मांडू । राजाओं ने रानियों की लिए बहुत किले और महल बनवाए लेकिन मध्य प्रदेश के मांडू में बनी चंपा बावड़ी एक अलग कहानी दिखाती है। लोगों का कहना है कि राजा ने इस बावड़ी को कई कारणों से बनवाया था। एक कारण राजा की कम पसंदीदा रानियां भी थीं. वो यहां रहा करती थीं. इस 500 साल पुरानी बावड़ी की बनावट भी उम्दा है। मांडू की चंपा बावड़ी की कहानी – 14वी-15वीं शताब्दी में बनी चंपा बावड़ी सिर्फ एक बावड़ी नहीं है। यह धरती के नीचे बना एक महल है। पानी को इक्कठा करने के लिए बावड़ी को बनवाया गया था। दुश्मनों से बचने के लिए रानी बावड़ी के पानी में कूदा करती थीं। पानी के नीचे बनी सुंरगे कोठरियों से जुड़ती थी। इसका इस्तेमाल सिर्फ राजसी परिवार किया करता था। लोगों का कहना है कि राजा अपनी कम पसंदीदा रानियों को भी इस कोठरी में जगह देता था।
कमाल की इंजीनियरिंग है उदाहरण – ऊपर से देखने पर चंपा बावड़ी जलाशय की तरह दिखती है. लेकिन जैसे-जैसे नीचे उतरो एक मंजिल और नजर आने लगती है। कई सारे भूमिगत कमरे यहां बने हैं, जो किसी भूलभुलैया जैसे हैं. धनुषाकार के कमरे हैं. उन पर अलमारियां बनी हैं। कमरों तक पहुंचने के लिए सीढ़ियां बनी हैं। रोशनी और वेंटिलेशन का भी इंजीनियर ने पूरा ख्याल रखा है। गर्मी के दिनों में भी यह बावड़ी ठंडी रहती है.
कैसे रखा चंपा बावड़ी नाम – राजा ने इस बावड़ी का नाम चंपा की क्यों रखा? इसके पीछे कई कहानी हैं। एक कारण है चंपा की बेले, जो बावड़ी में मौजूद हैं। इसी वजह से पानी से भी चंपा की खुशबू आती थी। कुछ लोग ऐसा भी कहते हैं कि इस बावड़ी का आकार चंपा के फूल जैसा है, जिसकी 5 पंखुड़ी होती है। तभी लोग इसे चंपा बावड़ी कहते हैं।
इस बावड़ी के पास एक हमाम भी बना हैं। यहां रानियां नहाया करती थीं। हमाम में रोशनी और हवा सही तरीके से पहुंचे, इसके लिए छत पर सितारों के डिजाइन बनाए गए हैं। हमाम में ठंडे और गर्म पानी का प्रबंध मौजूद था।
हमला होने पर कूद जाती थीं महिलाएं – चंपा बावड़ी जल प्रबंधन और दुश्मनों से सुरक्षा के लिए भी खास है। हमले की स्थिति में शाही महिलाएं बावड़ी के पानी में कूद जाती थीं। बावड़ी के अंदर ही अंदर कई रास्ते थे, जिनकी मदद से शाही परिवार भाग जाता था।
कहां है बावड़ी – मांडू के जहाज महल के उत्तर-पश्चिम में यह बावड़ी बनी हुई है. इंदौर या भोपाल से होते हुए आप यहां पहुंच सकते हैं। रेलवे स्टेशन तक बावड़ी तक का आप रिक्शा कर सकते हैं।