किसी भी संस्थान की एचआर गतिविधियों का महत्वपूर्ण हिस्सा होती हैं। रोजमर्रा की जिंदगी में भी हम पाते हैं कि महिलाएं सम्पर्क बनाने और आत्मविश्वास बढ़ाने में पुरुषों से बेहतर हो सकती हैं। इसलिए इसमें आश्चर्य नहीं कि जब सही काम के लिए सही व्यक्ति की तलाश की बात होती है तो महिलाएं बेहतर प्रदर्शन करती हैं।
1. पेशेवर या इंडस्ट्री के अर्थों में इस काम को रिक्रूटमेंट, टैलेंट अधिग्रहण, सोर्सिंग या हेड हंटिंग कहते हैं। इन सबके लिए कंसल्टेंसी या रिक्रूटमेंट फर्म सेटअप करना रोमांचक अवसर हो सकता है।
2. इस क्षेत्र में जॉब सर्च करने के लिए ब्रॉडबैंड कनेक्शन, एक स्मार्टफोन, अच्छी सम्पर्क क्षमता एवं रिज्यूमे के अच्छे स्रोत की जरूरत होती है। पहली दो जरूरतें आसानी से पूरी हो जाती हैं।
3. अंग्रेजी, हिन्दी या अन्य किसी भाषा की जरूरत आपके क्लाइंट बेस पर निर्भर करेगी। रिज्यूमे के स्रोत अलग-अलग और काफी विविध होते हैं। इनमें लाखों सीवी वाले बड़े जॉब पोर्टल से लेकर विशेषज्ञता वाले प्रोफेशनल की सीवी रखने वाले स्रोत भी शामिल होते हैं।
4. कुछ पोर्टल भी हैं जो प्रोफेशनल डेटा सहित विस्तृत रिज्यूमे उपलब्ध कराते हैं। इसके अलावा फ्री-टू-यूज वेबसाइट पर भी विज्ञापन डाला जा सकता है। साथ ही अखबारों के क्लासिफाइड की मदद भी ली जा सकती है।
5. यह हायरिंग के लेवल, इंडस्ट्री और हर महीने होने वाले रिक्रूटमेंट की संख्या पर निर्भर होता है। 1-3 साल के अनुभव वाले एंट्री लेवल के जॉब के लिए फिक्स कमीशन पेमेंट होता है।
6. बहुराष्ट्रीय कम्पनियों में सीएक्सओ स्तर के पदों के लिए सीटीसी के 25 से 50 फीसदी तक कमीशन मिलता है। शुरुआत के लिए रिक्रूटमेंट एजेंसी का बैकग्राउंड जरूर देखना चाहिए। साथ ही इसके मालिकों की जानकारी भी लेनी चाहिए।
7. वर्कऑइड के को फाउंडर रुचिका भारद्वाज और अमित गुप्ता कहते हैं कि इस पेशे में किसी भी उम्र में शुरुआत की जा सकती है। बस आपके पास ध्यान देने की क्षमता, कम्प्यूटर का ज्ञान और फोन पर बात करने का तरीका होना चाहिए।
8. यह काम आपके कम्युनिकेशन स्किल को बेहतर करता है। साथ ही यह महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने में मदद देता है। महिलाएं इसके जरिए खुद को खोज सकती हैं।
(साभार – दैनिक भास्कर)