Wednesday, December 31, 2025
खबर एवं विज्ञापन हेतु सम्पर्क करें - [email protected]

बाल फिल्मों की उपेक्षा के कारण बड़ों के कंटेंट देखने को मजबूर हैं बच्चे

भारत के पहले सुपरहीरो के तौर पर पहचान बनाने वाले मुकेश खन्ना ने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय से नाराज़गी जताते हुए भारतीय बाल फिल्म सोसाइटी (सीएफएसआई) के चेयरमेन पद पर रह चुके है ं और उनका  मानना है कि बाल फिल्मों को इस देश में प्रोत्साहन सरकार से नहीं मिल रहा। उनका कहना है कि मंत्रालय बच्चों के लिए फ़िल्म बनाने को लेकर दिलचस्पी नहीं दिखाता। शक्तिमान में ‘शक्तिमान’ और महाभारत में ‘भीष्म पितामह’ जैसे किरदार निभा चुके मुकेश का कहना है कि वो पहले भी कई बार इस बात की शिकायत कर चुके थे, लेकिन इस ओर ध्यान नहीं दिया गया।

मुकेश कहते हैं कि बच्चों के लिए फ़िल्मों की भरमार है, लेकिन ये फ़िल्में कभी रिलीज़ ही नहीं हुईं। बच्चों को कभी मालूम ही नहीं चल पाता है कि उनके लिए भी फ़िल्में बनती हैं। ”मुझे लगता है कि मुझसे पहले जो भी लोग यहां रहे उन्होंने कभी बच्चों के लिए फ़िल्म बनाने के बारे में इस तरीक़े से सोचा ही नहीं। शायद यही वजह है कि जो फ़िल्में वयस्क देखते हैं, वही छोटे बच्चे भी देखते हैं।’ मुकेश कहते हैं कि उन्होंने अपने कार्यकाल में आठ फ़िल्में बनाईं और मंत्रालय से कहा कि वो फ़ंड बढ़ाए। उनका दावा है कि उनकी चिट्ठी प्रधानमंत्री तक जा चुकी है, लेकिन कोई भी ऐक्शन नहीं लिया गया।

उनके अनुसार, ”मैं फ़िल्में डिस्ट्रीब्यूट करना चाहता हूं, लेकिन वो कहते हैं इसे टेंडर कर दो लेकिन आप ही सोचिए जिस देश में बच्चों की फ़िल्म को लेकर इतनी उदासीनता हो वहां टेंडर निकालकर क्या मिलेगा।”कई बार चेयरपर्सन होने के बावजूद मुझे फ़ैसले लेने में दिक्क़त आई, लेकिन सबसे बड़ी समस्या पैसों की है। मैं यहां 25 फ़िल्में अप्रूव करके बैठा हूं लेकिन मेरे पास पैसा सिर्फ़ चार फ़िल्मों का है।” मुकेश कहते हैं कि बड़े-बड़े निर्देशक जैसे अनुपम खेर, राजकुमार संतोषी, नीरज पांडेय संयुक्त रूप से बच्चों के लिए फ़िल्म बनाना चाहते थे, लेकिन उन्हें देने के लिए हमारे पास पैसे ही नहीं हैं। ‘ बच्चों के पास अपनी फ़िल्में ही नहीं हैं. ऐसे में वो मजबूरी में सास-बहू वाले सीरियल देख रहे हैं या फिर गंदी-गंदी फिल़्में।”

इतनी देर से प्रतिक्रिया क्यों?

अगर आपको लग रहा था कि मंत्रालय आपका सहयोग नहीं कर रहा तो आपने इतनी देर से इस्तीफ़ा क्यों दिया? इस सवाल के जवाब में मुकेश कहते हैं, ”मेरे पास 12 फिल्में थी. उनका बजट अप्रूव कराना मेरी ज़िम्मेदारी थी। साथ ही ये सारी समस्याएं बीते एक साल में ज़्यादा बढ़ी हैं। ‘मुकेश मानते हैं कि ‘यहां लोगों की सोच है कि फ़िल्में बनाकर गोदाम में डाल दो। वो कहां लगेंगी, लोगों तक कैसे पहुंच पाएंगी इस पर किसी का ध्यान ही नहीं जाता.’

क्यों नहीं चुना कोई दूसरा रास्ता?

