नववर्ष का स्वागत है….2025 ने कदम रख दिया है। नववर्ष का आगमन हो चुका है और हम सब एक नयी शुरुआत के लिए तैयार हैं। सब कुछ नया..संकल्प नये..विश्वास नया, ऊर्जा नयी…और सपने भी नये..अतीत का एक पन्ना पीछे छोड़कर हम आगे बढ़ रहे हैं। अच्छा या बुरा…अब 2024 स्मृतियों में दर्ज हो चुका है। गुजरा हुआ वर्ष हमें झकझोर गया, कई बार निराश करता रहा और कई बार इसने जश्न मनाने के मौके भी दिए। वैसे देखा जाए तो कैलेंडर का पन्ना पलट देने से सब कुछ कहां बदल जाता है…। सब कुछ वही रहता है मगर हर बार गुजरते समय के साथ हम जो कुछ सीखते हैं, वह बहुत कुछ बदल देता है। हमें बहुत कुछ सीखना है, संरक्षित करना है, अपने इतिहास से सीखना है, भाषा व संस्कृति को संरक्षित करना है। गुजरे साल के साथ कई विभूतियों ने विदा कहा…एक पूरा युग उनके साथ समाप्त हुआ मगर जीवन यही तो है। जब एक युग समाप्त होता है तो एक नए युग की शुरुआत होती है, जहां हम अंत देखते हैं, वहीं शुरुआत होती है। यही प्रकृति है, यही परिवर्तन है और परिवर्तन ही तो सृष्टि का नियम है जो कई बार हमारे हिसाब से नहीं होता तो कई बार हम जैसा चाहते हैं, वैसा ही होता है। हम क्या बोझ उठाते हुए किसी पहाड़ पर चढ़ सकते हैं, अगर नहीं तो मन में अपराध बोध, अहंकार का बोझ उठाकर जीवन की चढ़ाइयों को कैसे पार करेंगे? जीवन एक यात्रा है और यात्रा में बोझ हल्का ही होना चाहिए चाहे वह तन का हो या मन का…चाहे सम्बन्धों का ही क्यों न हो। जिनके साथ आप नाममात्र को हैं या फिर नहीं हैं, वहां होने का कोई मतलब नहीं। रिश्तों को जब ढोना पड़े तो उनके होने का मतलब नहीं है। ऐसे समय में दूरी जरूरी है। कई बार पास रहकर जो डोर उलझ जाती है, वह दूरी से सुलझ भी जाती है और न सुलझे तो समझ लीजिए कि वह कभी आपके लिए थी ही नहीं। जहां भी रहिए….पूरी तरह रहिए वरना मत रहिए…नयी शुरुआत के लिए हमेशा तैयार रहिए । नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं ।