Wednesday, December 17, 2025
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प्रतिरोध की संस्कृति है स्त्री सृजनात्मकता

हावड़ा : मुक्तांचल और हावड़ा की संस्था विद्यार्थी मंच के तत्वावधान में ‘स्त्री कलम: प्रतिरोध की संस्कृति ‘ विषय पर एक विचार गोष्ठी एवं कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस मौके पर मुक्तांचल के स्त्री कलम केन्द्रित अंक का लोकार्पण भी किया गया। इस प्रकाशन पर्व में डॉ सत्या उपाध्याय ने भी हिस्सा लिया। कार्यक्रम की शुरुआत पुलवामा हमले में वीरगति को प्राप्त शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित कर की गई। सुधा शर्मा ने काव्य आवृत्ति द्वारा स्त्री की आजादी को मुखरित किया। मुक्तांचल पत्रिका की संपादक डॉ. मीरा सिन्हा ने स्वागत भाषण देते हुए कहा कि स्त्री कलम केंद्रित यह अंक स्त्री लेखन को व्यापकत्व देने का प्रयत्न है। हमें सृजनात्मकता के साथ-साथ पठनीयता को बनाये रखने की जरूरत है। संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए प्रोफेसर चंद्रकला पांडे ने कहा कि स्त्री रचनात्मकता का फलक व्यापक होने के साथ निर्भयता से लबरेज़ हुआ है। उन्होंने कहा कि जिस दिन स्त्रियां भय मुक्त होंगी और स्त्रियों के प्रति समाज का सोच बदलेगा, उस दिन स्त्री अपने वजूद को पा सकेंगी। बतौर प्रमुख वक्ता विश्वभारती विश्वविद्यालय की प्रो.मंजुरानी सिंह ने कहा कि स्त्री के लेखन की शुरूआत असहमति और प्रतिरोध से हुई है। डॉ सुनीता गुप्ता ने कहा कि कविता प्रतिरोध का माध्यम है। कविता स्त्री के लिए उनके होने की जिद है। विशिष्ट वक्ता के तौर पर आमंत्रित शशि मुदीराज ने कहा कि जहां स्त्रियों ने खुद को व्यक्त करने की कोशिश की है, वहीं से स्त्रियों के समक्ष चुनौतियां शुरू हो गईं। आज स्थिति बदली है और स्त्रियों ने हर तरह की चुनौतियों के लिए खुद को तैयार कर लिया है। इस अवसर पर आयोजित कवि सम्मेलन में शैलेन्द्र शांत, उमा झुनझुनवाला, सिराज खान बातिश, विमलेश त्रिपाठी, रितेश पांडेय, जीवन सिंह, सविता पोद्दार, सुषमा कनुप्रिया, कालिका प्रसाद उपाध्याय, सरिता खोवाला, रीमा पांडेय, आरती सिंह, श्वेता सिंह, मनप्रीत घई, संजीव दुबे, राहुल गौंड, अनुराधा सिंह ‘अनु ‘, मधु सिंह, मंजू बेज, अजमत अंसारी, अनीसा सावरी ने अपनी कविताओं का पाठ किया। कार्यक्रम का सफल संचालन करते हुए प्रो. शुभ्रा उपाध्याय ने कहा कि आज भी स्त्रियों स्थिति ज्यादा नहीं बदली है, वैचारिक धरातल पर स्थिति वैसी ही है जैसी पहले थी। स्त्रियों के हाथ में कलम का आना प्रतिरोध का बड़ा सबूत है और वह इसी कलम के माध्यस से अपने प्रतिरोध को शब्दों में बयां करती हैं। इस मौके पर विनीता लाल, पार्वती शॉ, संजय पांडेय, सुधा शर्मा ,त्रिनेत्र कांत त्रिपाठी ,हेमंत सिंह ,मनीष सिन्हा , शुभम जायसवाल, मुकेश झा ,गुड़िया राय, अनुभव सिन्हा ,प्रभा उपाध्याय, विनोद यादव , नेहा सिंह , अजय ठाकुर , सुशील पांडेय उपस्थित थे। धन्यवाद ज्ञापन विवेक लाल ने दिया।

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