पड़ोसियों से मिली बेटे के मंत्री बनने की खबर
कोलकाता : हाल ही में मोदी मंत्रिमण्डल का विस्तार हुआ है और कई नये चेहरे दिखे हैं। इनमें से एक चेहरा है भाजपा की तमिलनाडु इकाई के अध्यक्ष एल मुरुगन का, जिनको राज्यमंत्री बनाया गया है। 44 वर्षीय के मुरुगन ने लंबे संघर्ष के बाद दिल्ली तक का सफर तय किया है। मगर यहाँ हम मुरुगन की नहीं बल्कि उनके पिता की बात कर रहे हैं जिनकी सादगी इन दिनों चर्चा में है। केंद्रीय राज्यमंत्री एल मुरुगन के माता-पिता राजनीति की चकाचौंध से दूर तमिलनाडु के नामक्कल जिले के कोन्नूर गांव में मजदूरी करते हैं। मुरुगन के केंद्रीय मंत्री बनने के बाद जब मीडिया उनके घर पहुंची तो उनके माता-पिता से दिल्ली से करीब 2500 किलोमीटर दूर नमाक्कल के कोन्नूर गांव में काम कर रहे थे। कड़ी धूप में 59 वर्षीय माँ एल वरुदम्मल एक खेत से खर-पतवार निकाल रही हैं। लाल साड़ी, चोली के ऊपर सफेद शर्ट पहने और सिर पर लाल गमछा लपेटे वरुदम्मल की सूरत गांव में रहने वाली किसी भी आम महिला जैसी है। पास के ही एक खेत में 68 साल के पिता लोगनाथन जमीन समतल करने में लगे हैं। दोनों को देखकर यह अंदाजा बिल्कुल नहीं होगा कि वे एक केंद्रीय मंत्री के माता-पिता हैं। मीडिया को इन दोनों से बात करने के लिए खेत के मालिक से इजाजत लेनी पड़ी।
बेटे पर नाज लेकिन खुद्दारी बरकरार
बेटा एल मुरुगन मोदी सरकार में राज्यमंत्री बना है, लेकिन मां-बाप अब भी खेतों में पसीना बहा रहे हैं। दरअसल, एल मुरुगन दलित हैं और वो अरुणथातियार समुदाय से आते हैं। गांव में उनका छोटा सा घर है। माता-पिता को जब भी काम मिलता है, वो कर लेते हैं। कभी खेतों में मजदूरी, तो भी बोझ ढोने का काम। जब पड़ोसियों से बेटे के मंत्री बनने की खबर मिली, तब भी दोनों खेत में काम कर रहे थे। बेटे के मंत्री बनने की खबर सुनने के बाद भी दोनों रुके नहीं लगातार काम करते रहे। मां-बाप को अपने बेटे की कामयाबी पर गर्व तो है, लेकिन दोनों को अपने बेटे से अलग जिंदगी पसंद है, पसीना बहाकर कमाई रोटी खाना अच्छा लगता है।
केंद्रीय मंत्री मुरुगन के पिता ने बताया कि उनका बेटा पढ़ाई में बहुत अच्छा था। शुरुआत में सरकारी स्कूल में पढ़ाई की। फिर बाद में मुरुगन ने चेन्नई के आंबेडकर लॉ कालेज से कानून की पढ़ाई की। पिता को बेटे की पढ़ाई के लिए दोस्तों में पैसे उधार लेने पड़े थे। मुरुगन ने भाजपा की तमिलनाडु इकाई के अध्यक्ष बनने के बाद चेन्नई में अपने माता-पिता को साथ रहने के लिए बुलाया था, लेकिन कुछ ही दिनों बाद वे लौट गए। मुरुगन की मां ने कहा, ”हमलोग कभी-कभी तीन-चार दिनों के लिए चेन्नई जाते थे, लेकिन उसकी व्यस्तता में हम फिर नहीं हो पाए। इस लिए हमलोग फिर से अपने गांव कोन्नूर आए।”
बताया जा रहा है कि एल मुरुगन ने मंत्री बनने के बाद अपने माता-पिता को फोन किया था। तब इन दोनों ने उनसे पूछा था कि क्या तमिलनाडु भाजपा इकाई के अध्यक्ष पद से उनका मौजूदा पद बड़ा है। मुरुगन के माता-पिता कहने हैं, ‘हमारा बेटा बड़े पद पर पहुँच गया है। माँ-बाप के तौर पर हमारे लिए ये बड़ी उपलब्धि है।
मुरुगन के पास दो-दो मंत्रालयों का है प्रभार
केंद्रीय मंत्री मुरुगन के पास केंद्र में मत्स्य पालन, पशुपालन और सूचना तथा प्रौद्योगिकी मंत्रालय है। उन्हें दोनों विभागों में राज्य मंत्री बनाया गया है। मुरुगन ने 7 जुलाई को बाकी नए सदस्यों संग शपथ ली थी। वह इस साल विधानसभा चुनाव लड़े थे मगर डीएमके उम्मीदवार से हार गए।