नयी दिल्ली : नोटबंदी के दौरान गृहिणियों की पोटली से निकली रकम को लेकर तरह-तरह के मजाक बने। उनकी छोटी बचत हड़पने और उस पर कर वसूलने के आरोप लगे, लेकिन आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण (आइटीएटी) की आगरा खंडपीठ ने स्पष्ट कर दिया है कि यह आय कर योग्य नहीं मानी जाएगी। ग्वालियर के किला गेट निवासी उमा अग्रवाल की अपील का निस्तारण करते हुए न्यायिक अधिकारी ललित कुमार और लेखाकार सदस्य डा. मीठा लाल मीणा की खंडपीठ ने यह व्यवस्था दी है।
खंडपीठ ने आदेश में कहा है कि विमुद्रीकरण योजना 2016 के दौरान गृहिणियों द्वारा बैंक में जमा की गई ढाई लाख रुपये से कम नकद राशि कर योग्य राशि नहीं मानी जाएगी और न उसके स्रोत के बारे में पूछा जाएगा। न्याधिकरण ने स्वीकार किया कि यह छोटी राशि पिछले कई वर्षो में परिवार द्वारा की गई विभिन्न गतिविधियों से जुटाई गई है। इस मामले की खंडपीठ में इसी 14 जून को सुनवाई शुरू हुई और 18 जून को फैसला आ गया।
यह है पीठ का फैसला
विमुद्रीकरण योजना 2016 के दौरान बैंक खाते में ढाई लाख तक की नकद जमा पर कर लगाने का कोई आदेश नहीं है। उस समय महिलाओं के पास बैंकों में राशि जमा करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था। महिला ने स्पष्टीकरण दिया था कि बैंक में जमा की गई राशि पिछले कई वर्षो में उसके द्वारा बचाए गए पैसे थे और आपातकालीन आवश्यकता में स्वयं और परिवार की सुरक्षा के लिए उन्हें रखा था। इसलिए माना जा सकता है कि महिला ने धारा 69ए में आवश्यक जमा के स्त्रोत को विधिवत समझाया है। आइटीएटी मानता है कि विमुद्रीकरण के दौरान गृहिणियों द्वारा नकद जमा से उत्पन्न होने वाली कार्यवाही के संबंध में यदि जमा ढाई लाख रुपये तक है, तो इस निर्णय को माना जा सकता है।रिटर्न में उल्लेख न होने पर नोटिस ग्वालियर के किला गेट निवासी उमा अग्रवाल ने रिटर्न में अपनी आय एक लाख 30 हजार 810 दिखाई थी। उनके बैंक में 211500 (दो लाख 11 हजार) रुपये जमा थे। इस पर ग्वालियर के आयकर अधिकारी ने उन्हें नोटिस जारी कर दिया। उन्होंने फेसलेस योजना में कमिश्नर के यहां अपील की। वहां खारिज होने पर एटीआइटी आगरा में अपील की। उमा अग्रवाल के पति ओमप्रकाश अग्रवाल कपड़े की छोटी दुकान चलाते हैं। बेटा भरत अग्रवाल ब्रोकर का काम करता है, वही मामले को लेकर न्यायाधिकरण में आया था। उनका कहना है कि परिवार की आर्थिक स्थिति ज्यादा अच्छी नहीं है। दो लाख 11 हजार 500 रुपये मां ने कैसे-कैसे जोड़े, हम ही जानते हैं।परिवार के भविष्य के लिए जमा की धनराशि एटीआइटी में उमा अग्रवाल ने कहा था कि नोटबंदी के दौरान उन्होंने धनराशि अपने व परिवार के भविष्य के उद्देश्यों के लिए पति, बेटे, रिश्तेदारों द्वारा दी गई व बचत से एकत्र कर सहेजी थी। गृहिणियां सब्जी विक्रेताओं, दर्जी व मिश्रित व्यापारियों से सौदेबाजी करके, घर के बजट से बचाई गई नकदी ऐसे ही जमा करती हैं। त्योहारों पर रिश्तेदारों से मिलने वाले छोटे-छोटे नकद उपहारों को जोड़ती हैं और वर्षो से पति और बेटे के कपड़े धोते हुए, उसमें से निकले रुपये को उन्होंने जोड़ा। 500 और एक हजार रुपये के नोट 2016 में प्रतिबंधित हुए, तो उनके पास उस बचत को बैंकों में जमा करने के अलावा कोई विकल्प नहीं था।