ऋषि सुश्रुत भारतीय चिकित्सा शास्त्र और शल्य चिकित्सा (Surgery) के जनक माने जाते हैं। वे विश्व के पहले ऐसे चिकित्सक थे जिन्होंने विज्ञान, औषधि और सर्जरी को शास्त्रीय रूप में प्रस्तुत किया। उनका ग्रंथ “सुश्रुत संहिता” आज भी आयुर्वेद और चिकित्सा के क्षेत्र में एक महान ग्रंथ माना जाता है। नीचे आपको ऋषि सुश्रुत की सम्पूर्ण ऐतिहासिक जानकारी, शोध, योगदान, ग्रंथ, और आधुनिक मान्यता दी गई है।
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ऋषि सुश्रुत का इतिहास
समयकाल: ऋषि सुश्रुत का काल लगभग 700 ईसा पूर्व या उससे भी पहले माना जाता है। कुछ विद्वान उन्हें वेदकालीन मानते हैं, जबकि कई आधुनिक विद्वान उन्हें तक्षशिला विश्वविद्यालय से जोड़ते हैं, जहाँ वे चिकित्सा पढ़ाते थे।
वंश/गुरु: ऋषि सुश्रुत को दिवोदास धन्वंतरि का शिष्य माना जाता है, जो स्वयं भगवान धन्वंतरि (आयुर्वेद के देवता) के अवतार माने जाते हैं। वे काशी (वाराणसी) के निवासी बताए जाते हैं, जो उस समय चिकित्सा का बड़ा केंद्र था।
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सुश्रुत संहिता – ग्रंथ का विवरण
“सुश्रुत संहिता” आयुर्वेद का एक प्रमुख ग्रंथ है। यह विशेष रूप से शल्य (surgery) और काय चिकित्सा (general medicine) पर केंद्रित है।
ग्रंथ की प्रमुख विशेषताएँ:
1. 120 अध्यायों में विभाजित
2. 1120 रोगों का वर्णन
3. 700 से अधिक औषधियों का उपयोग
4. 300 से अधिक शल्य क्रियाएं
5. 125 से अधिक शल्य उपकरण (Surgical Instruments)
6. सर्जरी के सिद्धांत, जैसे:
Rhinoplasty (नाक की प्लास्टिक सर्जरी)
Cataract surgery
Bone setting (हड्डियों की सर्जरी)
Wound healing (घाव भरने के उपाय)
शोध व आधुनिक मान्यता
वैश्विक स्तर पर योगदान:
सुश्रुत को विश्व चिकित्सा इतिहास में “Father of Surgery” कहा गया है।
पश्चिमी चिकित्सा विश्वविद्यालयों में आज भी उनकी “Sushruta Samhita” का अध्ययन किया जाता है।
British Journal of Surgery और WHO ने भी सुश्रुत के योगदान को मान्यता दी है।
प्लास्टिक सर्जरी की शुरुआत: सुश्रुत द्वारा वर्णित नाक की सर्जरी (Rhinoplasty) आज की आधुनिक प्लास्टिक सर्जरी की नींव मानी जाती है। यूरोप में प्लास्टिक सर्जरी की विधियाँ 18वीं सदी में विकसित हुईं, लेकिन भारत में यह सुश्रुत के समय में ही प्रचलित थी।
चिकित्सा प्रणाली
कैडावर (मृत शरीर) पर अभ्यास:
सुश्रुत अपने शिष्यों को मृत शरीर पर अभ्यास कराते थे।
यह आधुनिक “Dissection” (शव विच्छेदन) प्रक्रिया का प्रारंभिक रूप था।
शल्य उपकरणों का उपयोग: वे चाकू, कैंची, अग्निकर्म (cauterization), सूत (सिलाई) आदि औजारों का विस्तृत वर्णन करते हैं।
स्वच्छता और रोग निवारण: सुश्रुत ने संक्रमण से बचने, स्वच्छता रखने, और औषधियों की शुद्धता पर जोर दिया।
यह आधुनिक “Aseptic Surgery” का प्रारंभिक रूप है।
सुश्रुत की प्रमुख शिक्षाएँ
क्षेत्र योगदान / ज्ञान
आयुर्वेद कायचिकित्सा, औषधीय वनस्पति
सर्जरी Rhinoplasty, शल्य उपकरण, शव विच्छेदन
प्रसूति विज्ञान गर्भावस्था, शिशु जन्म
त्वचा रोग कुष्ठ रोग, चर्म रोग
नेत्र रोग मोतियाबिंद सर्जरी का वर्णन
आधुनिक शोध और प्रमाण
1. UNESCO और WHO जैसे संस्थानों ने सुश्रुत संहिता को एक ऐतिहासिक चिकित्सा ग्रंथ माना है।
2. आधुनिक चिकित्सा शोधकर्ताओं ने उनकी विधियों की वैज्ञानिकता को स्वीकार किया है।
3. Surgery in Ancient India नामक कई शोधपत्रों में सुश्रुत के काम की तुलना आधुनिक सर्जरी से की गई है।
ऋषि सुश्रुत केवल एक आयुर्वेदाचार्य नहीं बल्कि विश्व के पहले वैज्ञानिक सर्जन थे। उनके द्वारा रचित “सुश्रुत संहिता” चिकित्सा का अद्वितीय ग्रंथ है जो आज भी प्रासंगिक है। उनकी सोच, पद्धति और सिद्धांत आज के चिकित्सा विज्ञान की नींव हैं।