मुकेश कहते हैं कि ‘ऑनलाइन विकल्प हैं, लेकिन इससे सीएफ़एसआई का कोई भला नहीं होगा। डिजिटल माध्यम से बच्चों तक फ़िल्में पहुंच तो जाएंगी, लेकिन इससे किसी को सीएफ़एसआई के बारे में नहीं पता चलेगा। फ़िल्म का हिट होना ज़रूरी है. तभी लोगों को ये समझ आएगा कि बच्चों के लिए भी फ़िल्में बनना ज़रूरी है। ‘ बड़ों का कन्टेंट, बच्चों के लिए कैसे हो सकता है? मुकेश कहते हैं, ‘आज के समय में इससे ख़तरनाक कुछ नहीं. चौथी कक्षा में पढ़ने वाले बच्चे को अपने से दोगुनी उम्र की वो बातें पता होती हैं जो उसे उस वक्त नहीं पता होनी चाहिए।  ये सारी चीज़ें कहीं न कहीं बच्चे में अपराधिक प्रवृत्ति को बढ़ावा देने का काम करती हैं।’

क्या है सीएफएसआई?

सीएफएसआई की स्थापना आज़ादी के कुछ ही समय बाद पंडित जवाहर लाल नेहरू द्वारा की गई थी. 1955 से सीएफएसआई ने बतौर स्वायत्त संस्थान काम करना शुरू किया. 1957 में वेनिस फ़िल्म फ़ेस्टिवल में सीएफएसआई की फ़िल्म ‘जलदीप’ को पहला इनाम मिला था।

सीएफएसआई का मक़सद बच्चों के लिए ऐसी फ़िल्मों का निर्माण करना है जो उनके विकास में सहायक हो। सीएफएसआई की वेबसाइट पर मौजूद जानकारी के अनुसार अब तक वह 10 अलग-अलग भाषाओं में 250 फिल्मों का निर्माण कर चुकी है.

…लेकिन इस बीच सवाल वहीं का वहीं रह जाता है कि भारत में बच्चों के लिए मनोरंजन की भारी कमी है और इस कमी को वो बड़ों वाले कन्टेंट देखकर ही पूरा कर रहे हैं।

(साभार – बीबीसी हिन्दी)

शुभजिता

शुभजिता की कोशिश समस्याओं के साथ ही उत्कृष्ट सकारात्मक व सृजनात्मक खबरों को साभार संग्रहित कर आगे ले जाना है। अब आप भी शुभजिता में लिख सकते हैं, बस नियमों का ध्यान रखें। चयनित खबरें, आलेख व सृजनात्मक सामग्री इस वेबपत्रिका पर प्रकाशित की जाएगी। अगर आप भी कुछ सकारात्मक कर रहे हैं तो कमेन्ट्स बॉक्स में बताएँ या हमें ई मेल करें। इसके साथ ही प्रकाशित आलेखों के आधार पर किसी भी प्रकार की औषधि, नुस्खे उपयोग में लाने से पूर्व अपने चिकित्सक, सौंदर्य विशेषज्ञ या किसी भी विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें। इसके अतिरिक्त खबरों या ऑफर के आधार पर खरीददारी से पूर्व आप खुद पड़ताल अवश्य करें। इसके साथ ही कमेन्ट्स बॉक्स में टिप्पणी करते समय मर्यादित, संतुलित टिप्पणी ही करें।

शुभजिताhttps://www.shubhjita.com/
शुभजिता की कोशिश समस्याओं के साथ ही उत्कृष्ट सकारात्मक व सृजनात्मक खबरों को साभार संग्रहित कर आगे ले जाना है। अब आप भी शुभजिता में लिख सकते हैं, बस नियमों का ध्यान रखें। चयनित खबरें, आलेख व सृजनात्मक सामग्री इस वेबपत्रिका पर प्रकाशित की जाएगी। अगर आप भी कुछ सकारात्मक कर रहे हैं तो कमेन्ट्स बॉक्स में बताएँ या हमें ई मेल करें। इसके साथ ही प्रकाशित आलेखों के आधार पर किसी भी प्रकार की औषधि, नुस्खे उपयोग में लाने से पूर्व अपने चिकित्सक, सौंदर्य विशेषज्ञ या किसी भी विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें। इसके अतिरिक्त खबरों या ऑफर के आधार पर खरीददारी से पूर्व आप खुद पड़ताल अवश्य करें। इसके साथ ही कमेन्ट्स बॉक्स में टिप्पणी करते समय मर्यादित, संतुलित टिप्पणी ही करें।
Latest news
Related news