बड़ाबाजार की जिंदगी को झकझोर कर चला गया विवेकानंद फ्लाईओवर हादसा

विवेकानंद फ्लाईओवर शायद अब इतिहास बनने जा रहा है। गुरुवार 31 मार्च को हुए हादसे के बाद अब यह फ्लाईओवर लोगों की  उम्मीद नहीं बल्कि डर बन गया है। टूटे हुए स्लैब को हटाने के लिए सुरक्षा के मद्देनजरिए सुरक्षा के मद्देनजर आस – पास के मकानों को खाली करवाया जा रहा है और निगम ने यहाँ के कई मकानों पर खतरनाक होने का बोर्ड भी लगा दिया है। अब सवाल यह है कि क्या इससे समस्या का समाधान होगा? इसका सीधा असर बड़ाबाजार के विकास पर पड़ने जा रहा है। सम्भवतः यह फ्लाईओवर बड़ाबाजार की तकदीर बदलने का सार्मथ्य रखता था मगर अब यहाँ सिर्फ मलबा है।

प्रशासन की लापरवाही दुर्घटना का कारण बनी

बताया जाता है कि फ्लाईओवर का एक हिस्सा जहाँ ढहा है, वहाँ एक ही पिलर था जबकि पीछे की ओर दो पिलर थे। यहाँ रात को काम हुआ करता था। आरोप है कि फ्लाईओवर की मजबूती पर ध्यान नहीं दिया गया। कोलकाता उत्तर के सांसद सुदीप बंद्योपाध्याय ने माना कि फ्लाईओवर के नक्शे में गड़बड़ी की बात उनको पता चली थी और उन्होंने राज्य सरकार को इसकी जानकारी भी दी थी मगर 60 प्रतिशत काम पूरा होने के कारण कोई बदलाव किए बगैर काम जारी रखा गया। सांसद के बयान से सीधा सवा उठा कि क्या फ्लाईओवर का खर्च लोगों की जान से ज्यादा अहमियत रखता है। इतना ही नहीं यह भी कहा जा रहा है कि स्थानीय विधायक के एक रिश्तेदार द्वारा घटिया निर्माण सामग्री का इस्तेमाल किया गया और यह सीधे सिंडिकेट राज के जरिए आने वाली बालू, सीमेंट जैसी चीजें थीं। अब सीएम ममता बनर्जी ने सीधे पुरानी वाममोर्चा सरकार को दोषी ठहराया है और वह पल्ला झाड़ना चाहती हैं। बात साफ है कि बड़ाबाजार इलाके को लेकर कोई गम्भीरता नहीं दिखती।

जमकर हो रही है राजनीति

जाहिर है कि चुनाव के मौसम में स्टिंग ऑपरेशन कांड के बाद विवेकानंद फ्लाईओवर सरकार की मुश्किलें बढ़ा रहा है और इस पर सभी पार्टियाँ लामबंद हो रही हैं। भाजपा ने तो सीधे नारदकांड से इसे जोड़कर सीडी तक जारी कर दी है तो दूसरी और वाममोर्चा और काँग्रेस इस मुद्दे पर ममता सरकार को घेर रहे हॆं। हाल ही में राहुल गाँधी भी घटनास्थल  पर पहुँचे थे। यह तय है कि यह हादसा चुनाव को प्रभावित करने जा रहा है।

आवास की समस्या और जिंदगी का डर है

अब स्थानीय लोग अपने घरों को खाली करने को तैयार नहीं है और न ही वे इस इलाके में फ्लाईओवर चाहते हैं। इस मसले को लेकर इलाके में आंदोलन भी किया जा रहा है। फ्लाईओवर के नीचे कमला शिक्षा सदन स्कूल है और सुरक्षा की दृष्टि से यह एक समस्या है मगर सवाल विकल्प का भी है जो कि इस समय सरकार देने की स्थिति में नहीं है। लोग जान हथेली पर रखकर फ्लाईओवर के नीचे से गुजर रहे हैं और जिंदगी को दाँव पर लगाकर दुकानें खोल रहे हैं। अब देखना यह है कि विवेकानंद फ्लाईओवर के हिस्से में क्या आता है।

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