बनारस की बेटियों के हाथों से बनाए गए 302 पोस्टरों की सिरीज़ को गिनीज़ बुक में जगह मिली है। बनारस की बेटियों के बनाए 302 पोस्टरों की सिरीज़ को गिनीज़ बुक में जगह मिली है। यह रिकॉर्ड बनारस के डॉक्टर जगदीश पिल्लई ने फोटो जागरूकता अभियान के तहत इन पोस्टरों का इस्तेमाल कर बनाया। आइए मिलते हैं उन स्कूली बच्चियों से, जिन्होंने अपनी-अपनी सोच और नज़रिए को लेकर बेटियों पर पेंटिंग्स बनाई हैं। मैने अपनी मर्ज़ी के कपड़े पहने हुए डांस करते हुए एक लड़की की तस्वीर इसलिए बनाई है कि लड़कियों को भी अपनी इच्छा के मुताबिक़ कपड़े पहनने की छूट मिलनी चाहिए और ज़िंदगी जीने की आज़ादी होनी चाहिए.
बेटी पढ़ी लिखी होती है तो पूरे घर को साक्षर करती है. लड़कों के साथ ऐसा नहीं होता। इसके बावजूद लड़कियों को पर घर-गृहस्थी का काम यह बोलकर थोप दिया जाता है कि तुम्हें एक दिन ससुराल जाना है।
मैने पेंटिंग में खुद को घर से किताब लेकर स्कूल के लिए निकलते दिखाया है।
पूनम – मैंने अपनी पेंटिंग में बाधा दौड़ में हिस्सा लेने वाले धावक दिखाया है. मुझे खेल-कूद पसंद हैं और मैं खेलों की दुनिया में नाम कमाना चाहती हूँ। लड़कों की ही तरह लड़कियों को भी खेल-कूद की आज़ादी मिलनी चाहिए। मैं पहले स्कूल में कबड्डी खेलती थी, लेकिन घर देर से आने पर डांट पड़ती थी. मुझे कबड्डी छोड़नी पड़ी।
नेहा –मेरी पेंटिंग में एक लड़की, दीपक और किताब नज़र आएगी। कुल का चिराग बेटे को माना जाता है, लेकिन लड़कियां भी लिख-पढकर ज्ञान का प्रकाश फैला सकती है। मुझे अक्सर तब डाँट पड़ती है, जब मैं पढ़कर देर से घर पहुंचती हूं।
नेहा पटेल -मैंने अपनी पेंटिंग में मैं ख़ुद को गांव की एक लड़की की तरह दिखाया है, जो आगे चल कर स्कूल टीचर बनती है। गांव में लड़कियों के पहनावे और बाहर आने-जाने पर कई तरह के रोकटोक हैं।
निकिता -मैंने किताब और कलम इसलिए बनाई कि इसकी ताक़त से लड़कियां ख़ुद को साबित कर सकती हैं।
मेरा इलाका लड़कियों के लिए सुरक्षित नहीं है. शाम-रात के वक़्त अक्सर अपनी मम्मी के साथ ही घर पहुचती हूँ। डॉक्टर पिल्लई ने बताया कि इससे पहले 232 पोस्टरों के साथ यह रिकार्ड महाराष्ट्र की सागर अंजनादेवी सूर्यकांत माणे के नाम था। वे कहते हैं, “मैंने 302 पोस्टरों के ज़रिए यह रिकार्ड अपने नाम कर लिया. मोदी सरकार ने बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ अभियान छेड़ा हुआ है.”
आठ सितम्बर को बनारस के छह अलग-अलग शिक्षण संस्थानों में हुई पेंटिंग प्रतियोगिता में 516 बच्चियों ने हिस्सा लिया था. इसमें से 302 चित्रों को महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने चुना। इन चुने हुए 302 चित्रों को गिनीज़ बुक के नियमानुसार पोस्टर में तब्दील कर शहर भर में लगाया गया.
(साभार – बीबीसी हिन्दी)