बेटी ने दहेज में अपने वजन के बराबर किताबें मांगी, पिता ने 6 महीने में 2200 जुटाईं

राजकोट : ससुराल विदा करते वक्त आमतौर पर लोग अपनी लाड़ली बेटी को उपहार के तौर पर गहने, कपड़े, जवाहरात, वाहन और नकद पैसा देते हैं। लेकिन गुजरात के राजकोट में एक पिता ने गुरुवार को अपनी बेटी को शादी में 2200 किताबें देकर विदा किया।
दरअसल, नानमवा में रहने वाले शिक्षक हरदेव सिंह जाडेजा की बेटी किन्नरी बा को बचपन से ही किताबें पढ़ने का शौक है। उनके घर पर 500 किताबों की लाइब्रेरी है। जब उसकी शादी वडोदरा के इंजीनियर पूर्वजीत सिंह से हुई तो उसने पिता से कहा कि मेरी शादी में आप दहेज में मेरे वजन के बराबर किताबें दें तो मुझे अच्छा लगेगा। तब पिता हरदेव सिंह ने तय किया कि वे उसकी इच्छा पूरी करेंगे। पूर्वजीत सिंह कनाडा में रहते हैं।
6 महीने लगे किताबें एकत्रित करने में
हरदेव सिंह ने पहले पसंदीदा किताबों की सूची बनाई। फिर 6 महीने तक दिल्ली, काशी और बेंगलुरु समेत कई शहरों से किताबें एकत्रित की। इनमें महर्षि वेद व्यास से लेकर आधुनिक लेखकों की अंग्रेजी, हिंदी और गुजराती भाषा की किताबें शामिल हैं। कुरान, बाइबिल समेत 18 पुराण भी हैं। उन्होंने बताया कि बेटी के साथ इन किताबों को भी गाड़ी में भरकर विदा किया गया।

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