नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सांसद अपना पूरा जीवन राजनीति में खर्च कर देते हैं। ऐसे में पूर्व सांसदों को पेंशन और अन्य सुविधाएं देने का नौतिक आधार पर विरोध नहीं किया जा सकता। कोर्ट का कहना है कि समय के साथ चीजें बदलती हैं। जब संविधान में इस पर कोई प्रतिबंध नहीं है तो हमें इसमें क्यों दखल देना चाहिए।
न्यायमूर्ति जे चेलमेश्र्वर की अध्यक्षता वाली दो सदसीय पीठ का कहना है कि हम ये जानना चाहते हैं कि क्या पूर्व सांसदों को पेंशन सहित अन्य सुविधाएं देना कानून के खिलाफ है। पीठ ने याचिकाकर्ता संगठन लोकप्रहरी की ओर से पेश एसएन शुक्ला की दलील को खारिज कर दिया। पीठ का कहना है कि पहले संविधान में ऐसा कोई प्रावधान नहीं था, लेकिन वर्षों बाद संविधान में संशोधन कर यह कानून बनाया गया। पीठ ने कहा कि समय के साथ चीजें बदलती हैं। शुरू में सुप्रीम कोर्ट में भी सात जज थे मगर अब उनकी संख्या भी बढ़ाई गई है।
पीठ ने आगे कहा कि सांसद या विधायक अपना पूरा जीवन राजनीति में खर्च कर देते हैं। तो ऐसे में उन्हें सुविधाएं क्यों नहीं मिलनी चाहिए? पीठ का कहना है कि नैतिक आधार पर इस तरह की सुविधाएं देने में कोई दिक्कत नहीं है। राजनीतिक रूप से यह सही है या गलत, हम यह तय नहीं कर सकते। बुधवार को केंद्र सरकार के अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल इस मुद्दे पर अपना पक्ष रखेंगे।