शिमला । विदाई शब्द का जब भी जिक्र होता है तो हमारी आंखों के सामने जो तस्वीर उभरती है, वो एक लड़की की ही होती है। लाल सुर्ख जोड़े में हमेशा के लिए बाबुल का घर छोड़कर ससुराल जाने वाली लड़की। जिस घर में उसका बचपन बीता, गुड्डे-गुड़ियों के खेल खेले..भाई से लड़ी, उसे नम आंखों के साथ विदा कहना पड़ता है। लेकिन अगर हम आपसे कहें कि हमारे देश में कुछ ऐसी जगह भी हैं, जहां कई बार लड़की नहीं बल्कि लड़का भी विदा होता है। नॉर्थ ईस्ट के खूबसूरत राज्य मेघालय की खासी जनजाति के बारे में तो आपने सुना ही होगा। चलिए हम आपको आज हिमाचल प्रदेश की इस अनूठी परंपरा से रूबरू कराते हैं।
हिमाचल की ऊंची पहाड़ियों पर स्थित है लाहौल-स्पीति। यहां जिंदगी बिल्कुल भी आसान नहीं है। साल के कई महीने तो यहां इतनी बर्फ होती है कि घर से बाहर निकलना भी मुश्किल हो जाता है। बर्फ से ढंकी पहाड़ियों के बीच किसी अजगर सी बहती स्पीति नदी। हवा में चारों तरफ बिखरी बौद्ध धर्म की भीनी खुशबू। इस पूरे जिले की आबादी महज 31 हजार (2011 की जनसंख्या के अनुसार) ही है। 15 हजार फीट की ऊंचाई पर बसे इस खूबसूरत इलाके की परंपराएं बेहद अनूठी हैं।
यहां की शादी की परंपराओं की बात करें तो बेहद अनूठी हैं। कहीं लड़के की बजाय उसकी बहन बारात लेकर जाती है और दुल्हन अपनी ननद के साथ विदा होती है। तो कहीं बहु-विवाह भी देखने को मिल जाता है। इन सब के बीच एक और परंपरा है, जिसके पीछे की वजह जानकर यहां के लोगों के लिए प्यार और भी बढ़ जाएगा। कई शादियां ऐसी भी होती हैं, जिनमें लड़कियां नहीं बल्कि लड़के विदा होते हैं और घर जमाई बनने के लिए आते हैं।
कब होती है लड़के की विदाई – दरअसल यहां के लोग भी अपने परिवार के साथ काफी जुड़े रहते हैं और उन्हें किसी भी कीमत पर छोड़ना नहीं चाहते हैं। ऐसे में अगर किसी घर में कोई बेटा नहीं है और सिर्फ बेटियां हैं तो किसी एक बेटी के पति को घर जमाई बनना होता है। ऐसे ही एक परिवार से मुलाकात हुई तो घर जमाई इशे ने बताया, ‘मैं घर में सबसे छोटा बेटा हूं और अपना घर छोड़कर पत्नी के साथ यहां इस गांव में आकर बस गया हूं। बड़े भाई वहां मम्मी-पापा के पास हैं’ पूछने पर कहा कि यहां भी तो मां-बाप हैं, उनकी देखभाल कौन करता? फिर बताया कि हमारे यहां अगर कोई बेटा नहीं है तो फिर बेटी की विदाई नहीं होती। दामाद ही बेटा बन जाता है।
अनूठी परंपराएं – स्पीति में एक परंपरा यह भी है कि यहां लड़के के बजाय उसकी बहन बारात लेकर जाती है और दुल्हन को विदा कराके लाती है। यही नहीं लाहौल जिले में तो अभी भी एक से ज्यादा शादियों की अनुमति है। संपत्ति का बंटवारा न हो, इसलिए कई भाइयों की शादी एक ही लड़की से कर दी जाती। हालांकि समय के साथ अब यह परंपरा खत्म होती जा रही है।