पढ़ने की संस्कृति : एक प्रस्ताव

यदि आप अपने विद्यालय में पुस्तकों का कोना आरंभ करना चाहते हैं तो यह प्रस्ताव आपके लिए है। जब बच्चों के आस-पास किताबें तथा पत्रिकायें होती हैं तो वे उन्हें पलटते और टटोलते हुए एक दिन पढ़ने के शौकीन बन जाते हैं। शैक्षिक दख़ल पुस्तकालय में हमारे पास साहित्य अकादमी की पत्रिका ‘समकालीन भारतीय साहित्य’ के अलावा हिंदी साहित्य की प्रतिष्ठित पत्रिकाओं हंस, कथादेश, लमही, परिकथा, पाखी, कथाक्रम, वागर्थ, वसुधा, आधारशिला, इंद्रप्रस्थ भारती, लोकगंगा आदि के दो दशकों के चुनिंदा दुर्लभ अंक हैं, जिनमें हिंदी के श्रेष्ठ साहित्य सहित दुनिया की भाषाओं से अनुदित साहित्य उपलब्ध है। हमने 25 से 30 पत्रिकाओं के कुछ बंडल बनाये हैं, जिन्हें हम निशुल्क इंटर कॉलेजों की 11-12 वीं कक्षाओं में ‘पुस्तक कोने’ के लिए देना चाहते हैं।

हमारी अपेक्षाएं-

01. पत्रिकाओं के बंडल सीमित हैं। अतः पहले आओ-पहले पाओ की शर्त पर उपलब्ध रहेंगे।

02. योजना सिर्फ इंटर कॉलेजों की 11 व 12 वीं कक्षाओं हेतु है, जहां आप एक मेज पर इन पत्रिकाओं को रख देंगे तथा मॉनिटर को उनके रख-रखाव तथा आदान-प्रदान का दायित्व दे देंगे। यदि आपके विद्यालय में जीवंत (कार्यशील) पुस्तकालय है तो आप इन पत्रिकाओं को वहां भी रख सकते हैं।

03. पत्रिकाओं के बंडल शैक्षिक दख़ल पुस्तकालय, निकट कामाख्या मंदिर, रानीबाग (नैनीताल) से आपको खुद ही ले जाने होंगे।

अपनी सहमति देकर साहित्य की इन दुर्लभ पत्रिकाओं को नई पीढ़ी तक पहुंचाने में योगदान दीजिए।

(प्रारूप)

सम्पर्क – दिनेश कर्नाटक 9411793190

शुभजिता

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