड़ान के लिए कठिन अभ्यास के बावजूद इन तीनों प्रशिक्षुओं का प्रदर्शन अन्य पायलटों की तरह ही पूरी तरह कुशल रहा। हॉक एडवांस जेट ट्रेनर पर उड़ान भरने से लेकर बाइसन तक अवनी का यह सफर काफी चुनौतियों भरा रहा।