Friday, November 28, 2025
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बंगाल में 26 लाख मतदाताओं का 2002 के रिकॉर्ड से मिलान नहीं

-मुंबई में 11 लाख से अधिक डुप्लीकेट नाम मिले

कोलकाता । पश्चिम बंगाल में विशेष मतदाता सूची पुनरीक्षण (एसआईआर) को लेकर सियासी घमासान के बीच अब चुनाव आयोग ने एक बड़ा खुलासा किया है। बंगाल की मौजूदा मतदाता सूची और 2002 में तैयार हुई सूची के मिलान में करीब 26 लाख नाम मेल नहीं खाते। चुनाव आयोग ने बताया कि मुंबई की मतदाता सूची में भी 10.64 प्रतिशत यानी 11 लाख से अधिक डुप्लीकेट नाम पाए गए हैं। लेकिन बंगाल का मामला कहीं अधिक बड़ा और संवेदनशील माना जा रहा है, क्योंकि यहां एसआईआर प्रक्रिया को लेकर राजनीतिक दल लगातार विरोध जता रहे थे। चुनाव आयोग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मौजूदा मतदाता सूची की तुलना पिछली SIR प्रक्रिया (2002-2006) के रिकॉर्ड से करने पर इन 26 लाख नामों की विसंगति सामने आई। आयोग के पोर्टल पर बुधवार दोपहर तक पश्चिम बंगाल से 6 करोड़ से अधिक गणना प्रपत्र अपलोड किए जा चुके थे। अधिकारी के अनुसार, जब ये प्रपत्र मैपिंग प्रक्रिया में आते हैं, तब उनका मिलान पुराने रिकॉर्ड से किया जाता है। प्रारंभिक निष्कर्ष बताते हैं कि बंगाल में लगभग 26 लाख मतदाताओं का मिलान 2002 के रिकॉर्ड से नहीं हो पा रहा है। यह बयान उस समय आया है, जब राज्य के कई हिस्सों में एसआईआर को लेकर राजनीतिक स्तर पर विरोध हो रहा है और सत्तारूढ़ दल इसे अनुचित हस्तक्षेप बताता रहा है। विशेषज्ञों के मुताबिक, मतदाता सूची में इतनी बड़ी संख्या में रिकॉर्ड मिसमैच चाहे वह आउटमाइग्रेशन, डेथ रिकॉर्ड्स, एड्रेस शिफ्ट या डुप्लिकेशन की वजह से हो; चुनाव की पारदर्शिता को सीधे प्रभावित करने वाला पहलू है। चुनाव आयोग का यह खुलासा अब उस राजनीतिक बहस को और तेज कर सकता है, जिसमें राज्य सरकार और विपक्ष एक-दूसरे पर मतदाता सूची में गड़बड़ी कराने के आरोप लगाते रहे हैं।
दूसरी ओर, मुंबई की ताजा मतदाता सूची भी चिंताजनक तस्वीर पेश करती है। महाराष्ट्र राज्य चुनाव आयोग के अनुसार, 1.03 करोड़ मतदाताओं में से 11 लाख से अधिक नाम डुप्लीकेट पाए गए हैं। कुछ वार्डों में एक ही व्यक्ति का नाम 2 से लेकर 103 बार तक दर्ज मिला। एसईसी ने आपत्तियां दर्ज करने की अंतिम तारीख अब 3 दिसंबर कर दी है और अंतिम सूची 10 दिसंबर को प्रकाशित होगी। विश्लेषकों का मानना है कि मुंबई की स्थिति बताती है कि देशभर में मतदाता सूचियों का पुनरीक्षण कितना आवश्यक है, जबकि बंगाल के आंकड़े इस दिशा में सबसे बड़ा अलार्म हैं।

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