भारत में आने वाला समय महिला उद्यमियों का होगा। अंर्तराष्ट्रीय श्रमिक संगठनों द्वारा किए गए सर्वेक्षण के अनुसार वर्ष 2025 तक उद्योग जगत की वैश्विक जीडीपी में महिलाओं की सहभागिता 5.8 खरब यूएस डॉलर तक बढ़ जाएगी। कोई आश्चर्य की बात नहीं अगर यह कहा जाए कि अधिकांश महिला उद्यमी ऐसी विकासशील देशों से होगीं जहां लैगिंक समानता का अनुपात अधिक है।
जनसंख्या घनत्व और आर्थिक असमानताओं को देखते हुए भारत सहित कई अन्य देशों में महिलाएं इस बदलाव की ओर अग्रसर हो रही हैं। जहां अभी तक केवल 25 प्रतिशत आबादी ही महिला श्रम के रूप में काम कर रही है। इससे भी अधिक आश्चर्यजनक यह है कि घरेलू जीडीपी में महिला कामगारों की हिस्सेदारी केवल 17 प्रतिशत ही है, जो कि वैश्विक जीडीपी के आधी से भी कम है। विश्व बैंक के अनुसार महिला श्रम की संख्या यदि दोगुनी कर दी जाएं तो भारत की विकास दर को 7.5 से 9 प्रतिशत तक बढ़ाया जा सकता है, इससे देश की जीडीपी वर्ष 2025 तक 700 मिलियन डॉलर तक बढ़ सकती है।
केवल महिला श्रम ही नही राष्ट्रीय और अंर्तराष्ट्रीय स्तर पर यदि कारपोरेट हाउस के अहम निर्णयों में महिलाओं की हिस्सेदारी बढ़ाई जाए तो उम्मीद से कहीं अधिक तरक्की की जा सकती है। भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा वर्ष 2019 में किए गए एक सर्वेक्षण के अनुसार देश 14 प्रतिशत सुक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों का संचालन महिलाओं द्वारा किया जा रहा है और केवल 5.9 प्रतिशत स्टार्ट अप का संचालन महिलाओं द्वारा किया जा रहा है। भारत में लैंगिक समानता हालांकि अभी पूरी तरह संभव नहीं है बावजूद इसके जीडीपी के आंकड़ों में मामूली वृद्धि भी भविष्य में विकास के द्वारा खोलेगी।
पुरूषों की अपेक्षा महिलाएं समुदायों की जरूरतों को अधिक बेहतर तरीके से समझ सकती हैं। महिलाएं न केवल अपने परिवार की बल्कि अपने आसपास के जुडे़ परिवेश की स्थिति को सुधारने के लिए अधिक सजग देखी गई हैं। अधिक व्यवहारिक रूप में देखा जाएं तो (उच्च पद की नौकरी देने की जगह यदि शुरूआत छोटी लेकिन समान वेतन की नौकरी दें) कुल रोजगार में महिला उद्यम और उद्यमिता को बढ़ावा देने से आर्थिक समानता बढ़ेगी और इससे देश की गरीबी दर कम की जा सकती है। परिवार की आमदनी ही नहीं महिला श्रम बढ़ाने और उद्यमिता में महिलाओं की हिस्सेदारी बढ़ने से स्वास्थ्य, शिक्षा और समुदायों के अधिक बेहतर विकास की उम्मीद की जा सकती है। ऐसा इसलिए भी कहा जा सकता है क्योंकि महिला उद्यमी छोटे और सामुदायिक स्तर की जरूरतों के प्रति अधिक सचेत रहती हैं। ऐसे कई क्षेत्र हैं जहां पुरूषों की अपेक्षा महिलाओं की सफलता अधिक हैं, बैंक से लोन अदायगी मामले में भी महिलाएं पुरूषों की अपेक्षा अधिक विश्वसनीय हैं।
अन्य किसी भी विकासशील देश की अपेक्षा भारत में महिला उद्यमिता को बढ़ावा देने के राजनीतिक प्रयास अधिक किए गए हैं। भारत सरकार की वैश्विक उदारीकरण और निजीकरण की नीति से उद्यमियों को व्यापार करने के अधिक बेहतर अवसर मिले, जिसके कारण भारत में विलक्षण प्रतिभा की धनी कई महिला उद्यमिताओं ने अपना मुकाम हासिल किया। एक अनुमान के मुताबिक वर्तमान में तीन मिलियन से अधिक महिला उद्यमिताओं द्वारा आठ मिलियन महिलाओं को रोजगार दिया गया।
महिलाओं की व्यवसाय में उपयोगिता के देखते हुए सरकारी और निजी सेक्टर के साथ ही केन्द्र और राज्य सरकारों को एक साथ काम करना होगा, जिससे महिलाओं को व्यवसाय शुरू करने के लिए आसानी से वित्त उपलब्ध हो सके। आरबीआई के अनुसार महिलाओं द्वारा छोटे स्तर के व्यवसाय की शुरूआत के लिए 43 प्रतिशत फंडिग दोस्तों या रिश्तेदारों द्वारा की गई। व्यवसाय का प्रशिक्षण और विकास की ओर उन्नमुख महिला आपूर्तिकर्ता के लिए बाजारों तक पहुंच बनाना चुनौतीपूर्ण है। गैर सरकारी संगठनों की सहायता इसमें अहम भूमिका हो सकती है जो महिला उद्यमियों को क्षमता निर्माण, बाजारों तक पहुंच बनाने, वित्त की व्यवस्था और बिजनेस समूहों के बीच सामंजस्य बनाने की पहल कर सकते हैं।
वी कनेक्ट ऐसा ही एक प्लेटफार्म है जहां इसकी भूमिका अहम हो जाती है, कारपोरेट सेक्टर अब यह महसूस करने लगे हैं कि मांग और आपूर्तिकर्ता की चेन को वैश्विक स्तर पर अधिक बढ़ाने की जरूरत है और उनकी खरीद क्षमता बढ़ाने से वैश्विक स्तर पर व्यवसायों में तरक्की लाई जा सकती है। वी-कनेक्ट अंतराष्ट्रीय स्तर पर बड़े स्तर के आपूर्तिकर्ताओं को महिला उद्यमियों के साथ मिलाने का काम करता है। विश्वभर भर में 11000 पंजीकृत और प्रमाणित उद्योग समूह अपनी सेवाएं और उत्पादों को बेचने के लिए उद्यमियों को ढूंढ रही हैं।
वी कनेक्ट इंटरनेशनल ऐसे महिला उद्यमियों को प्रशिक्षित और प्रमाणित करती है, जिनकी अपने व्यवसाय में कम से कम 51 प्रतिशत की हिस्सेदारी हो और जो एक या एक से अधिक महिलाओं द्वारा नियंत्रित किया जाता हो, ऐसी महिला उद्यमियों को वी कनेक्ट खरीददारों के साथ जोड़ता है।
व्यवसाय के इतने अधिक विकल्पों के साथ यह स्पष्ट है कि भारत के विकास में महिला उद्यमी आने वाले कुछ वर्षो में महत्वपूर्ण भूमिका का प्रतिनिधित्व करेगीं और महिला उद्यमिता में निवेश न केवल देश के ईकॉमर्स भविष्य में निवेश होगा, बल्कि देश के विकास के लिए एक सामूहिक बेहतर विकास की राह भी सुनिश्चित होगी।
(वरिष्ठ पत्रकार माधवीश्री से बातचीत पर आधारित)