कोलकाता । भवानीपुर कॉलेज में ‘पत्रकारिता और पाठक’ विषय पर लाइब्रेरी में होने वाले कार्यक्रम की श्रृंखला में इस महत्वपूर्ण संगोष्ठी का आयोजन किया गया। छपते छपते हिंदी दैनिक और भवानीपुर कॉलेज के विद्यार्थियों ने अपने विचार को आमंत्रित अतिथि वक्ताओं के साथ साझा किया। पत्रकारिता लोकतंत्र का एक मजबूत स्तंभ है जो जनता और सरकार के बीच सामंजस्य बनाने में मदद करता है। समाज में मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका है। वर्तमान समय में हिंदी पत्रकारिता नित नए कीर्तिमान स्थापित कर रही है। विगत 30-31 तारीख को छपते छपते ने हिंदी पत्रकारिता दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय सम्मेलन किया। उसी कड़ी में भवानीपुर कॉलेज में पत्रकारिता और पाठक विषय पर तीन विशिष्ट वक्ताओं को आमंत्रित किया गया। काउंसिल ऑफ इंडिया के तीन बार पूर्व सदस्य और भारत सरकार के प्रेस मान्यता समिति पश्चिम बंगाल सरकार के हिंदी अकादमी के पूर्व सदस्य तथा अखिल भारतीय समाचार पत्र संपादक सम्मेलन के महासचिव ताजा टीवी और छपते छपते के निदेशक विश्वम्भर नेवर, जनसंचार विभाग महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा के अध्यक्ष और प्रोफेसर डॉ कृपाशंकर चौबे एवं आलिया विश्वविद्यालय पत्रकारिता और मास कम्युनिकेशन की विभागाध्यक्ष डॉ गजाला यासमीन विशिष्ट अतिथि के रुप में आमंत्रित रहे। डॉ कृपाशंकर चौबे जी बर्दमान विश्वविद्यालय से एमए प्रथम श्रेणी में गोल्ड मेडलिस्ट हैं और इन्होंने हिंदी पत्रकारिता परिवर्तन और प्रवृतियां विषय पर पीएचडी की है। जनसत्ता, हिंदुस्तान, सहारासमय, प्रभात खबर, सन्मार्ग आज जैसे समाचार पत्रों में लंबे समय तक काम किया है और पत्रकारिता करने के बाद 2009 से महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा महाराष्ट्र में पूर्णकालिक अध्यापन कार्य कर रहे हैं उनकी 13 से अधिक पुस्तकें हैं, कई संपादन, वृत्त चित्र आदि बहुत से कार्य किए हैं जो पत्रकारिता के आधुनिक चरण के लिए महत्वपूर्ण है। संवाद चलता रहे, मृणाल सेन , मदर टेरेसा,दलित आंदोलन और बांग्ला साहित्य, संपादित ग्रंथ महाश्वेता देवी, हजारीप्रसाद प्रसाद द्विवेदी पर और वृत्तचित्र निर्माण आदि। डॉक्टर चौबे ने अपनी बात रखते हुए पत्रकारिता की कथा यात्रा को प्रोजेक्टर के माध्यम से विद्यार्थियों के सामने रखा जो बहुत ही महत्वपूर्ण थे। बंगाल में फारसी उर्दू हिंदी अंग्रेजी अखबारों की छवि और उनकी अभिव्यक्ति किस प्रकार हमारे देश के लिए उस समय आजादी के लिए अपने आप को अभिव्यक्त कर रहे थे इस पूरी पत्रकारिता इतिहास की कथा यात्रा पर प्रकाश डाला। 