ग्वालियर।अनामिका को भले ही आंखों से दिखाई नहीं देता, लेकिन उनका उत्साह हिमालय से ऊंचा है। आखिर ऐसा क्यों नहीं हो, उन्होंने सीबीएसई-12 में 86 प्रतिशत मार्क्स हासिल करके एक मिसाल कायम की है। वो भी ह्यूमिनटी जैसे कठिन विषयों में। अनामिका ने पूरी स्टडी सामान्य बच्चों के स्कूल में की है। बनना चाहती हैं टीचर……
-इस अनामिका से वो स्टूडेंट्स प्रेरणा ले सकते हैं, जो जरा सी असफलता मिलते ही सुसाइड जैसे कदम उठाते हैं।
-अनामिका को दोनों आंखों से दिखाई नहीं देता, लेकिन वे स्टडी में किसी से पीछे नहीं हैं।
-अनामिका ने इस साल सीबीएसई 12 की परीक्षा में 86 प्रतिशत अंक हासिल किए। वो भी ह्यूमिनिटी से जुड़े विषयों में, जिसमें स्कोरिंग करना बहुत मुश्किल काम होता है।
-अनामिका कहती हैं कि मुझे उस समय बहुत दुख होता है, जब फेल होने पर आत्महत्या जैसा कदम उठाता है। भला परीक्षा के लिए जिंदगी क्यों खत्म की जाए।
-अनामिका चाहती हैं कि वे शिक्षिका बनें और निराश होने वाले बच्चों को सही दिशा दिखाना चाहती हैं।
सामान्य बच्चों के साथ पढ़ी अनामिका
-अनामिका ने ग्वालियर के उस केन्द्रीय विद्यालय में पढ़ाई की है, जहां पर उनका मुकाबला सामान्य बच्चों से होता था।
-स्कूल की प्रिसिंपल रेखा सक्सेना बताती हैं कि अनामिका स्टडी में कभी पीछे नहीं रही औऱ न ही उसके मन में यह विचार आया कि वह देख सकती है।
-अनामिका के पिता कृष्ण मोहन मिश्रा स्वयं टीचर हैं और उन्होंने अनामिका के लिए स्वयं ब्रेल लिपि सीखी और फिऱ पढ़ाया।