बलात्कार!
क्या केवल एक शब्द ही है
जिसे सुनकर
लोग चौंक जाते हैं
बलात्कार!
क्या केवल एक जुर्म ही है
जिसे करने पर
सजा होती है
हंगामा मच जाता है
कुछ दिनों के लिए
और फिर लोग
सब भूल जाते हैं
बलात्कार तो एक प्रश्न है
जीवन और मृत्यु के बीच
मर्दों की मर्दानगी पर
और
उन मांओं की कोख पर
जिन्होंने
इन्हें पैदा किया है
बलात्कार का तीर
नारी की इज्जत को तो
घायल करता ही है
बलात्कारी की मां की कोख को भी
कलंकित करता है
बलात्कार!
एक ऐसा अभिशाप है जो
पुरुष को बनाता है
नपुंसक….