नयी दिल्ली । क्या आपने कभी सोचा है कि हंसने जैसी एक सामान्य क्रिया किसी की जिंदगी को कितना बेहतर बना सकती है? हाल ही में राष्ट्रीय महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा किए गए एक शोध में यह बात सामने आई है कि बिहार की महिलाएं पुरुषों की तुलना में कहीं अधिक हंसमुख होती हैं। यह रिपोर्ट न केवल राज्य की सामाजिक मानसिकता को दर्शाती है, बल्कि यह भी बताती है कि मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखने में हंसी की भूमिका कितनी अहम है।
30 से 45 साल की महिलाएं सबसे ज्यादा हंसमुख
रिपोर्ट के अनुसार, सबसे हंसमुख महिलाएं 30 से 45 वर्ष की उम्र वर्ग की हैं। इस आयु वर्ग की अधिकांश महिलाएं या तो नौकरी पेशा हैं या फिर गृहिणी। दिलचस्प बात यह है कि इन महिलाओं का कहना है कि वे दिन के दो से तीन घंटे हंसी-मजाक में बिताती हैं। इससे उनका मानसिक तनाव काफी हद तक कम हो जाता है।
बच्चे हैं हंसमुख रहने की वजह
करीब 20 लाख महिलाओं ने यह भी कहा कि उनके हंसमुख रहने की सबसे बड़ी वजह उनके बच्चे हैं। ऑफिस के व्यस्त माहौल में भी जब वे अपने बच्चों से बात करती हैं, तो उनके चेहरे पर मुस्कान आ जाती है। घर पर भी बच्चों की बातें, उनका खेलना-कूदना, और उनके लिए की जाने वाली तैयारियां महिलाओं को खुशी और ऊर्जा से भर देती हैं।
केवल 35 प्रतिशत पुरुष ही हंसमुख
जहां 65% महिलाएं हंसने को अपना रोज़ का हिस्सा मानती हैं, वहीं केवल 35% पुरुष ही नियमित रूप से हंसते हैं। पुरुषों में यह अवधि औसतन आधे घंटे से भी कम पाई गई। यह अंतर समाज में पुरुषों की मानसिकता और जिम्मेदारियों के तनाव को दर्शाता है। शोध में यह भी पाया गया कि पुरुष अक्सर तनाव को व्यक्त करने से बचते हैं। वे सामाजिक और पारिवारिक जिम्मेदारियों में इतने उलझे होते हैं कि उन्हें खुलकर हंसने या भावनाएं व्यक्त करने का अवसर कम मिलता है।