17 वीं शती से लेकर आजादी के बाद के समाचार पत्रों एवं रवीन्द्र नाथ ठाकुर रामानंद चटर्जी और विशाल भारत की चर्चा करते हुए पूरे देश के पत्रों के बारे में बताया और उस मुहिम का परिचय दिया। आजादी के बाद की पत्रकारिता के तेवर सिंगूर नंदीग्राम आंदोलन आदि का जिक्र किया और समाचार पत्रों के लिए जेल जब्ती और जुर्माना इन तीनों चुनौतियों को प्रमुख बताया। एबीपी अमृत बाजार पत्रिका का जिक्र देव नागर विशाल भारत का जिक्र किया। आज हमें संवाद की विशेष रूप से आवश्यकता है। विचारों का मरनाअखबार का मरना है। डॉ ग़जा़ला ने आधुनिक युग में होने वाली पत्रकारिता सोशल मीडिया और फेक न्यूज़ इंटरनेट न्यूज़ के मूल्यों की भी बात की। डॉ ग़जा़ला का जेंडर और मीडिया स्टडीज आदि प्रमुख विषय रहे हैं जिस पर वे स्वतंत्र रूप से अनुसंधान और नीतिगत चर्चाओं का नेतृत्व करती हैं। सूचना और सांस्कृतिक मंत्रालय के साथ पैनलबद्ध हैं और लिंग जेंडर और अल्पसंख्यक विषयों पर डॉक्यूमेंट्री बनाती हैं, वैश्विक रूप से जो गलत सूचना जो घटनाएं घटती हैं। और उसको हम सही मान लेते हैं उस पर ग़जा़ला जी का गंभीर अध्ययन है, मीडिया पर छात्रों को सत्यापित करने और उन्हें खारिज करने डेटा विजुलाइजेशन टूल तक पहुंचने के लिए भी कार्य कर रही हैं। विद्यार्थियों के साथ अपनी बातों को साझा करते हुए कहा कि आज ओवरऑल जो पतन हो रहा है उसका कारण है कि हम प्रश्न नहीं करते और प्रश्न जो हमें पूछना चाहिए वह सत्ता से पूछना चाहिए पत्रकारिता संवाद और जागरुक जनता की आवाज है। संवाद और हमारे जो सवाल हैं उसी से हम पत्रकारिता को जोड़ सकते हैं और बड़े मीडिया हाउस और उनकी नीतियों पर चर्चा होनी चाहिए। विश्वंभर नेवर ने कहा कि आज घटनाओं और कंटेंट में कमी आई है जबकि वह समाज में रहकर ही देखा जाता है क्योंकि पत्रकारिता कुछ भी नहीं है बल्कि एक स्ट्रांग कॉमन सेंस है जो हमें किसी भी पुस्तक से नहीं मिल सकती है।। सूचना देना हमारा पहला कार्य है लेकिन कंटेंट से अखबार चलता है साथ ही कटेंट को प्रमुखता देना आवश्यक है यदि उसमें वर्तनी की भी भूल है तो भी लोग उसे पढ़ते हैं। कई उदाहरण देकर नेवर जी ने अपनी बात रखी। इस अवसर पर कई विद्यार्थियों ने प्रश्न भी पूछे जिसमें उज्जवल करमचंदानी और नम्रता चौधरी के प्रश्न अखबार निकालने के लिए किन सिद्धांतों की जरूरत होती है? जैसे महत्वपूर्ण प्रश्न थे। कोआर्डिनेटर प्रोफ़ेसर मीनाक्षी चतुर्वेदी जी ने पूछा कि आज के संदर्भ में महिला पत्रकारों की क्या स्थिति है? अतिथि वक्ताओं ने सभी प्रश्नों के संतोष जनक उत्तर दिए । कार्यक्रम का संचालन किया डॉ वसुंधरा मिश्र ने ।धन्यवाद नम्रता चौधरी ने दिया। इस अवसर पर कॉलेज के डीन प्रो दिलीप शाह ने सभी अतिथियों को कॉलेज का मोमेंटो प्रदान कर उनका सम्मान किया। प्रोफेसर दिलीप शाह ने डॉ कृपाशंकर चौबे को मोमेंटो प्रदान किया। डॉ गजाला यास्मिन को भवानीपुर कॉलेज के जनसंचार और पत्रकारिता विभाग अध्यक्ष डॉक्टर कपिल भट्टाचार्य ने और विश्वंभर नेवर को मोमेंटो प्रदान किया प्रोफ़ेसर मीनाक्षी चतुर्वेदी और डॉक्टर कृपाशंकर चौबे ने। नम्रता चौधरी और उज्ज्वल करमचंदानी का विशेष योगदान रहा है। कार्यक्रम की जानकारी दी डॉ वसुंधरा मिश्र ने ।